tag:blogger.com,1999:blog-4750170775336494032024-02-06T21:31:13.380-08:00writer neera jain : neera ki kalam seAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.comBlogger148125tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-586430937301568492016-02-07T08:58:00.001-08:002016-02-07T09:03:26.870-08:00ज़िन्दगी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="color: lime; font-size: medium;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg6CiFh01geEOY8rb3dCm55K2gt3Dk1O4wMQeb1yjfEk4GULIhAjw8mfZkKOhtpCS79aPiLql8tnoXwF4s8CvCFFDxxUeHX6ZGx4sATWYIdDtmPo0alKq6j2QSksPe3HuDcCWNjrOcGHaA/s1600/pp.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg6CiFh01geEOY8rb3dCm55K2gt3Dk1O4wMQeb1yjfEk4GULIhAjw8mfZkKOhtpCS79aPiLql8tnoXwF4s8CvCFFDxxUeHX6ZGx4sATWYIdDtmPo0alKq6j2QSksPe3HuDcCWNjrOcGHaA/s640/pp.jpg" width="492" /></a></span></div>
<br />
<span style="font-family: Arial,Helvetica,sans-serif;"><span style="color: lime; font-size: medium;">दिल की सारी बाते...<br />
कहनी है तुमसे...<br />
जिन बातो को लब्ज़...<br />
नही दे पाऊँगी..<br />
वो बाते भी...<br />
आँखों से कहनी है....<br />
कुछ भी ना छुपाऊंगी मैं...<br />
हर बात अपने दिल की....<br />
तुमको बताऊँगी मैं....<br />
मैं तो जुबा के बदले,<br />
नजरों से काम लुंगी....<br />
आखों से तुम्हारेे दिल,<br />
मैं उतर जाऊँगी...<br />
महसूस करोगे मुझकों,<br />
खुशबू बन कर साँसों में,<br />
बिखर जाऊँगी...<br />
इक-इक लम्हा कैसे तुम बिन,<br />
भी तुम्हारे ही साथ गुजरा है....<br />
मैं तुमको बताऊँगी मैं.....<br />
जिन्दगी का तो पता नही..<br />
पर तुम्हारे बिन जिन्दगी का,<br />
इक भी लम्हा गुजरा नही...!!</span></span></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-21206833120010504702014-08-23T05:23:00.000-07:002014-08-23T05:24:07.199-07:00नैतिक मूल्यों की महत्ता बहुत जरुरी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
नैतिक मूल्यों की महत्ता बहुत जरुरी<br />
<br />
आज सेवा, त्याग, उपकार, निष्ठा, नैतिकता का स्थान स्वार्थ,
परिग्रह, कपट, ईर्ष्या, लोभ-लिप्सा आदि ने ले लिया और यही सफलता के उपाय बन
कर रह गए है। <br />
आज चारों ओर झूठ, कपट, भ्रष्टता का माहौल है, नैतिक बने रहना मूर्खता का
पर्याय माना जाता है और अक्सर परिहास का कारण बनता है। आश्चर्य तो यह है
नैतिक जीवन मूल्यों की चाहत सभी को है किन्तु इन्हें जीवन में उतार नहीं
पाते!! आज मूल्यों को अनुपयोगी मानते हुए भी सभी को अपने आस पास मित्र
सम्बंधी तो सर्वांग नैतिक और मूल्य निष्ठ चाहिए। चाहे स्वयं से मूल्य
निष्ठा निभे या न निभे!! हम कैसे भी हों किन्तु कर्तव्य तो मित्र
निभाए और अधिकार हम भोगें। बलिदान पडौसी दे और लाभ हमे प्राप्त हो। सभी
अनजाने ही इस स्वार्थ से ग्रस्त हो जाते है। सभी अपने आस पास सुखद वातावरण
चाहते है, किन्तु सुखद वातावरण का परिणाम नहीं आता। हमें चिंतन करना पडेगा
कि सुख शान्ति और प्रमोद भरा वातावरण हमें तभी प्राप्त हो सकता है जब
नैतिकताओं की महानता पर हमारी स्वयं की दृढ़ आस्था हो, अविचलित धारणा हो,
हमारे पुरूषार्थ का भी योगदान हो। कोई भी नैतिक आचरणों का निरादर न करे,
उनकी ज्वलंत आवश्यकता प्रतिपादित करे तभी नैतिक जीवन मूल्यों की
प्रासंगिकता स्थायी रह सकती है<br />
आज की सर्वाधिक ज्वलंत समस्या नैतिक मूल्य संकट ही हैं। हर व्यक्ति कुंठा, अवसाद और हताशा में जीने के लिए विवश हो रहा है।
इसके लिए हमें अपना चिंतन बदलना होगा, पुराने किंतु उन शाश्वत जीवन मूल्यों
को जीवन में फिर से स्थापित करना होगा। आज चारों और अंधेरा घिर चुका है तो
इसका अर्थ यह नहीं कि उसमें हम बस कुछ और तिमिर का योगदान करें! जीवन
मूल्यों पर चलकर ही किसी भी व्यक्ति, परिवार, समाज एवं देश के चरित्र का
निर्माण होता है। नैतिक मूल्य, मानव जीवन को स्थायित्व प्रदान करते हैं।
आदर्श मूल्यों
द्वारा ही सामाजिक सुव्यवस्था का निर्माण होता है। हमारे
परम्परागत स्रोतों से निसृत, जीवन मूल्य चिरन्तन और शाश्वत हैं। इसके
अवमूल्यन पर सजग रहना आवश्यक है। नैतिक जीवन मूल्यों की उपयोगिता, काल,
स्थान वातावरण से अपरिवर्तित और शाश्वत आवश्यकता है। इसकी उपादेयता
निर्विवाद है। नैतिन मूल्य सर्वकालिक उत्तम और प्रासंगिक है।<br />
अगर हम सभी सामूहिक रूप से नैतिक आचरणों का आदर करे और उन्हें अपनायें तो सुअहर्द अक माहौल कायम हो सकता है.<br />
हमें एक एक कर के इन मूल्यों को जीवन में लाने का प्रयत्न करना होगा । <br />
जैसे सत्य का पालन । इसमें सत्यंब्रूयात प्रियं ब्रूयात,न ब्रूयात सत्यं अप्रियं को अपनाने से काफी आसानी हो जाती है । <br />
नैतिक मूल्य कभी अप्रसांगिक नहीं हो सकते , बल्कि निराशाओं के इस दौर में
ही इनकी अधिक आवशयकता है। जो ना चेते, प्रकृति अपने हिसाब से हिसाब
लेगी ही </div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-43661042975568462062014-07-06T04:57:00.001-07:002014-07-06T04:57:58.656-07:00Jaipur fashion show<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
participate in jaipur fashion show.....................<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhHBkzYIHwXnIro2YFbk8XrZtB0-XgAsVtjN6VgDgz_pTcu5WE98J8MthMyggfRlUto41PrcTyKbH34sQFO4fpFdNdEWH_ja3OVX_gS_xa-2muqApJQeS0Pah58LbpvF1CagUohiit1Jn0/s1600/Capture.PNG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhHBkzYIHwXnIro2YFbk8XrZtB0-XgAsVtjN6VgDgz_pTcu5WE98J8MthMyggfRlUto41PrcTyKbH34sQFO4fpFdNdEWH_ja3OVX_gS_xa-2muqApJQeS0Pah58LbpvF1CagUohiit1Jn0/s1600/Capture.PNG" height="226" width="320" /></a></div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjsUB12XEJ9n7U8BEhO_CVqHiQoiixUhgOqTQ7gtRUC_4L4cVQo8ra6xnkvjwprBu10DQdt6weUCRCRMN4EYuKxigKfJIWvzgFDMV7M0Un8wCTVZjfgLSayVr1SE2wWWYXZaNYPvd9o0S0/s1600/fdhdhr.PNG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjsUB12XEJ9n7U8BEhO_CVqHiQoiixUhgOqTQ7gtRUC_4L4cVQo8ra6xnkvjwprBu10DQdt6weUCRCRMN4EYuKxigKfJIWvzgFDMV7M0Un8wCTVZjfgLSayVr1SE2wWWYXZaNYPvd9o0S0/s1600/fdhdhr.PNG" height="225" width="320" /></a></div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhLYsgZ46cTaQcCNbTPcQCUaC1ppB54eG9PBb8akLu1OM7Vm-mLMCAa3O0ICgR6xkySVbzCUJeGDf22JfE0FQI1S2Q1auWYgeyOBbgVGc-cZQupeN0Ffjz5vqXYRMXr9IQ79nZBam8SFYw/s1600/ffgff.PNG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhLYsgZ46cTaQcCNbTPcQCUaC1ppB54eG9PBb8akLu1OM7Vm-mLMCAa3O0ICgR6xkySVbzCUJeGDf22JfE0FQI1S2Q1auWYgeyOBbgVGc-cZQupeN0Ffjz5vqXYRMXr9IQ79nZBam8SFYw/s1600/ffgff.PNG" height="242" width="320" /></a></div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJhaAppNQK622iKqEJfskMeoKkadNMbFz_yo_195U09bJjo8Olg_nL6ISGxBX67mj-PPIZrji_ehqycbbR-lQsLMTLEPsqcSCFJ-0J8j3mPb2sXFzcCLvpxJVsDI1wo2QdhoHRFHEe2O8/s1600/mhffkhyf.PNG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJhaAppNQK622iKqEJfskMeoKkadNMbFz_yo_195U09bJjo8Olg_nL6ISGxBX67mj-PPIZrji_ehqycbbR-lQsLMTLEPsqcSCFJ-0J8j3mPb2sXFzcCLvpxJVsDI1wo2QdhoHRFHEe2O8/s1600/mhffkhyf.PNG" height="228" width="320" /></a></div>
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Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-67431715379260384342014-07-01T09:37:00.001-07:002014-07-01T09:37:22.056-07:00Jaipur Fashion Show<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dyvgj3iCEP4V0KzZJlPxyWjq6P7u38pOYyw6W8bDNDV2-u28vDlFmVAQGayGkSxLUGs-0qQ3YLU6CbNPKV0kg' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe></div>
</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-54271884105026437472014-04-22T00:57:00.003-07:002014-04-22T01:08:13.197-07:00 कहाँनी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
लौट आओ तुम <br />
<br />
<br />
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgRKNPnqPXzoHdlc4J7m_40nPJNmG2TzDUii52CO629vUl5IlbVZpb9FTXs29iQcOo61_GgT75jEjqMFUcEjCEQflLcFlfhak3dR3LEUlA7CfVy-xReosPucdUYZGjI4M0OlpKbJSFImwk/s1600/Capture.PNG" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgRKNPnqPXzoHdlc4J7m_40nPJNmG2TzDUii52CO629vUl5IlbVZpb9FTXs29iQcOo61_GgT75jEjqMFUcEjCEQflLcFlfhak3dR3LEUlA7CfVy-xReosPucdUYZGjI4M0OlpKbJSFImwk/s1600/Capture.PNG" height="198" width="200" /></a>वक्त से बड़ा कुछ नहीं होता ! वक्त एक बार हमे ऐसी सीख दे जाता हैं कि हम बार बार गलती को दोहराने से बचते हैं ! कुछ ऐसा ही हुआ मेरी जिंदगी में ! थोड़े साल बीते हैं मगर उसके साथ बिताये गए पल आज भी याद हैं ! बार बार उसका चेहरा मेरी आँखों के सामने आता हैं मानो मुझसे कुछ कहना चाह रहा हो मगर कुछ कह नहीं पा रहा हो ! मेरे कान तरसने लगे उसके मुह से निकले प्यार बोल सुनने को ! मगर एक बार भी कभी उसने मुझसे अपने दिल की बात नहीं की जबकि मेरे दिल को ये आभास था कि कही न कही वो अभी भी मुझसे बेहद प्यार करता हैं पर न जाने क्यू दिखाता नहीं ! वो हमेशा मेरे प्यार को नज़र अंदाज़ करता रहा ! आज जिंदगी उसके बिना सुनी क्यू लगती हैं क्यू मेरे दिल में उसके लिए इतना प्यार हैं ! कोई भी रिश्ता नहीं हैं मेरा उससे पर न जाने क्यू दिल हमेशा उसी के लिए धड़कता रहता हैं ! भुला नहीं पाई हु मैं उसके प्यार को ! मुझे उसकी याद हर पल तड़पाती हैं ! दर्द भरी बदली बन गई मैं उसके प्यार मैं ! कोई एक ही होता हैं जिससे हम इतनी गहराई से जुड़ते हैं ! मेरा तो वजूद उससे ही हैं ! मैं जानती हू एक दिन मेरे पास मेरा प्यार जरूर लौट के आएगा ! उससे मेरी जिंदगी के मायने ही बदल दिए मेरी जिंदगी को एक नया रास्ता दिया ! जिंदगी मुस्कुराने लगी ! मेरे अरमानो को नए पंख दिए उसने ! उसके बिना मैं कैसे म मुस्कुरा सकुंगी इस जिंदगी में ! लौट आओ तुम मेरी जिंदगी में वापस बहार बनकर !</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-88525012351916169862014-04-14T00:45:00.000-07:002014-04-14T00:52:39.901-07:00WOMEN BLOG <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<br />
महिलाओ सम्मान को बनाये रखना होगा <br />
<br />
<br />
हमारा देश चाहे कितनी भी तरक्की क्यू न कर ले लेकिन कई जगह विशेषकर ग्रामीण इलाको में तो महिलाओ की स्थति में विशेष सुधार नहीं हुआ हैं ! महिलाए पुरुषो के द्वारा प्रताड़ित की जाती हैं और यौन हिंसा का शिकार तो अभी भी हो रही हैं ! लड़कियों को आगे पढ़ने नहीं दिया जाता हैं जल्दी उम्र में उनकी शादी कर दी जाती हैं ! स्त्री की पसंद और नापसंद कोई मायने नहीं रखती !गाँवों में तो स्त्रियों पर फैसले थोप दिए जाते हैं और उन्हें इसका पालन करना ही होता हैं ! इसलिए हमे ग्रामीण इलाको में स्त्रियों की शिक्षा पर ध्यान देना होगा ! जाति और धर्मो में बटा हमारा समाज कितना क्रूर हो गया हैं ! समाज में व्यक्तिगत और नागरिक अधिकारों का हनन होता हैं लड़का और लड़की को अपनी पसंद से शादी नही करने दे जाती ! अगर लड़का और लड़की अपनी पसंद से शादी कर भी लेते हैं तो समाज उनको सजा देने में आमादा हो जाता हैं !!गाँवों को छोडो शहरों में भी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ हैं ! बेटिया न घर में सुरक्षित रह गई न बाहर ! आज महिलाए और लडकिया कार्य स्थल पर असुरक्षा की वजह से प्रतिभाशाली होते हुए भी काम नहीं कर पा रही जो बेहद शर्मनाक हैं ! आज पुरुषो की महिलाओ के प्रति सोच बहुत संकीर्ण हो गई हैं ! हम महिलाओ को एक होना होगा और पुरुषो की सोच में बदलाव लाना होगा ! महिलाओ के प्रति पुरुष की सोच में बदलाव लाये बिना स्वस्थ समाज का निर्माण संभव नहीं हैं ! केवल कानूनी उपचार से ही समाज को बदल पाना संभव नहीं हैं ! महिलाए पिंजरे में कैद होकर न रह जाए इसलिए महिलाओ की स्थति मैं सुधार लाना बहुत जरुरी हैं ! यह बात सही हैं कि प्रितसत्तात्मक परिवार में बचपन से ही लड़कियों की जिस तरह से परवरिश की जाती हैं स्त्री पुरुष के लैंगिक भेद की बात करते हुए सामाजिक भेद कायम किया जाता हैं ! उससे समस्या जटिल हो रही हैं ! फ्रान्सिस दार्शनिक ने लिखा हैं कि स्त्री जन्मती नहीं हैं बल्कि बनाई जाती हैं जिसका प्रतिबिम्ब उन भूमिकाओं में भी नज़र आता हैं जो बचपन से उसे सौपी जाती हैं ! दरअसल मुश्किल यह है कि स्त्री चाहे कामकाजी हो या घर को संभाल रही हो दमन और घुटन वो हर पल महसूस कर रही हैं ! महिलाओ को खुद भी जागरूक होने की जरुरत हैं ! आज महिलाए खुद लिंग परिक्षण में लिप्त पाई जाती हैं ! नारी कमजोर नहीं है वो शक्ति का पर्याय हैं ! नारी सुरक्षा के लिए केवल कठोर कानून बनाने से कुछ नहीं होगा जब तक लोगो को इसकी जानकारी नहीं होगी या महिला सुरक्षा कानून पर अमल नहीं किया जायेगा ! हर महिला को सशक्त बनना होगा तानिगाग कि कोई भी पुरुष उसकी तरफ गलत निगाह से न देख सके महिला और पुरुषो को समान अधिकार देना होगा ! और सबसे बड़ी बात बेटा और बेटी को समान समझना होगा ! पुरुषो को स्त्रियों को समाज में सम्मान देना ही होगा जिसकी वो हकदार हैं ! जरुरत हैं इस दकियानूसी समाज को बदलने की स्त्री को खुद के लिए आधा हक़ मांगने की जरुरत ही न रहे ! स्त्री को अब अपनी जमीन खुद ही तय करनी होगी !<br />
<br />
किसी ने लिखा हैं … <br />
<br />
मोम के पथ से गुज़र के जाना था और सूरज ही मेरा साथ निभाने आया !<br />
<br />
नारी के बारे में यह सच प्रतीत होता हैं क्युकि नारी के सामने अब भी कई मुश्किलें हैं जिसका उस सामना करना हैं ! नारी का होंसला बुलंद हैं उसे आसमा छूने की चाह हैं ! एक दिन उसके सपने हकीकत में जरूर बदलेंगे ! </div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-8751176423124796292014-04-12T00:59:00.000-07:002014-04-12T00:59:34.630-07:00आधी आबादी का जिक्र नहीं <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
आधी आबादी का जिक्र नहीं<br />
<br />
<br />
नेता चुनाव प्रचार कर रहे हैं लेकिन महिलाओ की कोई बात नहीं कर रहा ! उनके लिए क्या किया जाये ! महिलाओ के लिए राजनीति में आरक्षण की बात नहीं हैं ! महिला सुरक्षा के लिए क्या किया जाएगा सारे मुद्दे नदारद हैं ! किसी राजनैतिक दल के पास कोई ठोस कार्यक्रम नहीं हैं ! देश में महिला मतदाताओ की संख्या कुल मतदाताओ का लगभग 48 प्रतिशत हैं ! राजनैतिक क्षेत्र में देखा जाये तो महिलाए पर्याप्त रूप से सफल रही हैं ! दल बदल के कलंक से भी वो पूरी तरह मुक्त हैं ! इन तथयो के बावजूद देश की राजनीति में महिलाओ की संख्या कम रही हैं जो बेहद चिंताजनक हैं !आज की महिला अपनी सोच के आधार पर मतदान करती हैं सोनिया गांधी , सुषमा स्वराज ममता बेनर्जी , आज ऊँचे पदो पर बैठी हैं लेकिन महिला सशक्तिकरण के लिए क्या कर रही हैं ! महिलाओ की समस्या पर धयान क्यों नहीं दिया जाता ! उनकी बात क्यों कोई नहीं सुनता हैं ! नेता लोग महिलाओ के प्रति गलत बयानबाज़ी करते हैं ! सपा के नेता मुलायम सिंह यादव बलात्कारियो को सही बताते हैं ऎसे में हमारे देश की जनता और महिलाए कहा से न्याय की उम्मीद रखेंगी ! ऐसे नेताओ का बहिष्कार करना चाहिए जो अपराधियो को संरक्षण देते हैं सिर्फ सत्ता के प्रलोभन में ! दिल्ली गैंग रैप के बाद आज भी महिला उत्पीड़न में कोई कमी नहीं आई ! नेता लोग फोरी बयानबाज़ी करते हैं ! कोई भी राजनैतिक दल महिला सुरक्षा को चुनावी मुद्दा नहीं मानती ! कोई भी दल यह साफ़ नहीं कर रहा हैं कि महिलाओ को सुरक्षा दिलाने के लिए किसी दल के पास क्या ठोस नीति हैं ! राजनैतिक दल महिलाओ को राजनीति में आने से रोकना चाहते हैं ! महिलाओ को संसद और विधान सभाओ में एक तिहाई आरक्षण का मामला वर्षो से अटका पड़ा हैं !राजनीति में नैतिकता और शालीनता के लिए महिलाओ की उपस्थिति बहुत जरुरी है ! राजनीति और चुनावो में महिलाओ के पिछड़ने का प्रमुख कारण परिस्थतियाँ और कुरीतिया भी हैं !जिसकी वजह से महिलाए जीवन के सभी क्षेत्रो में आगे नहीं बढ़ पाती ! लेकिन आज महिलाए बहुत सक्रिय हो गई हैं वो मतदान में अपनी भागीदारी निभाने को तैयार हैं ! वो लोकतंत्र को मजबूत बनाएगी और अपनी बात लोगो के सामने रखेगी ! सबसे बड़ी बात यह हैं कि राजनेता चुनाव के टिकिट देते समय महिलाओ के लिए प्रमुख रूप से व्यवस्था करे और उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित करे ! इसके साथ यह भी जरुरी हैं कि राजनैतिक वातावरण को सुधारकर उसे शिष्ट और नैतिक बनाया जाये ताकि महिलाए राजनीती से परहेज न करे आज की नारी चुप बैठने वाली नहीं हैवो खुद अपना रास्ता तय <br />
करेंगी !<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-5430527275421415822014-04-11T00:42:00.001-07:002014-04-11T00:42:06.243-07:00कहानी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div style="color: #222222; font-family: arial; font-size: small;">
सुबह सुबह</div>
<div style="color: #222222; font-family: arial; font-size: small;">
<br /></div>
<div style="color: #222222; font-family: arial; font-size: small;">
<br /></div>
<div style="color: #222222; font-family: arial; font-size: small;">
<br /></div>
<blockquote class="gmail_quote" style="border-left-color: rgb(204, 204, 204); border-left-style: solid; border-left-width: 1px; color: #222222; font-family: arial; font-size: small; margin: 0px 0px 0px 0.8ex; padding-left: 1ex;">
<span style="font-size: medium;"> चुप रहती तो अच्छा होता आज सारी गलती मेरी ही थी जो पति से सवेरे से उलझ गई कुछ नहीं बच्चो को लेकर कहासुनी हो गई ! सवेरे इतना काम होता हैं कि कुछ भी नहीं सूझता और पति देव पर गुस्सा हो गई !शायद मैंने उन्हें आहत कर दिया था ! मेरे लिए शायद ये बहुत बड़ी बात थी ! सुबह की ही तो बात हैं जब मैं बच्चो को स्कूल के लिए तैयार कर रही थी !और पति देव भी मेरी सहायता कर रहे थे ! खाना बना रही थी बच्चो के लिए मैं और पति देव घर की दूसरी परेशानिया लेकर बैठ गए मेरा भी पारा सातवे आसमान पर जा पंहुचा और हो गया झगड़ा और बच्चो के लिए जो पराठे बना रही थी जल गए ! पतिदेव तो और भी गुस्सा हो गए और मुझ पर बुरी तरह चिल्लाने लगे ! इतना ज्यादा तो वो कभी भी विचलित नहीं हुए ! उन्होंने मुझसे कहा आजकल तुम बहुत जवाब देने लगी हो ? तुम्हारा न बच्चो की तरफ ध्यान हैं घर की तरफ ! उनके इतना कहने के बाद मैं वापस से अपने काम मैं लग गई लेकिन मन में बहुत विचार आने लगे और सोचने लगी कि मैंने अपनी कौनसी जिम्मेदार नहीं निभाई जो आज पति देव ने मुझ पर ताना मारा ! एक औरत घर के लिए चाहे कितना भी कर ले लेकिन उसको कभी बदले में यश नहीं मिलता ! लेकिन जरा सी बात पर कितनी कहा सुनी हो गयी शायद गलती मेरी भी थी जो मैंने उन्हें जवाब दिया आखिर मेरी और बच्चो की कितनी फ़िक्र हैं उन्हें अपने परिवार के लोगो की कितनी परवाह करते हैं वो ! लेकिन मैं ही उन पर बरस पड़ी ! मेरी ही गलती थी ! शाम को पतिदेव घर आये और उदास होकर बोले मैंने तुम्हारा दिल दुखाया मुझे माफ़ कर दो तुम्हारा दिल दुखाने का मेरा कोई इरादा नहीं था अचानक मुह से ये सब निकल गया ! तुमने हमेशा घर के लिए सब कुछ किया हैं पति बोले ! उन्होंने कहा बच्चो को लेकर जो झगडे हुए उसमे हमेशा से प्यार नज़र आया घर के लिए ! मेरे मन में ख्याल आया किंतना अच्छा सोचते हैं पतिदेव् हमारे बारे में ! मैं तो बेकार में उनसे नाराज हो गई ! मैंने सोचा सच घर के ये छोटे मोटे झगडे भी पति पत्नी के संबंधो में मिठास घोल देते हैं ! </span></blockquote>
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Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-65357643064371809652014-04-11T00:07:00.002-07:002014-04-11T00:07:45.273-07:00विचार my blog <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
विचार my blog <br />
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मानव कल्याण की महान परंपराओ में जितने भी आयोजन और अनुष्ठान हैं उसमे सबसे बड़ी परंपरा संस्कार और पर्वो की हैं ! संस्कारो द्वारा व्यक्ति एवं परिवार में त्योहारो के माध्यम से समाज को प्रशिक्षित किया जाता हैं ! स्वधाय चिंतन सबका प्रभाव इंसान की मनोभूमि पर पड़ता हैं और व्यक्ति की भावना स्तर को विकसित करने में सहायता मिलती हैं ! संस्कार वे उपचार हैं जिसके माध्यम से व्यक्ति को सुसंस्कृत बनाना सबसे अधिक सम्भव और सरल हैं ! सुसंस्कारित व्यक्ति के लिए पारिवारिक और सामाजिक जीवन में मंगलमय सिद्ध हो सकते हैं संस्कार ! मेरा ये मन्ना हैं कि संस्कार विहीन सम्पन्नता का कोई मूल्य नहीं हैं ! हम भले ही कितनी भौतिक सुख सुविधाओ से सम्पन्न हो जाये लेकिन हमारे पास संस्कारो का अभाव हैं तो हम नैतिक रूप से कभी समृद्ध नहीं हो सकते ! कुसंस्कारी व्यक्ति से सभी लोग असन्तुष्ट रहते हैं ! वह गलत रास्ते पर जाता हैं लोगो और समाज के सामने गलत आचरण पेश करता हैं ! उसके अंदर उच्च मूल्यो और आदर्शो का अभाव होता हैं ! अच्छे कार्य करने की प्रतिभा भी नष्ट हो जाती हैं ! ऐसी दशा में व्यक्ति अच्छी सफलता प्राप्त कर सके इसकी तनिक आशा भी नहीं की जा सकती ! आज युवा पीढ़ी में संस्कार लुप्त होते जा रहे हैं और वो राह से भटकते जा रहे हैं ! ऐसे व्यक्ति जो जन्म जात संस्कार और प्रतिभा से संपन्न होते हैं उंगलियो पर गिनने लायक होते हैं ! भारत देश को यदि विश्व गुरु का स्थान प्राप्त करना हैं तो संस्कारो का हमारे समाज में बने रहना अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा ! अच्छे समाज और राष्ट्र के लिए अच्छे संस्कार और शिक्षा की आव्यशकता होती हैं जो अच्छे साहित्य पुस्तको के बिना सम्भव नहीं हैं ! आज हम देखते हैं कि समाज में शिक्षा और संस्कारो में कहा कमी रह गई जिसके कारण लड़किया और महिलाए दुष्कर्म का शिकार होती हैं !</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-20902702233562109042013-12-15T01:28:00.000-08:002013-12-15T01:28:03.282-08:00लिव इन रिलेशनशिप <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<br />लिव इन रिलेशनशिप<br />
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लिव इन रिलेशन शिप को अपराध और पाप की श्रेणी से बाहर निकालकर सर्वोच्च न्यायालय ने जहा महत्व पूर्ण पहल की हैं वही इसे घरेलु हिंसा कानून के तहत मान्यता देकर सहजीवन में रहने वाली महिलाओ के वजूद को भी मजबूती दी हैं ! लिव इन रिलेशन शिप को कानूनी रूप से अपराध या पाप मानने की सोच पर विराम लग गया ! उम्मीद जगी हैं कि भविष्य़ में शादी के समानंतर सहजीवन की परंपरा को मजबूती मिलेगी लेकिन इसके भविष्य़ पर आखरी मोहर समाज को लगानी हैं ! जहा राह में रोड़े ही रोड़े बिछे हुए नज़र आ रहे हैं ! इस फैसले के बाद चोरी छिपे रहनेवाले जोड़ो को समाज में घोषित तौर पर रहने में आसानी होगी ! जिसका सबसे बड़ा फायदा महिलाओ को होगा साथ ही पैदा हुए बच्चे को अधिकार मिलने में आसानी होगी ! स स्त्रियाँ समाज परिवार दोस्तों और रिश्तेदारो को बता सकेगी और समाज के सामने अपने आपको अकेला और बिखरा हुआ महसूस नहीं करेगी ! भारतीय समाज में रिश्तो में बेईमानी बहुत हैं इसलिए सहजीवन को संस्थाबद्ध किया जाना चाहिए ! रिश्ते सिर्फ चाहत से नहीं बनते बल्कि जिम्मेदारी भी उनके साथ लगी होती हैं !<br />
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Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-33803926256786494132013-12-14T21:17:00.000-08:002013-12-14T21:17:11.144-08:00हमने ये कैसा समाज समाज बनाया हैं ? <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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हमने ये कैसा समाज समाज बनाया हैं ?<br />
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हम किस समाज में रह हैं जहा नारी के प्रति कोई सम्मान शेष नहीं रह गया ! महिलाओ पर अत्याचार और अन्याय की घटनाओ ने समाज को आंदोलित कर रखा हैं ये घटनाए संकेत देती हैं कि शहरी समाज की भीतरी परतो में बहुत कुछ हो रहा हैं <br />
आज हालत ये हो गई हैं कि कार्य स्थलो पर महिलाओ के खिलाफ दुर्व्यवहार का सिलसिला जारी हैं ! चेलेंजे फॉर वीमेन इन मॉडर्न इंडिया नमक अध्ययन यह इंगित करता हैं कि देश में भले ही महिला सशक्तिकरण की बाते खूब होती हो लेकिन आज भी 29 प्रतिशत महिलाए शारीरिक शोषण का शिकार हो रही हैं !एक अध्ययन के मुताबिक 55 प्रतिशत कामकाजी महिलाए हैं जिनके साथ कार्य स्थल पर भेदभाव किया जाता हैं !! यह बड़े दुःख कि बात हैं कि आज देश में बाबा , पत्रकार और जज जैसे लोग यौन उत्पीड़न के आरोपो के घेरे में हैं ! एक आम आदमी की तुलना में न्यायधीश , राजनेता , पत्रकार और आध्यात्मिक गुरुओ की जिम्मेदारी और बढ़ जाती हैं ! यदि मुल्क के श्रेष्ट वर्ग की नैतिकता ही खतरे में होगी तो आम आदमी के लिए यह तय कर पाना मुश्किल होगा कि क्या सही हैं और क्या गलत ! विगत दिनों रिटायर्ड जज और पत्रकार तरुण तेजपाल पर महिला से यौन उत्पीड़न का आरोप लगा हैं जो बेहद शर्मनाक हैं ! विमेंस एक्शन ग्रुप के एक सर्वे के अनुसार यह तथय उजागर हुआ हैं कि लगभग 45 प्रतिशत महिलाओ को उनके कार्य स्थल पर मौखिक मानसिक और शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ता हैं ! कार्य स्थलो पर महिलाओ के आत्म सम्मान को बहुत ठेस पहुचाई जाने लगी हैं ! यह बड़े दुःख कि बात हैं कि महिला कि सुरक्षा को सुनिश्चित करने और कार्य स्थलो पर नारी सुरक्षा कि बात करने वाले मीडिया पर ही यौन उत्पीड़न का आरोप लगा हैं ! तेजपाल एक प्रतिष्ठित संपादक हैं वो खुद महिलाओ के खिलाफ अपराधो को गम्भीरता से लेते हैं लेकिन तेजपाल ऎसा कृत्य करेंगे उनसे ये अपेक्षा नहीं थी ! यह तो पीड़िता के साहस की दाद देनी पड़ेगी कि वो उनके खिलाफ सामने आई और आत्म सम्मान उसके लिए सबसे अहम रहा ! यह सच हैं कि मीडिया ने भी अपने पेशे से संबांधित मामले को दबाने कि कोशिश नहीं की और कानून के मुताबिक सख्त कारवाई की मांग की ! आज यह जरुरी हैं कि कोई भी दुश्चरिरत्र आदमी इसलिए बच कर नहीं निकलना चाहिए कि उसने संत या जज का चोला पहन रखा हैं या पत्रकार का नकाब ओढ़ रखा हैं जब यह आरोप देश के पूर्व न्यायाधीश पर लगता हैं तो सवाल समूची न्याय प्रक्रिया पर खड़ा होता हैं ! बहुत पैसा बहुत ताकत चीज़ो को संचालित कर रही हैं ! इस खेल में स्त्रियाँ भी उसी तरह सलंग्न हैं जिस तरह पुरुष ! इसमें वो लड़किया पीछे रह जाती हैं जो परिश्रमी स्वाभिमानी और भीतर से नैतिक रूप से मजबूत हैं ! महिला पुरुष समता मूलक समाज का निर्माण ही इसका समाधान हैं ! हमारी शिक्षा , आचरण में परिवार के ढांचे में जिसमे महिला पुरुष दोनों आते हैं गहरे बदलाव करने होंगे ! हम सजग क्यों नहीं हैं आत्म निरिक्षण की कमी हैं ! समाधान सिर्फ यही हैं कि महिला पुरुष समता वाले सामाजिक ढांचे का निर्माण इस इस समाज में सिर्फ अधिकार ही नहीं कर्तवव्यो की भी समानता होनी चाहिए ! </div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/06708466597710358552noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-40368157232013151672013-11-13T23:20:00.001-08:002013-11-13T23:20:24.755-08:00इंदिरा गांधी ...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
इंदिरा गांधी ....... <br />
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इंदिरा गांधी के भाषण से ,,,,<br />
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में एक संपन्न परिवार में हुआ था ! इंदिरा गांधी ने अपने नाम को सार्थक भी किया ! इंदिरा के अत्यंत प्रिय दिखने के कारण पंडित नेहरू इन्हे प्रिय दर्शिनी भी संबोधित करते थे ! <br />
इंदिरा प्रिय दर्शिनी गांधी को विश्व राजनीति में लोह महिला के रूप में जाना जाता हैं। ! सामाजिक और पारिवारिक परिस्थतियो ने उन्हें एक मजबूत व्यक्तित्व प्रदान किया ! को आगे चलकर उनके सफल राजनैतिक जीवन का आधार बना ! गुलाम भारत की चिंतनीय स्थिति को इंदिरा ने बचपन से ही भाप लिया था ! उनको यह समझ में आ गया था कि किसी भी राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता कितनी जरुरी हैं ! इंदिरा गांधी को राजनीति कि समझ विरासत में मिली थी ! जिसकी वजह से जल्दी ही उनका प्रवेश राजनीति में हो गया था ! यहाँ तक कि जवाहर लाल नेहरू भी कई मसलो पर इंदिरा से राय लेते थे और उन्हें मानते भी थे ! इमरजेंसी को लेकर वे काफी विवाद में रही इसके बावजूद उन्होंने देश के लिए जो कुछ किया उसे जनता कभी नहीं भूल पाएगी ! उचित और तुरंत निर्णय लेने कि क्षमता ने कोंग्रेस सरकार में इंदिरा गांधी कि महत्ता और उनके कद को कई गुना बना दिया था ! अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए उन्होंने दो दशक तक देश को मंदी के हालात से बचाये रखा ! इसके अलावा देश में पहला परमाणु परिक्षण करने का श्रेय भी इंदिरा गांधी को जाता हैं ! दृढ निश्चयी और किसी भी परिस्थति से जूझने वाली और जीतने की क्षमता रखने वाली इंदिरा गांधी ने न केवल इतिहास में खास जगह बनाई बल्कि पकिस्तान को विभाजित करके दक्षिण एशिया का भूगोल ही बदल डाला ! इससे वर्ष 1962 के भारत चीन युद्ध की अपमानजनक पराजय की कड़वाहट धूमिल हुई और भारतीयो में नए जोश का संचार हुआ ! उनके शासन काल में कई उतार चढ़ाव आये ! अंतरिक्ष और परमाणु विज्ञान से भारत को मिली उपलब्धियों के पीछे इंदिरा गांधी की दूर दृष्टि ही रही ! इंदिरा ऎसी महिला जो न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रही बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी विलक्षण प्रभाव छोड़ गई ! इंदिरा अपनी प्रतिभा और राजनैतिक दृढ़ता के लिए राजनीति के इतिहास में वे हमेशा जानी जाती रहेंगी !<br />
इंदिरा गांधी ने बलिदान कि भविष्वाणी कएने वाले अंतिम भाषण में जो मुद्दे उठाये थे वो आज भी प्रासंगिक हैं। आज़ादी के बाद जब भारत पर हमला हुआ तो सब लोगो ने भारतीय लोगो के साथ एकजुटता दिखाई। .वे एक दीवार कि तरह खड़े हो गए और चुनोतियो का सामना किया। . भारत में रहने वाले करोडो करोडो लोगो के हाथ हाथ मजबूत करने कि बात हैं ! पुरुष और महिलाए और बूढ़े और जवान अनुसूचित जाती और जनजाति बेशक इसमें पिछड़े वर्गो के लोग भी शामिल हैं। । हर वो व्यक्ति जो भारत में रहता हैं उसे मजबूत किया जाना चाहिए ! उनमे हिम्मत ओर्र ताकत होनी चाहिए जो देश को विकास के रास्ते पर ले जाएँगी ! नए विचार लाने चाहिए ताकि विज्ञानं के युग में भारत तरक्की कर सके !… मैं जब भी वज्ञानिकों से मिलती हू एक ही बात कहती हु ऎसा कुछ कीजिये जो भारत के काम का हो। ! यदि हमने अपने देश कि एकता कायम नहीं रखी तो आज़ादी कैसे कायम रख पाएंगे ! ये न सोचो कि हमने एक बार आज़ादी हासिल कर ली हैं तो आने वाले समय में आज़ादी हमेशा के लिए बरक़रार रहेगी ! आज़ादी के लिए हमेशा जागरूक बने रहना इसकी कीमत हैं ! हमे इस दिशा में कु छ करके भी दिखाना भी होगा ! लोकतंत्र को बढ़ावा देना चाहिए जब तक हर आदमी कि बात नहीं सुनी जायेगी आज़ादी नहीं मानी जायेगी ! कांग्रेस ने समाजवाद का रास्ता अपनाया ! आर्थिक समानता और सबके लिए सामान अवसरों के बिना वो आज़ादी पूरी नहीं होती ! समाज में बगत अधिक असमानता होगी और आमिर गरीब में फासला बढ़ेगा तो समाज में असमानता होगी ! समाज में तनाव बढ़ेगा आपस मैँ लड़ाई झगडे बढ़ेंगे। शांति नहीं होगी तो आज़ादी कायम नहीं रहेगी ! कई अमीर देश भी अपने यहाँ से बेरोजगारी पूरी तरह से समाप्त करने मैं नाकामयाब रहे !हमारे सामने नई चुनोतिया हैं बेरोजगारी कैसे दूर होंगी और महंगाई कैसे काबू में आएगी ! जब हम उत्पादन बढ़ाएंगे तो लोगो को रोज़गार के मोके मिल सकेंगे ! भारत के लोगो को पहले भारत के बारे में सोचना चाहिए हम चाहे किसी भी जाती क्षेत्र या वश के हो लेकिन राष्ट्रीयता सबसे बड़ी बात हैं ! देश के लिए हमारा प्यार हर चीज़ से बढ़कर होना चाहिए लेकिन आज कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि ऐसे आंदोलनो को समर्थन देना! मुझे पूरा भरोसा हैं कि देश के आम लोग कभी गलत रास्ते पर नहीं जायेंगे ! शायर इकबाल ने कहा था कि कुछ बात हैं हस्ती मिटती नहीं हमारी ! इसका मतलब यह हैं कि हमारे अंदर वो ताकत हैं जिसकी वजह से हमारा वजूद बना हुआ हैं ! वह ताकत हर किसी में हैं लेकिन इसे विकसित होने का मौका देना होगा ! अगर ऐसा नहीं होगा तो आप हताश हो जाओगे एक भीतरी ताकत नकारात्मक काम करेगी ! आपको सबसे ज्यादा अहमियत देश कि अखंडता और एकता को देनी हैं हमे आज कि चुनोतियो का सामना इस तरह से करना हैं कि हम मजबूत होकर उभरे ! और हमारी ताकत लगातार बढ़ती रहे ! यदि थोड़े वक़्त के लिए हमे कोई चीज़ मिलती हैं और वो हमे कमज़ोर बनाती हैं तो ऐसी चीज़ हम हासिल करने लायक नहीं ।!<br />
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Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-442025069243028232013-10-29T00:29:00.002-07:002013-10-29T07:48:21.537-07:00कुछ तो कहो तुम <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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कुछ तो कहो तुम <br />
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मैं लिख रही हू <br />
तुम्हारे लिए कुछ शब्द ,<br />
जो निकल रहे अनायास मेरे हृदय से<br />
प्यारी बाते , वो तेरे मेरे जज्बात<br />
नहीं भूल पाई मैं कुछ भी।<br />
वो खिलखिलाना , शर्माना<br />
तुम्हे चुपके से देखना,<br />
मन मेरा तरंगित हो जाता<br />
याद आते जब मुझे वो पल<br />
वो तुम्हारा स्पर्श ,<br />
तुम मेरे दिल में हो<br />
मेरे रहोगे ,.ये महसूस कर रही हु मैं !<br />
पहली छुअन के बाद जो महसूस हुआ <br />
वो साँसों का रुकना और चलना<br />
सब लिख रही हु तुम्हे<br />
वो घबराहट अब तक नहीं भूल पाई<br />
मगर क्या ये सब तुम्हे भी याद हैं<br />
तुम भी कभी कुछ शब्द मेरे लिए लिखो<br />
मन से बंधी हू मैं तुम्हारे साथ ,<br />
साँसों की डोर हैं या दिल का रिश्ता<br />
कुछ तो कहो तुम ,<br />
क्या हो तुम मेरे ! <br />
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Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-10326877119839006532013-10-20T10:05:00.001-07:002013-10-20T10:05:35.682-07:00त्यौहार और हमारी परम्पराये<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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त्यौहार और हमारी परम्पराये<br />
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ये सही बात हैं कि त्योहारों को मनाने के पीछे हमारी परम्पराये भी प्रमुख होती हैं ! त्यौहार और उत्सव हमारे सुख और हर्षोल्लास के प्रतीक हैं जो समय के अनुसार अपने रंग रूप और प्रकति में भिन्न होते हैं ! धर्मो से जुड़कर इनका स्वरुप अलग अलग हो जाता हैं ! हर त्यौहार मनाने के पीछे एक ही सन्देश होता हैं कि सब लोग परेशानियों से दूर हटकर अपने परिवार के साथ आनंद मना सके और लोगो में आपसी सद्भाव और प्रेम बना रह सके ! त्यौहार का मतलब हैं बीच बीच में बेफिक्र हो जाना वरन इन्सान तो आज अपनी परेशानियों में सब कुछ भूल गया हैं ! लेकिन अब त्यौहार मनाने की चिंता भी बड़ी होती जा रही हैं ! लोग आज त्योहारों का उपयोग भी दुसरो का दुःख बढ़ाने के लिए करते हैं ! त्यौहार किसी भी धर्म का हो लेकिन उसका मूल मकसद इंसानियत होना चाहिए ! एक दुसरे को बधाई देने का मजा तब होता हैं जब हमारे दिल में एक दुसरे के लिए प्रेम हो सद्भाव की भावना हो ! हम अपनी मानवता को न भूल बैठे ! तभी हम सही मायने में त्यौहार मना पायेंगे और हमारी परम्पराये भी जीवंत बनी रहेंगी ! महान महापुरुष इसी सद्भाव और प्रेम के कारण हमे ये त्यौहार सोप गये हैं अब इन त्योहारों की गरिमा को बनाये रखने का द़ायित्व हमारे समाज के हाथो में हैं कि इन त्योहारों की वजह से किसी की भावना आहत न हो ! हमारे देश में राम कृष्ण बुद्ध और भगवान् महावीर एक विशेष उद्दशेय के लिए इस धरती पर आये थे ! धर्म को स्थापित किया जाये और अधर्म को हटाया जाये ! हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता हैं कि यहाँ पर मनाये जाने वाले सभी त्यौहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके लोगो में प्रेम एकता और सद्भावना को बढ़ाते हैं ! भारत में त्योहारों और उत्सवो का सम्बन्ध किसी जाति धर्म भाषा और क्षेत्र से न होकर समभाव से हैं !<br />
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Unknownnoreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-72254735443768303142013-10-20T02:08:00.000-07:002013-10-20T02:33:06.774-07:00बुजर्ग हमारी धरोहर <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="font-size: medium;">बुजर्ग हमारी धरोहर </span><br />
बुजुर्गो का सम्मान करने और सेवा करने की
हमारी समाज की एक समृद्ध परंपरा रही है ! पर अब समय बदल रहा है !अब
बुजुगों की दुर्दशा हो रही है ! आश्चर्य है की जिस देश मे माँ और
पिता को पूजने की अवधारणा रही है !<br />
आजकल हम पढ़ते और सुनते है की
बुजुर्ग को खुद उनके पुत्र ही प्रताड़ित करते है ! लगभग 20 प्रतिशत
बुजुर्गो ने माना की बेटों पर आश्रित होने के कारण उनकी यह हालत हुई है
! लोक लाज के कारण बुजुर्ग चुप रहना पसंद करते है वो अपनी वास्तविक स्थिति
किसी को बताते नहीं है !एक सर्वे के अनुसार अस्सी प्रतिशत बुजुर्ग बेटों
पर निर्भर है !करीब बय्यासी प्रतिशत बुजुर्ग शारीरिक प्रताड़ना के शिकार
है !स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का लाभ मात्र पाँच प्रतिशत बुजुर्ग ही उठा
पा रहे है ! कई बुजुर्ग तो ऐसे है जिनकी सार संभाल करने वाला कोई नहीं
है ! जो बुजुर्ग आत्म निर्भरता का जीवन जी रहे है मगर फिर भी उनमें असुरक्षा
का भाव है ! माता पिता की देख रेख करने के लिए संतानों को क़ानूनी रूप से
बाध्य करने के विधेयक के तहत अनिवार्य है की बच्चे अपने पालकों और
बुजुर्ग की देखभाल अच्छी तरह से करे ! नए कानून के विधान के तहत बूढ़े माँ
बाप की देखभाल की ज़िम्मेदारी संतान की <br />
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjtetK0DJYauvZsSssV-cUKtdBts0os_gw-vtwpjDax61Yr_WTe9s3624xbLNO0I_eqiNMRoXDG-LPmAn8kVC-7ZC64paSUVHiqJMaoHE0y9ItYEhqicXcTX2dHOoQB2l7UwC2Euu8i0k-z/s1600/index.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjtetK0DJYauvZsSssV-cUKtdBts0os_gw-vtwpjDax61Yr_WTe9s3624xbLNO0I_eqiNMRoXDG-LPmAn8kVC-7ZC64paSUVHiqJMaoHE0y9ItYEhqicXcTX2dHOoQB2l7UwC2Euu8i0k-z/s1600/index.jpg" /></a>है ! माता पिता की सेवा को ईश्वर
की सेवा का दर्जा दिया गया है ! माँ बाप को देवता से ऊपर का स्थान दिया
गया है ! आज उसी देश मे माँ बाप की देखभाल के लिए कानून बनाना पड
रहा है ! यह घोर विडंबना है कि जिस देश मे राम , भीष्म और पुंडरिक
जैसे आज्ञाकारी पुत्र हुए जिस देश मे श्रवण कुमार अपने अंधे माँ बाप
को कावड मे बिठाकर तीर्थयात्रा करवाता था उसी भारत की संसद को माता पिता
की देखभाल करने के लिए कानून बनाना पड़ रहा है ! जिस समाज में बुजर्गो का
सम्मान न हो उन्हें अपनों से प्रताड़ना मिले ऐसे समाज को धिक्कार है !
अब तो हालत यह है कि चलने फिरने की हालत मे जो माँ बाप है उनको भी
अपने साथ कोई रखना नहीं चाहता है ! सब आज़ाद जीवन हा जीना चाहते है कोई बंदिश
नहीं चाहते ! आज रिश्तों की डोर इतनी कमजोर हो गयी है की स्वार्थ का
झटका उन्हें तोड़ सकता है ! हमारे आस पास ऐसे कई दर्जनों उदाहरण
भी मिल जायेंगे जंहा अच्छे ख़ासे कमाते बच्चे होने के बाद बुजुर्ग दर दर की
ठोकर खा रहे है ! दिल मे भी माता पिता के लिए जगह नहीं रह गयी है ! हम
लोग ये क्यों नहीं सोचते की हम भी एक दिन उम्र के उस पड़ाव पर
पहुँचेंगे जहा पर आज हमारे माता पिता बुजुर्ग है ! इस बच्चे को माता
पिता अपना सब कुछ दे देते है पालन पोषण करते है वही बच्चा एक दिन
उम्र के आखिरी मोड़ पर अपने माता पिता का साथ छोड़ देता है ! बजुर्गो
को दुत्कारो मत क्युकि झुर्रियो से भरे चेहरे और आशीर्वाद देते हाथो का
अपना एक अलग ही महत्व होता है ! पीड़ित बुज़ुर्ग ने घर मे मार पीट
गाली गलोच करने , समय पर खाना नहीं देने बात बात पर ताना मारने का
मामला भी दर्ज करवाए है केवल कानून बनाने से ही माता पिता के प्रति
नैतिक कर्तव्य की पूर्ति नहीं होगी ! इसके लिए लोगो को जाग्रत करने की
आव्यशकता है !</div>
Unknownnoreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-47880586459128159762013-09-06T10:47:00.000-07:002013-09-06T10:49:05.299-07:00सिर्फ इंतजार तुम्हारा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
सिर्फ इंतजार तुम्हारा<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEikCPY0p_h9ZBJD40mtZtkDQ6z3fJAjqY2N3zPaAQmE22pFmW7k_YdS6AM0vu2XKTP8Hq4v3uX6hRfon3c4Ey-Ha3ibDpEDz_mKWBgA9pHtKq8xOhwmS68M1s_R6Vi-iyKR4bR4cnzHNwbP/s1600/298741_144356902319735_5540348_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEikCPY0p_h9ZBJD40mtZtkDQ6z3fJAjqY2N3zPaAQmE22pFmW7k_YdS6AM0vu2XKTP8Hq4v3uX6hRfon3c4Ey-Ha3ibDpEDz_mKWBgA9pHtKq8xOhwmS68M1s_R6Vi-iyKR4bR4cnzHNwbP/s400/298741_144356902319735_5540348_n.jpg" width="166" /></a><br />
<br />
न किसी से शिकवा हैं न किसी से गिला<br />
समंदर सी गहराई लिए बस जिये जा रही हू<br />
बस जिये जा रही हू <br />
सारे जज्बात मेरे बिखर गए<br />
मन खामोश हैं मेरा ,<br />
बस जी रही हु सिर्फ तुम्हारी यादो के सहारे<br />
अब कोई ख़ुशी नहीं<br />
कब मिलूंगी तुमसे <br />
ये आस अभी भी दिल में लिए<br />
चल रही हू कभी तो समझोगे तुम<br />
मेरे मन की व्यथा<br />
उस लम्हे का इंतजार है अब तलक<br />
सिर्फ इंतजार तुम्हारा </div>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-88270354798511948402013-09-06T04:26:00.000-07:002013-09-06T04:30:03.518-07:00सपने <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="" style="clear: both; text-align: center;">
<br />
सपने </div>
<br />
<br />
सात रंग के<br />
सपनो से कैसे निकलू<br />
नहीं निकल पाती !<br />
सरल नहीं रहा मेरे लिए<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixqZ8T83FM8ZNlF3DTIeWVvUF8QGfdxqyB7vs2DIUY2Rc7bgbDawMCMH06u7snTcUt4t4GvGaIAiuN8ia6nf5nGh6abN_9nsPwAxxS5kqsCwOQUFLrY54fef78niMkwQCfo4TCLikTefy1/s1600/423929_227246407364117_1854704191_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="176" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixqZ8T83FM8ZNlF3DTIeWVvUF8QGfdxqyB7vs2DIUY2Rc7bgbDawMCMH06u7snTcUt4t4GvGaIAiuN8ia6nf5nGh6abN_9nsPwAxxS5kqsCwOQUFLrY54fef78niMkwQCfo4TCLikTefy1/s200/423929_227246407364117_1854704191_n.jpg" width="200" /></a></div>
अपने सपनो से दूर होना<br />
मेरे सपने मुझे जीने की ,<br />
वजह देते<br />
एक नया मकसद देते !<br />
कैसे भूल जाऊ मैं अपने<br />
सपनो को . ,<br />
मेरे सपने मुझे उम्मीद देते<br />
नई रोशनी देते<br />
सपने मुझे सरल बनाते<br />
सपनो को पूरा कर ,<br />
मैं सामना करना चाहती<br />
जहाँ का<br />
अपने सपनो को लेकर<br />
मैं चलना चाहती अविलंब<br />
और अनंत राहों पर <br />
मुझे मेरे सपनो के साथ<br />
जीना हैं<br />
मुझे मत रोको <br />
मेरे सपने मेरा<br />
जीवन हैं !<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-76834075251954179922013-09-03T09:51:00.000-07:002013-09-03T09:51:08.175-07:00नारी चाहे खुला आंसमा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
नारी चाहे खुला आंसमा <br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQprq9K9TuFtdZk3OZApyT2AUvEy0kcOT7jPBhSzhh2xMwt290sulRuD6Ur7wbAgL9v4F2bffLgnp4yZmE3_sBxkyMFTjB0SQev6Zp240qCpgPxZqgiXSdymeiXMENgfHwTekXuiuD9JVB/s1600/306098_151011724987586_3755209_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQprq9K9TuFtdZk3OZApyT2AUvEy0kcOT7jPBhSzhh2xMwt290sulRuD6Ur7wbAgL9v4F2bffLgnp4yZmE3_sBxkyMFTjB0SQev6Zp240qCpgPxZqgiXSdymeiXMENgfHwTekXuiuD9JVB/s1600/306098_151011724987586_3755209_n.jpg" /></a></div>
<br />
<br />
<br />
<span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> स्त्री का जीवन उसका ही नहीं बल्कि कई मायनों मे उसके परिवार और समाज कि गतिशीलता का परिचायक होता है ! स्त्री ही होती है जो लोगो की अच्छी सेवा कर सकती है दुसरो की भरपूर मदद कर सकती है ! जिन्दगी को अपनी तरह से प्यार कर सकती है !और मृत्यु को गरिमा प्रदान कर सकती है !</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> शुष्क व्यवहार और उपेक्षा सहते हुए भी स्त्री ने अपने सौंदर्य और सहजता को बहुत खूब सुरती के साथ बनाये रखा है ! आज स्त्री शक्ति कि उपेक्षा होती है !कन्याओ को जन्म नहीं लेने दिया जाता ! संतुलन सहन शीलता व् सर्जन का पर्याय है स्त्री ! महज समर्पण कि भावना के साथ जिंदगी जीना बहुत कठिन है जो स्त्री ही कर सकती है !जितनी तेजी से महिलाओ कि सोच बदली है समाज कहा बदला है ? !</span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">उनके खिलाफ उठने वाले हाथो को रोकना चाहिए ! प्राचीन काल में स्त्रियों को बोद्धिक आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा प्राप्त थी और घर के बाहर आने जाने और घुमने पर प्रतिबन्ध नहीं था ! महिलाए तीज त्योहारों में सम्मिलित होती थी ! उनकी नैतिकता का स्तर भी ऊचा था ! विदुषी स्त्रिया समाज में दार्शनिक विचार विमर्श और तर्क वितर्क मैं भाग लेती थी ! लेकिन मध्य काल में नारी की दशा बिगडती चली गयी ! मुग़ल काल मैं भारतीय नारी ने अपने सतीत्व के साथ अपने प्राणों की आहुति देने का कार्य किया ! आजाद भारत में महिलाओ ने सामाजिक व शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से तरक्की हासिल की ! वर्तमान मैं भी राजनीतिक क्षेत्र में महिला शक्ति का वर्चस्व कायम है ! लेकिन आज हम देखते है कि ग्रामीण क्षेत्रो में नारी की दशा आज भी बेहद ख़राब है !ग्रामीण अंचलो में नारी शिक्षा का प्रचार प्रसार होने के बावजूद अज्ञान की कालिमा नहीं मिटी है</span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">भारत दुनिया का एक एसा देश है जहा पर नारी और कन्या की पूजा होती है ! लेकिन सरकार कन्या और नारी की लाज बचाने में नाकाम हो रही है ! </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">नारी कल भी महान थी आज भी महान है ! बहुत से ऐसे उदाहरण है जिनसे ये प्रतीत होता है कि भारत के विकास के लिए आदर्शवादी नारियो ने अपनी क्षमता और योग्यता का परिचय दिया ! वर्तमान समय में महिलाएँ विभिन्न क्षेत्रो में उसे प्रशासनिक खेल राजनीति और विज्ञान ले क्षेत्र मैं अपना लोहा मनवा चुकी है ! नारी कमजोर नहीं है अबला नहीं है वह शक्ति है पर्याय है ! नारी शुरू से ही पुरुष को दिशा और बल प्रदान करती आ रही है !नारी के त्याग बलिदान और समर्पण के कारण ही प्राचीन भारत संपन्न और विकसित था !लेकिन आज के युग में हम देखते है कि नारी जिस सम्मान की हक़दार है उसे नहीं मिला ! पुरुष की सोच नारी के प्रति अति संकीर्ण होती जा रही है ! पुरुष की सोच में नारी सिर्फ भोग की वस्तु रह गई है ! इससे अच्छा भारत तो प्राचीन भारत का था जो मत्रसत्तामक था ! समाज में नारी का रूप कितना विकृत कर दिया है !संवेदनशील नारियो से अभद्र व्यवहार दुष्कर्म की घटनाएँ एक पाशविक कृत्य है ! एक समय वो भी था जब एक भारतीय नारी ने ऋग्वेद में सूक्तो की रचना की थी ! केकयी ने दशरथ के साथ युद्ध मैं भाग लिया था ! हर कदम पर लडकियों को बाहर जाने से रोका जाता है !लड़का कुछ भी कर सकता है लड़की करे तो सो सवाल खड़े हो जाते है !लड़का वर्जनाओ को तोड़ता है तो उस पर धयान नहीं दिया जाता है ! लड़की करती है तो उसे अपराधी बना दिया जाता है ! स्त्री की अपनी सत्ता है जिसको पुरुष प्रधान सत्ता तय नहीं कर सकता ! एक लड़की को सपने देखने का पूरा अधिकार है ! वह फैसला खुद करेगी की उसे क्या करना है क्या नहीं ! महादेवी वर्मा ने कहा था कि '' स्त्री हर तरह से जकड़ी हुई है उसको आजाद होना होगा उसे बन्धनों को तोडना होगा !</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">यह सच है कि आज भी भारत के कई हिस्सों मैं महिलाओ के साथ निर्लज्ज तरीके से छेड़ खानी भी की जाती है ! नारी देश की अधि आबादी है लेकिन शिक्षा केअभाव मे कई क्षेत्रो में नारी शिशन और उत्पीडन का शिकार हो रही है !उसे प्रताड़ित किया जाता है मानसिक यंत्रणा दी जाती है !आज नारी की शालीनता और गरिमा के साथ खिलवाड़ किया जाता है ! पंजाब में बड़े पैमाने पर कन्या भूर्ण हत्या हो रही है !हरियाणा पर अपना जीवन साथी चुनने वाली लड़कियों पर तो कहर बरसा है !कश्मीर में महिलाओ द्वारा बुर्क़ा पहनने की मांग की जाती है ! शहरी मध्य वर्ग में आज भी दहेज़ प्रताड़ना जैसी घटनाएँ हो रही है !इन सबसे यह साफ़ हो जाता है कि कब तक समाज लड़कियों को उनकी सुरक्षा के नाम पर दबाता रहेगा !लड़कियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं पर नेताओं के बयान आना अनुचित है ! में यह मानती हुं कि पुरुष स्त्री की भोग की वस्तु नहीं समझे !उसे भी समाज में पूरा मान सम्मान पाने का हक़ है परिवर्तन के इस दौर में नैतिक मूल्यों का हास बड़ी तेजी से हुआ है !लज्जा ही सदाचार को बनाये रखती है और उसी से व्यक्ति मर्यादा में रहता है ! पर आज के इस युग मैं देखे तो लगता है कि मनुष्य निर्लज होता जा रहा है ! ! हर मुकाम पर महिला के साथ अत्याचार बलात्कार और वो भी समर्थ लोगो द्वारा किसका दिल नहीं पिघलेगा भरेगा ! लगता है नारी एक अभिशाप है यही सच है ! आज जो भूर्ण हत्या होती है एक घोर पाप है ! दरिंदगी है ! इस कृत्य से खुद सभ्य समाज की महिलाएँ जुड़ीं हुई होती है आज पुरुष का नारी के प्रति व्यवहार भी बदल गया है ! उसके व्यवहार में पिछले कुछ वर्षो में गिरावट आई है ! !!खुद स्त्री को भी आत्म निर्भर और मजबूत बनने की जरुरत है तभी सही मायने में महिला सशक्तीकरण करना होगा !सरकार को भी महिलाओ की सुरक्षा के बारे में विचार करने की जरुरत है !शायद महिलाएं भूल गयी है संगठन मे शक्ति होती है ! हमारे देश की महिलाओ को भी संघठित होकर अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठाने की जरुरत है !महिलाओ को गलत शोधक पुरुषों को सुधारना होगा और ये कोई मुश्किल कार्य नहीं है !स्त्री चाहे तो समाज व समाज के लोगो मे बदलाव ला सकती है !एक समय था जब परिवार समाज महिलाओ की रक्षा करता था आज ये ही दायित्व महिला आयोग का है ! आज महिलाओ की असुरक्षा बढती जा रही है आए दिन उनके साथ दुष्कर्म की घटनाएँ घटती रहती है आज लड़कियों और महिलाओ को नारी को देश की आधी आबादी माना जाती है ! समाज और देश के आगे बढ़ाने मे नारी का पूरा योगदान होता है !और अगर हमे देश और समाज को सशक्त बनाना है तो नारी जाति को सशक्त बनाने की बहुत जरुरत है !एक महिला अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देती है और यही बच्चे हमारे देश के भावी कर्णधार है ! परिवार के सदस्यों को एक नारी नैतिकता का पाठ पढ़ा कर उनके चरित्र को उन्नत बनाये रखती है ! एक नारी की अपनी सभ्यता और संस्कृति को बनाये रखने मे बहुत बड़ी भूमिका होती है ! यह सवाल उठ रहा है कि क्या पत्नियों को पति की कमाई से हिस्सा मिलना चाहिए ! ।पत्नी को पति के वेतन का कुछ हिस्सा पाने का हक़ है ! अगर ऐसा हुआ महिला सशक्त होगी सामाजिक और आर्थिक रूप से सबल होगी ! अश्लील एस एम एस पर सरकार ने जो कानून बनाया है वो सही है !इससे महिलाओ के बढ़ते उत्पीडन पर लगाम लगेगी ! महिलाओ को आत्म निर्भर बनने की जरुरत है तभी महिलाएँ सही अर्थ मे सशक्त बनेगी ! नारी को अपने स्वरूप को पहचानना होगा ! नारी ही समाज को धर्म संस्कृति और पहचान देती है ! नारी की अत्यधिक महत्वकंशाओ का दोहन हो रहा है ! नारी के संस्कार बच्चों में आते है !और बच्चे ही भारत का भविष्य है !बच्चों को गुण वान और चरित्र वान बनाना भी नारियो को कर्त्तव्य है ! पुरुष प्रधान समाज को प्रधानता भी नारिया ही देती है ! सांस्कृतिक परम्पराओं को कुछ समय के लिए बदलना भी चाहिए !बिहार मे लड़कियों को स्कूल भी उत्साह के साथ भेजा जाने लगा है ! मे यह मानती हु कि पाश्चात्य संस्कृति अपनाने के कारण नारी अपनी पहचान खोती जा रही है ! और इसका परिणाम उसकी दुर्बलता के रूप मैं सामने आता है ! महिला संगठन भी महिलाओ के ऊपर हो रहे अत्याचारों के प्रति गंभीर नहीं है ! हमारे समाज के पुरोधा कहते है कि लड़कियों की शादी जल्दी कर दो सुधार का कोई और तरीका उन्हें नजर नहीं आता ! </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">गरीब महिलाए आज भी उपेक्षित है उनकी कही सुनवाई नहीं होती है ! आज हमारा देश चाहे कितनी हे तरक्की कर ले लेकिन आज भी महिलाओ के साथ बदसलुकी की घटनाए देखने को मिलती है उनका शोषण किया जाता है अंत मे वो आत्म हत्या करने पर मजबूर हो जाती है और उस पर भी सारा दोष उसी पर ड़ाल दिया जाता है और उसे चरित्रहीन होने की संज्ञा दी जाती है जबकि पुरुष उसकी इस हालत का पूरा जिम्मेदार होता है ! दिल्ली में हुई घटना हम सबके लिए चुनोती है ! समाज में नेतिकता का स्टार निरंतर गिरता जा रहा है ! युवा दिशा भ्रमित होते जा रहे है ! नेतिक मूल्य इस समय तेजी से रसातल की और चले जा रहे है ! बेहतर भविष्य बनाने के लिए देश की नाजुक परिस्थतियो को बदलना होगा ! तभी ऐसे अपराध रुक सकेंगे और भारतीय संस्कृति का सम्मान बना रहेगा ! !लेखक और बुद्धिजीवी वर्ग के सामने ये बहुत बड़ी चुनोती है ! यह सभी घटनाए सशक्त कानून के अभाव का परिणाम है ! ! जिस देश में नारी की पूजा होती है वही पर कन्या भूर्ण हत्या हो रही है ! बहुओ को दहेज़ के लिए जला दिया जाता है ! हमारे मूल्य क्या हो गए है माँ और स्त्री का सम्मान नहीं कर पा रहे है ! पुरुषो की </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> मानसिकता में बदलाव की जरुरत है ! नारी की अस्मिता की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है ! हमे सुसंस्कारित पीढ़ी के निर्माण में अपना योगदान देना होगा ! </span><br />
<span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">स्त्रियों की विकास और नौकरियों मे ज्यादा भागीदारी होनी चाहिए तभी देश और समाज सही अर्थों मे विकास कर पायेगा ! क्युकी एक नारी की अपनी सभ्यता और संस्कृति को बनाये रखने मे बहुत बड़ी भूमिका होती है !समाज में नारी जाति के विकास के लिए समुचित प्रयास किया जाना चाहिए ताकि वो होंसले और आत्म विश्वास के साथ आगे बढ़ सके ! नारी जाति के विकास से ही भारत अपनी प्रतिष्ठा सम्मान और गौरव को पुनः प्राप्त कर सकता है ! नारी जगी तो संसार जागा सरकार को नारियो के लिए एसी योजनाएँ बनानी होगी जिससे नारी सशक्त हो ! ये कैसा है जहा आज भी आधी आबादी पर एक तरफ़ा फैसले थोपे जाते है ! महिलाओ की स्थति को बेहतर बनाने के लिए महिलाओ को राजनीति मे आगे आना ही चाहिए तभी महिलाओ के प्रति बढ़ते दुष्कृत्यो मे कमी आएगी और महिलाए सशक्त बनेगी !</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">नारी की दास्ताँ अजीब है ! भारत देश को आजाद हुए इतने वर्ष हो गए मगर नारी को अभी भी बराबरी का दर्जा नही मिला है !उसको सुरक्षा और सम्मान देने की बात सब करते है उसे देवी मानते है लेकिन आज भी नारी की समाज में स्थति दयनीय है !</span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">!नारी ने हर युग में कठिन परीक्षा दी है !लेकिन क्या आधुनिक युग में नारी को अपना करने की आजादी मिली है ! नारी हमेशा पुरुष के इशारो पर क्यों नाचती है ? अगर किसी नारी के साथ गलत होता है तो समाज और परिवार के लोग सारा दोष उस पर मढ़ देते है क !उस पर उंगलिया उठाई जाती है !उस महिला के साथ किसी की सहानुभूति नजर नहीं आती है ! क्यों नारी की पीड़ा और दर्द को समझा नहीं जाता ! आज महिला को घर से अकेले निकलने नहीं दिया जाता उसे अपने मन के कपडे पहनने नहीं दिया जाता !आज सब आधुनिक युग में जी रहे है फिर भी महिलाओ को वो सम्मान और हक़ नहीं मिल रहा है जिसकी वो हकदार है </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">अशिक्षित महिलाओ को अपने अधिकारों की जानकारी न होना और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक न होना महिला पीड़ा का सबसे बड़ा कारण है! यह सही बात है कि बिना शिक्षा और क़ानूनी जागरूकता के वर्तमान युग मैं महिलाओ को अधिकार और सम्मान मिलना मुश्किल है</span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">!क्यों बेटा और बेटी में लिंग भेद किया जाता है ! क्यू उसे कोई अपना कार्य चुनने की आजादी नहीं है ! कब हमारे समाज के लोगो की सोच महिलाओ और बेटियों के प्रति !बदलेगी क्यों हम नारी के साथ और उसकी भावनाओ के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे ! आज देखा जाये तो देश का नाम भारतीय नारी से ही रोशन हुआ है !आज बड़े राजनीतिक पदों पर महिलाए हे है अगर हम महिलाओ को बराबरी का दर्जा देंगे तो हम एक खुशहाल और सुनहरे भविष्य का निर्माण करेंगे !</span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">जिस देश में नारी को पूजा जाता था उसी देश में सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर स्त्री की दशा दयनीय है ! आम महिला अपने अधिकारों से वंचित है !समाज के नैतिक पतन का परिणाम है कि महिलाओ को पारिवारिक हिंसा का शिकार होना पड़ता है ! लेकिन आज हम देखते है कि शीर्ष पदों पर पहुचकर महिलाए महिला शक्ति का परचम लहरा रही है ! परन्तु आज भी परिवार में महिला अपनी जिम्मेदारियों और घरेलु हिंसा व पाटो के बीच पिसती चली जा रही है महिलाओ के प्रति अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे ! महिलाओ के प्रति भेदभाव करने के मामले समाज के लिए नए नहीं है !सालो से चल रहे महिला सशक्तिकरण के अभियानों के बावजूद भी महिलाए उपेक्षा का शिकार हो रही है ! पिछले दस सालो में इसमें पचपन फीसदी की बढ़ोतरी हुई ! महिलाओ पर होने वाले अत्याचारों में महिलाओ की भी अहम् भूमिका को नकारा नहीं जा सकता !! कन्याओ को कोख में मारे जाने में महिलाओ की भूमिका ज्यादा होती है ! महिलाओ पर होने वाले घरेलु अत्याचारों में भी महिलाओ की भूमिका अहम् होती है !</span><br />
<span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">नारी हमारे देश की आधी आबादी मानी जाती है </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">स्त्री के बारे मे साहित्य मे इतना लिखा गया कि शब्द कम पड़ गए ! स्त्रियों ने खुद के बारे मे लिखना और सोचना शुरू कर दिया !स्त्री समस्त सौंदर्य का सार है ! सामाजिको ने कहा कि स्त्री दया ,ममता करुना कि मूर्ति है वो त्याग कि मिसाल है स्त्री द्रितियक है !</span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">जहा हमारे देश मे नारी को पूजा जाता है वही समाज मे ओछी मानसिकता के लोग अजन्मी बेटी को मारने का पाप करते है ! आज जरुरत है बेटी को बचाने की</span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">महिलाओ को जागरूक होने की जरुरत है उनका दायित्व ज्यादा बनता है ! ! देश मे एक तरह से अजन्मी कन्याओ के खिलाफ युद्ध चल रहा है ! उनका क़त्ले आम हो रहा है इस युद्ध को रोकने की जरुरत है !यह युद्ध केवल कानून बनाने या दंड देने से ही नहीं रुकने वाला इस युद्ध को रोकने के लिए लोगो का की सोच मे बदलाव लाना होगा</span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">पुरुषवादी मानसिकता में बदलाव लाना होगा ! समाज उत्पिदाको पर कोई रहम ना करे उनका बहिष्कार हो गलत लोगो का बहिष्कार नहीं होगा तो उनका दुस्साहस बढेगा कड़े कानून बने ! देश का कोई भी कोना एसा नहीं है जहा महिला शोषण नहीं होता हो ! महिला शोषण के आंकड़े भयावह है महिलाओ को न्याय दिलाने के लिए कानून तो बहुत बने है लेकिन उनका ठीक से पालन नहीं होता ! इस कारण ही अपराधियों का दुस्साहस बढता है </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">आखिर समय ने कहा .स्त्री भी मनुष्य है .न कम न ज्यादा न माया न रूप न शक्ति न अबला ! स्त्री आने वाले जीवन कि एक नयी संभावना है ! स्त्री जीवन कि गहराइयों से स्त्रिया ही वाक़िफ़ होती है ! </span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">! शास्त्रों मे नारी को पूजनीय बताया गया है! आज महिलाए हर क्षेत्र मैं काम कर रही है !चाहे वो राजनीति या सामाजिक कार्य का ! सबसे बड़ी बात तो यह है कि वर्तमान में महिलाए केंद्रीय मंत्रिमंडल मैं शामिल है फिर भी महिलाओ के प्रति अपराध बढ़ते जा रहे है !</span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">महिलाओ को बराबरी का दर्जा दिलाना है तो खुद महिलाओ को इस दिशा में प्रयास करना होगा और सकारात्मक कदम उठाना होगा ! समाज में संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओ के समानाधिकार और सुरक्षा देने के लिए विश्व भर में कुछ नीतिया ,कार्य क्रम और मानदंड निर्धारित किये गए है ! किसी भी समाज में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक समस्याओ का निराकरण महिलाओ की समझेदारी के बिना नहीं हो सकता इसलिए समाज में महिलाओ की स्थति को मजबूत करना बहुत जरुर्री है ! आज हम महिला दिवस को व्यापक रूप में मानते है ! महिलाओ के विकास की बात करते है ! समाज राजनीति , फिल्म और साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओ को सम्मानित किया जाता है ! धीरे धीरे परिस्थतिया बदल रही है और महिलाए पुरुष के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चल रही है ! माता पिता अब बेटा बेटी में कोई फर्क नहीं करते है ! महिलाओ को सशक्त करना जरुरी होगा क्युकि महिलाए ही देश के विकास में महत्व पूर्ण भागीदारी निभाएंगी</span><span style="background-color: white; font-family: Imprima, sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span></div>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-9456735110451504992013-09-03T03:58:00.000-07:002016-02-07T09:20:59.459-08:00नारी समाज का अतीत , वर्तमान और भविष्य <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhGiNqQPczXH7wBM2ie_2Ti7U6mS4N9RFPWWMOfUv8jVVXqtoOxlxhyphenhyphenSNFRi68e_ADmKeJmgKq5aVMWu7RobF0hwpywC9EMjgIO6ZC9TC9IArF5oEs5qbDzw8My61ELCTJXjMhieGyHJwI/s1600/RoopangarhWomen.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhGiNqQPczXH7wBM2ie_2Ti7U6mS4N9RFPWWMOfUv8jVVXqtoOxlxhyphenhyphenSNFRi68e_ADmKeJmgKq5aVMWu7RobF0hwpywC9EMjgIO6ZC9TC9IArF5oEs5qbDzw8My61ELCTJXjMhieGyHJwI/s640/RoopangarhWomen.jpg" width="640" /></a></div>
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नारी समाज का अतीत , वर्तमान और भविष्य <br />
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किसी संस्कृति को अगर समझना हो तो सबसे आसान तरीका हैं कि हम उस संस्कृति में नारी के हालात को समझने की कोशिश करे स्त्रिया समाज के सांस्कृतिक चेहरे का दर्पण होती हैं ! अगर किसी देश में स्त्रियों का जीवन उन्मुक्त हैं तो इसका सीधा आशय यह निकलता हैं कि उस देश का समाज एक उन्मुक्त समाज हैं !<b style="font-family: Arial; margin: 0px; padding: 0px;">वात्सल्य</b><span style="font-family: "arial";">, स्नेह, कोमलता, दया, ममता, त्याग, बलिदान जैसे आधार पर ही सृष्टि खड़ी है। और ये सभी गुण-एक साथ नारी में समाहित हैं। नारी-प्रेम त्याग का प्रतिबिंब है। नारी के अभाव में मानव जीवन शुष्क है और समाज अपूर्ण। नारी, संसार की जननी है। मातृत्व, उसकी सबसे बड़ी साधना है।</span> <span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">निर्विवाद रूप में नारी की यह विशेषता है कि वह जन्मदात्री है, सृष्टि सृजन करती है, जीवन की समूची रस-धार उसी पर आधारित है, लेकिन पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव, नारी संदर्भ में भारतीय समाज में भी, अब दूर से ही </span><span style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">पहचाना</span><span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> जा सकता है। व</span><span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">र्तमान सामाजिक संदर्भ में, व नारी की दशा और दिशा में, क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है</span> कोई भी समाज एक जगह स्थिर नहीं रहता हर पल बदलता रहता हैं ! हर पल बदलते समाज में महिलाओ की असल सूरत को पहचान पाना मुश्किल हैं ! <span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> वर्तमान युग, चेतना का युग है। तकनीकी उपलब्धियों का युग है तथा प्राचीन मूल्यों में परिवर्तन कायुग है। गत शताब्दी ‘महिला जागरण का युग’ रही। 8 मार्च ‘विश्व महिला दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। नारियों को प्रगति पथ पर प्रेरित करने हेतु राजाराम मोहन राय, महात्मा गांधी, जो महती योगदान किया, उसी कारण वर्तमान ‘नारी- में नारी की स्थति में सुधार हुआ हैं </span><span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> !</span><span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">इक्कीसवीं शताब्दी में भारतीय नारी अपनी लक्ष्मण रेखाओं को छोड़ अबलापन की भावना से हटकर विकास के पथ पर चढ़ रही है। वह किरण बेदी है, तो साथ ही कल्पना चावला भी है, । जहां-जहां, उसका दिशा बोध डगमगाया है, वहीं उसका पतन भी चरम पर पहुंचा है। </span> <span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"><b style="margin: 0px; padding: 0px;">पश्चिमी</b> सभ्यता के संक्रमण के कारण जहां नारी-जीवन में विविध बदलाव आये हैं, वहां यौन शुचिता भी संक्रमित हुई है। यथार्थ के नाम पर नग्नता को अपनाया जा रहा है। टी.वी. चैनलों पर प्रसारित धारावाहिकों में नारी को अलग रूप में दिखाया जा रहा हैं जो धीरे-धीरे पूर्ण समाज का सत्य बनता जा रहा है। षड्यंत्रकारी भूमिका में नारी का के पर्दे चित्रण हो रहा है ! जो वास्तविक जीवन में अपने पांव पसार चुका है। निःसंदेह आज नारी को समानाधिकार प्राप्त हैं लेकिन फिर भी वह दहेज की खा</span><span style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">तिर</span><span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">, जलाई जाती है । कदम-कदम पर तिरस्कृत होती है। प साहित्यकार अमृता प्रीतम के शब्दों में- </span></div>
<div style="font-family: arial, sans-serif;">
<span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"><b style="margin: 0px; padding: 0px;">‘...मैं</b> नहीं मानती कि यह सभ्यता का युग है... सभ्यता का युग तब आयेगा, जब औरत की मर्जी के बिना उसका नाम भी होठों पर नहीं आयेगा, ! शिक्षा प्रसार के साथ-साथ नारी की जड़-मानसिकता में तीव्र परिवर्तन हुआ है। </span>नारी ने शुष्क व्यवहार उपेक्षा की मार झेलते हुए भी अपने सौंदर्य और सहजता को किस ख़ूबसूरती के साथ बनाए रखा हैं ! खूबसूरत नारी खुद अपनी अनुयाई होती हैं ! <span style="color: black; font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="color: black; font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">प्राचीन काल में स्त्रियों को आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा प्राप्त थी और घर के बाहर आने जाने और घुमने पर प्रतिबन्ध नहीं था ! महिलाए तीज त्योहारों में सम्मिलित होती थी ! उनकी नैतिकता का स्तर भी ऊचा था ! विदुषी स्त्रिया समाज में दार्शनिक विचार विमर्श और तर्क वितर्क मैं भाग लेती थी ! लेकिन मध्य काल में नारी की दशा बिगडती चली गयी ! मुग़ल काल मैं भारतीय नारी ने अपने सतीत्व के साथ अपने प्राणों की आहुति देने का कार्य किया ! आज़ाद भारत में महिलाओ ने सामाजिक व शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से तरक्की हासिल की ! वर्तमान मैं भी राजनीतिक क्षेत्र में महिला शक्ति का वर्चस्व कायम है ! </span><span style="font-family: "arial";">शिक्षा एवं आर्थिक स्वतंत्रता ने नारी को नवीन चेतना दी है। पुरुष नियंत्रित समाज में नारी, आज आत्मविश्वास से भरी हुई हैं !। यदि नारी में निर्भीकता और स्पष्टवादिता है, तो वह कहीं पर भी और कभी भी कुंठाग्रस्त नहीं होती। </span><span style="font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">आज हम महिला दिवस को व्यापक रूप में मानते है ! महिलाओ के विकास की बात करते है ! समाज राजनीति , फिल्म और साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओ को सम्मानित किया जाता है ! धीरे धीरे परिस्थतिया बदल रही है और महिलाएँ पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रही है !</span><span style="font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="color: black; font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> माता पिता अब बेटा बेटी में कोई फर्क नहीं करते है ! महिलाओ को सशक्त करना जरुरी होगा क्युकि महिलाएँ ही देश के विकास में महत्व पूर्ण भागीदारी निभाएंगे !</span><span style="color: black; font-family: "times new roman"; font-size: small;"> </span><span style="color: black; font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">लेकिन आज हम देखते है कि गाँवों में नारी की दशा आज भी बेहद ख़राब है गाँवों </span><span style="font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> में नारी शिक्षा का प्रचार प्रसार होने के बावजूद अज्ञान की कालिमा नहीं मिटी है ! अशिक्षित महिलाओ को अपने अधिकारों की जानकारी न होना और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक न होना महिला पीड़ा का सबसे बड़ा कारण है! यह सही बात है कि बिना शिक्षा और क़ानूनी जागरूकता के वर्तमान युग मैं महिलाओ को अधिकार और सम्मान मिलना मुश्किल है !</span><span style="font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">!</span><span style="font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="font-family: "arial";"> </span><span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> भूमण्डलीकरण, नारियों के लिए एक ऐसी चक्की है, जिसमें उन्हें पीसा जा रहा है। इसका एक चेहरा बेबस, गरीब नारी है, जिसकी आंखों में उसके भूखे बच्चे के प्रति उसकी वेदना समाई हुई है, तो उसका दूसरा चेहरा, उस लड़की का है- जिसका मुंह गु</span><span style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">स्से</span><span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> से तमतमाया हुआ है। । नारी का छद्म रूप दिखाकर उन असंख्य नारियों की वेदना नहीं छिपाई जा सकती, जो गांवों में रहती हैं। नारियों का वास्तविक स्वरूप वही है, जो गांवों में अभावों से जूझती और रूढि़यों में जकड़ी नारियों में, दिखाई देता है</span></div>
<span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">नारी में भी नैतिकता का भारतीय परम्परागत भाव तिरोहित हो रहा है। समय और स्थान के अनुसार मान्यताओं में शीर्षासन होता रहा है, लेकिन प्रदर्शन की होड़ में, वर्तमान नारी स्वयं चीरहरण में लगी है। सात्विक रूचि और कलात्मकता, उदारीकरण की बयान में बह गई है। संबंधों के बीच से प्रेम और स्नेह गायब हो रहा है। नारी भी, आत्मकेन्द्रित हो रही है। इसी के अनुरूप बदल रहा है - आधुनिक नारी का-मूल भाव। <span style="font-family: "times new roman"; font-size: small;"> पिछली सदी में जब हम लड़कियों की बात करते हैं तो हर तरफ लगभग एक ही सूरत नजर आती थी !पहनावे जरुर अलग थे लेकिन जमीनी तौर पर पुरे देश मैं महिलाओ की स्थिति एक सी थी ! उनका चेहरा सामाजिक गतिशीलता की एक कहानी सुनाता था ! लड़कियों के कई तरह के चेहरों का आना शुरू हुआ ! आज भारत में लड़कियों की तीन तरह की सूरते हैं पहली सूरत गॉंव और कस्बो में जन्मी पली बढ़ी और गुजर बसर करने वाली लडकियों की ! इनका चेहरा खुली किताब हैं ! दूसरा चेहरा महानगरो की लडकियों का जिनका आधुनिक होना बहुत सहज हैं उनके मन में परम्पराओं की कोई गाँठ शेष नहीं हैं ! इन लडकियों ने जनम से ही उन्मुक्त जीवन जिया हैं उनकी स्वतंत्रता नेसर्गिक हैं ! तीसरी सूरत मध्य वर्ग की उन लडकियों की जिसकी जड़े अब तक तथा कथित अविकसित इलाको से ही जुडी हैं पर जिन्दगी का सफ़र महानगरों तक फ़ैल गया ! बचपन से एसी लड़कियों को पारिवारिक संस्कार दिए जाते हैं उन्हें बताया जाता हैं क्या हैं एक स्त्री का फर्ज !उनका चरित्र और व्यक्तित्व इस तरह से गढा जाता हैं कि वह समाज और परिवार के प्रति जिम्मेदार बने ! इन चेहरों पर आत्म विश्वास झलकना चाहता हैं लेकिन मन में अद्रशय शक्तियों का भय अब तक हैं ! इनके ख़ुशी की लालसा भी हैं !</span><br style="margin: 0px; padding: 0px;" />‘ </span><span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> </span><span style="font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">शीर्ष पदों पर पहुँचकर महिलाएँ महिला शक्ति का परचम लहरा रही है ! परन्तु आज भी परिवार में महिला अपनी जिम्मेदारियों और घरेलु हिंसा व पाटो के बीच पिसती चली जा रही है महिलाओ के प्रति अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे ! </span><span style="font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">महिलाओ पर होने वाले अत्याचारों में महिलाओ की भी अहम् भूमिका को नाकारा नहीं जा सकता !! कन्याओ को कोख में मारे जाने में महिलाओ की भूमिका ज्यादा होती है ! महिलाओ पर होने वाले घरेलू अत्याचारों में भी महिलाओ की भूमिका अहम् होती है ! महिलाओ को बराबरी का दर्जा दिलाना है तो खुद महिलाओ को इस दिशा में प्रयास करना होगा और सकारात्मक कदम उठाना होगा !</span><span style="color: black; font-family: "times new roman"; font-size: small;"> </span><span style="font-family: "arial" , sans-serif;">आज वर्तमान में नारी की अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं ! आज समाज को स्वामी को दयानंद सरस्वती , गोखले , तिलक जैसे महान सुधारको की जरुरत हैं जो समाज मैं जनजागरण ला सके ! समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना करनी होगी ! वर्तमान में समाज को सही दिशा देने वाले नेताओं की कमी खल रही हैं !</span><span style="font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> समाज में संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओ के समानाधिकार और सुरक्षा देने के लिए विश्व भर में कुछ नीतियाँ ,कार्य क्रम और मानदंड निर्धारित किये गए है ! किसी भी समाज में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं का निराकरण महिलाओ की साझेदारी के बिना नहीं हो सकता इसलिए समाज में महिलाओ की स्थति को मजबूत करना बहुत ज़रुरी है !</span><span style="font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;">महिलाओ के प्रति भेदभाव करने के मामले समाज के लिए नए नहीं है !सालो से चल रहे महिला सशक्तिकरण के अभियानों के बावजूद भी महिलाए उपेक्षा का शिकार हो रही है !</span><span style="font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> </span><span style="font-family: "arial";">विज्ञापन में नारी-देह का धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है। नारी का नंगापन, उसकी स्वतंत्रता का सूचक नहीं है। वर्तमान समय में भी समाज में नारी का स्थान कुछ वैसा ही है, जैसा-किसी दुकान, मकान, आभूषण अथवा चल-अचल सम्पत्ति हो। वर्तमान प्रधान समाज को अपनी सामंती सोच एवं संकीर्ण मानसिकता, सड़ी-गली व्यवस्था, रूढि़गत कुप्रथा को नारी-उत्कर्ष हेतु तिलांजलि देनी ही होगी। पुरुषों को इस प्रकार का वातावरण तैयार करना होग, जिससे नारी को एक जीवंत-मानुषी, जन्मदात्री एवं राष्ट्र की सृजनहार समझा जाये, न कि मात्र </span><span style="font-family: "arial" , sans-serif;"> भोग्य की वस्तु !</span></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">
दैनिक जीवन में महिलाओ द्वारा कठिनाई झेलने के बावजूद भी चीज़े बेहतर हुई हैं ! और एक ऐसी गति भी आई हैं जिसकी उम्मीद दो दशक पहले तक नहीं की जा सकती ! पिछली सदी में जब हम लड़कियों की बात करते हैं तो हर तरफ लगभग एक ही सूरत नजर आती थी !पहनावे ज़रुर अलग थे लेकिन ज़मीनी तौर पर पूरे देश मैं महिलाओ की स्थिति एक सी थी ! उनका चेहरा सामाजिक गतिशीलता की एक कहानी सुनाता था ! लड़कियों के कई तरह के चेहरों का आना शुरू हुआ ! आज भारत में लड़कियों की तीन तरह की सूरत हैं पहली सूरत गॉंग और कस्बों में जन्मी पली बढ़ी और गुजर बसर करने वाली लड़कियों की ! इनका चेहरा खुली किताब हैं ! दूसरा चेहरा महानगरों की लड़कियों का जिनका आधुनिक होना बहुत सहज हैं उनके मन में परम्पराओं की कोई गाँठ शेष नहीं हैं ! इन लड़कियों ने जन्म से ही उन्मुक्त जीवन जिया हैं उनकी स्वतंत्रता नेसर्गिक हैं ! तीसरी सूरत मध्य वर्ग की उन लड़कियों की जिसकी जड़े अब तक तथा कथित अविकसित इलाक़ो से ही जुड़ीं हैं पर जिंदगी का सफ़र महानगरों तक फैल गया ! बचपन से एसी लड़कियों को पारिवारिक संस्कार दिए जाते हैं उन्हें बताया जाता हैं क्या हैं एक स्त्री का फर्ज !उनका चरित्र और व्यक्तित्व इस तरह से गढा जाता हैं कि वह समाज और परिवार के प्रति जिम्मेदार बने ! इन चेहरों पर आत्म विश्वास झलकना चाहता हैं लेकिन मन में अद्रशय शक्तियों का भय अब तक हैं ! इनके चेहरे पर लालसा हैं ख़ुशी की ! वर्तमान में देखे तो आज की नारी कई मायने में स्वतंत्र भी हुई हैं और एक लम्बी उडान भरना चाहती हैं ! कुछ करना चाहती हैं एक नए हिम्मत और होंसले के साथ !<span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; font-size: small; margin: 0px; padding: 0px;">सामाजिक/राजनीतिक/शैक्षि</span><span style="color: #222222; font-family: "arial"; font-size: small; margin: 0px; padding: 0px;">क</span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; font-size: small; margin: 0px; padding: 0px;">/व्<wbr></wbr>यवसायिक आदि तथा कला एवं साहित्य के क्षेत्र में नारी सम्मानित हुई है। समाजवादी नारी भावना का निरंतर विकास हो रहा है। वास्तव मे। ।</span><span style="color: #222222; font-family: "arial"; font-size: small;">!</span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; font-size: small; margin: 0px; padding: 0px;">नारी पर जो बंधन/सीमा नियंत्रण थे, वह इन सबसे मुक्ति पा रही है। वर्तमान समाज में अर्थ प्रधान संस्कृति का बोलबाला है। विकास के नाम पर नारी स्वच्छंद जीवन व्यतीत कर रही है। नारी-जीवन मूल्यों में आमूल परिवर्तन हुआ है</span> भारत में व्यव्साइक शिक्षा हासिल करने वाली महिलाएँ दुनिया के किसी भी मुल्क से ज्यादा हैं !नौकरी करने वाली महिलाएँ भारत देश में ज्यादा हैं ! भारत में अमेरिका से ज्यादा महिलाए प्रोफ़ेसर और seientist हैं ! अमीर देशो मैं जो सुधार 100 वर्ष में आया वह निम्न और मध्यम वर्ग वाले देशो में महज 40 वर्ष में आ गया ! भारत में मातृ सत्तामक समुदायों की महिलाओ में स्वछंद और अनैतिक व्यवहार को बढ़ावा देने वाले कहकर आलोचना हुई ! मातृसत्तात्मक परिवारों की महिलाओ को वेश्याओ के लिए आरक्षित तिरस्कार के साथ बर्ताव किया गया ! एसा इसलिए हुआ कि वो जीवन साथी अपनी इच्छानुसार बदल सकती थी ! आज वर्तमान युग में हमारी आधी आबादी के खिलाफ यौन हिंसा खत्म करने से बड़ा कोई मुद्दा नहीं हो सकता ! वर्तमान में महिलाओ की इतनी दुर्दशा क्यू हो रही हैं ? ये सवाल महत्वपूर्ण हैं ! आज बेटियों की संख्या कितनी कम रह गई ये सोचने वाली बात हैं ! सवाल बस इतना सा हैं कि हम कैसा जीवन चाहते हैं कैसी कुदरत चाहते हैं जो स्त्री के बिना सोची जा रही हैं ! शक्ति के बगैर शिव को शव ही माना जायेगा ! कृष्ण की बात करे तो राधा का संग पाकर ही सोलह कलाओ से परिपूर्ण होते हैं ! आज अगर नारी जीवन की उपेक्षा होती हैं ऐसे में हम मनुष्य भी नहीं रह सकेंगे ! मातृ शक्ति को हर रूप में समानता देनी होगी एसा नहीं हुआ तो असंतुलन होगा ! हमे कोशिश करनी होगी बेटियों को बचाने की और नारी शक्ति का सम्मान करने की !<span lang="HI" style="font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"><b style="margin: 0px; padding: 0px;">नारी</b>-विवाह संस्था को धुरी रही है, लेकिन वर्तमान सामाजिक संदर्भ में विवाहेत्तर संबंध खुले आम प्रदर्शित हो रहे हैं तथा उन्हें सामाजिक स्वीकार भी लिमता है। यह स्थिति बेहद खतरनाक/विस्फोटक है। पति-पत्नी के जन्म-जन्मांतर के साथ का, मिथक टूट चुका है। , उसने अपना व्यक्तित्व प्राप्त कर लिया है। पत्नी कथा की पीड़ा और वेदना अब कम हुई है। आज की नारी-मध्यकालीन आदर्शों से भिन्न सामंती सभ्यता से विच्छिन्न हो, अपने जीवन के प्रति सजग होकर जीव नयापन करने को स्वच्छंद है !<span style="color: black; font-family: "imprima" , sans-serif; font-size: 16px; line-height: 25.59375px;"> आज की </span><span style="color: black; font-family: "times new roman"; font-size: small;"> नारी कुछ करना चाहती हैं एक नए हिम्मत और होंसले के साथ ! भारत में व्यव्साइक शिक्षा हासिल करने वाली महिलाएँ दुनिया के किसी भी मुल्क से ज्यादा हैं !नौकरी करने वाली महिलाएँ भारत देश में ज्यादा हैं ! भारत में अमेरिका से ज्यादा महिलाएँ प्रोफ़ेसर और seientist हैं ! नारी ने शुष्क व्यवहार उपेक्षा की मार झेलते हुए भी अपने सौंदर्य और सहजता को किस ख़ूबसूरती के साथ बनाए रखा हैं ! खूबसूरत नारी खुद अपनी अनुयाई होती हैं ! अमीर देशो मैं जो सुधार 100 वर्ष में आया वह निम्न और मध्यम वर्ग वाले देशो में महज 40 वर्ष में आ गया ! भारत में मातृ सत्तामक समुदायों की महिलाओ में स्वछंद और अनैतिक व्यवहार को बढ़ावा देने वाले कहकर आलोचना हुई !! आज वर्तमान युग में हमारी आधी आबादी के खिलाफ यौन हिंसा खत्म करने से बड़ा कोई मुद्दा नहीं हो सकता ! वर्तमान में महिलाओ की इतनी दुर्दशा क्यू हो रही हैं ? ये सवाल महत्वपूर्ण हैं ! आज बेटियों की संख्या कितनी कम रह गई ये सोचने वाली बात हैं ! सवाल बस इतना सा हैं कि हम कैसा जीवन चाहते हैं कैसी कुदरत चाहते हैं जो स्त्री के बिना सोची जा रही हैं ! शक्ति के बगैर शिव को शव ही माना जायेगा ! कृष्ण की बात करे तो राधा का संग पाकर ही सोलह कलाओ से परिपूर्ण होते हैं ! !</span>इक्कीसवीं शताब्दी में भारतीय नारी अपनी वर्जनाओं को तोड अबलापन की भावना को तिलांजलि देकर विकास के सोपान चढ़ रही है। वह किरण बेदी है, तो साथ ही कल्पना चावला भी है, जहां-जहां, उसका दिशा बोध डगमगाया है, वहीं उसका पतन भी चरम पर पहुंचा है। लेकिन शिक्षा प्रसार के साथ-साथ नारी की जड़-मानसिकता में तीव्र परिवर्तन हुआ है। </span><span style="font-family: "times new roman"; font-size: small;"> महिलाओ को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना होगा महिलाओ के लिए अपना स्वतंत्र अस्तित्व गढ़ने और उसे कायम रखने के लिए उसका स्वावलंबी और आत्म निर्भर होना बहुत जरुरी हैं ! </span> महिलाएँ चाहे महानगरों की हो या गाँव की निरंतर असुरक्षित होती जा रही हैं ! ओरतो की आज़ादी पर लगाम लगाने वालो पर लगाम लगाना बहुत ज़रुरी हैं ! सच तो यह हैं कि स्त्री से जुड़ीं मान्यता और पुलिस कानून की व्यवस्था ही आज दुष्कर्मी की सबसे बड़ी रक्षक बनी हुई हैं ! महिलाओ पर यौन हिंसा आक्रमण न हो इसके लिए हमे स्वस्थ समाज की पुनर्स्थापना करनी होगी !<span style="font-family: "times new roman"; font-size: small;">आज की नारी के चेहरे पर दिखेगा जीवन में कैरिएर के ऊँचे मुकाम हांसिल करना जिसके लिए शायद वो कोई भी समझौता कर सकती हैं शायद अपनी आज़ादी को फिर से दाव लगाकर भी ! खेतिहर और घरेलू महिलाओ को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिया जाना महिला सशक्तिकरण में एक महत्व पूर्ण कदम हैं !</span></div>
<div style="background-color: white; color: #222222;">
<span style="color: #222222; font-family: "arial";">जो समाज स्त्रियों के विकास को उचित नहीं समझता उसे बदल देना बेहतर हैं ! नारी </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">ईश्वरीय</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> वरदान हैं आज समाज में सिर्फ इस तरह की मानसिकता के लोग हैं जो सिर्फ नारी को </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">भोग</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> की वस्तु समझते हैं !</span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">आधुकनिकता के आक्टोपसी संजाल में फंसी नारी की विभिन्न मुद्राओं एवं चीखों को भी सुना जा सकता है। </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> वह दिन कब आएगा जब महिलाओ और लड़कियों के लिए अपनी मर्ज़ी से जीना संभव हो सकेगा ! आज योग्यता और क्षमता होने के बावजूद देश की आधी आबादी उन्नति नहीं कर पा रही हैं ! असुरक्षा की भावना उन्हें न चाहते हुए भी चार </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">दीवारी</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> में </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">कैद</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> कर देती हैं ! </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">आक्स</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">फेम</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> इंडिया की और से करवाए गए एक सर्वे के अनुसार भारत में 70 फीसदी महिलाएँ कार्य स्थल पर यौन शोषण का शिकार होती हैं ! एक सर्वेक्षण के नतीजों में तीन भारतीय महिलाओ में एक ने कार्य स्थल पर </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">लेंगिक</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> भेदभाव की बात </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">स्वीकारी</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> ! पुरुषों को ये </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">बर्दाश्त</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> नहीं होता कि स्त्री अपनी जिंदगी से जुड़ा छोटा सा फैसला खुद ले ! महिलाओ को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना होगा महिलाओ के लिए अपना स्वतंत्र अस्तित्व </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">गढ़ने</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> और उसे कायम रखने के लिए उसका </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">स्वावलंबी</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> और </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">आत्म</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> निर्भर होना बहुत </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">जरूरी</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> हैं <b> आज के </b></span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> समय में नारी जीवन को अधिक गति मिली है। , नगरों में सु</span><span style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">शिक्षित</span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> नारी में इसकी गति विधि, अधिक दिखाई देती हैं। </span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">, सयुक्त परिवार की प्रथा समाप्त हो रही है। पश्चिम के अनुकरण में आज की नारी-शिक्षा, विज्ञान, विज्ञापन, कला, साहित्य के क्षेत्र मे अपना बहुमूल्य योगदान दे रही है ! राष्ट्रीय स्तर पर </span><span style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">राजनीति में </span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">राबड़ी</span><span style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> देवी जैसी घरेलू महिलाएं और मामूली दलित परिवार से आई</span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> माया</span><span style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">वती</span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> </span><span style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">अपनी प्रभावी भूमिकाएँ निभा रही </span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">हैं। </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> आज की नारी के चेहरे पर दिखेगा जीवन में कैरियर के ऊँचे मुकाम हासिल करना जिसके लिए शायद वो कोई भी समझौता कर सकती हैं</span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;">ग्लैमर, फैशन, आजादी और आसमान को छूने की चाह तो बढ़ी ही है।</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">!! </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">खेतिहर</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> और </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">घरलू</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> महिलाओ को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिया जाना महिला </span><span style="color: #222222; font-family: "arial";">सशक्तिकरण</span><span style="color: #222222; font-family: "arial";"> में एक महत्व पूर्ण कदम हैं !<b> आज की </b></span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "arial"; margin: 0px; padding: 0px;"> नारी, अपने स्वाभिमान की रक्षा करनी जानती है, उसे अपनी सामाजिक सत्ता का पूर्ण भान है। नारी, बदलते परिवेश में पारिवारिक बिखराव, मूल्यहीनता, , दिशाहीन राजनीति का प्रभाव, शोषण से मुक्ति पाने की इच्छा व्यक्त कर रही है, एवं धीरे-धीरे अपने इस प्रयास में सफल भी हो रही है। नारी- की दृढ इच्छा शक्ति के कारण वर्तमान में उसकी अबला नारी की छवि निश्चित ही बदली हैं , नारी-सबल हो रही है, ऊर्जावान बनी है और ये बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ हैं नारी के सम्पूर्ण जीवन में ! </span><span style="color: black;">आज अगर नारी जीवन की उपेक्षा होती हैं ऐसे में हम मनुष्य भी नहीं रह सकेंगे ! मातृ शक्ति को हर रूप में समानता देनी होगी ऐसा नहीं हुआ तो असंतुलन होगा ! हमे कोशिश करनी होगी बेटियों को बचाने की और नारी शक्ति का सम्मान करने की</span><span style="color: black;"> </span></div>
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Unknownnoreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-29325301816326740892013-08-30T10:33:00.000-07:002013-08-31T04:41:20.017-07:00कर्म के उत्सव हैं कृष्ण<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjioXfbbYNAt-OtQWr6wXtDBMjyKOWQpL4Rq7gY4AYiTIJhO3ufiMMdFPc7fstS97fWr5CW8XPiBD7-k6iz2xKXIMfFFnEMv_VsWhoL1U-QJoRpTzZShIFuZf3QHZg2EwoP7MqKkAgxcHfA/s1600/1170960_286882268119538_790882507_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjioXfbbYNAt-OtQWr6wXtDBMjyKOWQpL4Rq7gY4AYiTIJhO3ufiMMdFPc7fstS97fWr5CW8XPiBD7-k6iz2xKXIMfFFnEMv_VsWhoL1U-QJoRpTzZShIFuZf3QHZg2EwoP7MqKkAgxcHfA/s320/1170960_286882268119538_790882507_n.jpg" width="240" /></a></div>
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कृष्ण जीवन को काम की तरह नहीं आनन्द की तरह लेते हैं !काम उत्सव के रंग में रंग जाता हैं ! कृष्ण अकेले ही एसे हैं जो धर्म की परम गहराइयों और उचाइयो पर होकर भी गंभीर नहीं हैं ! उदास नहीं हैं ! कृष्ण कहते हैं कि तुम अपने गुरु बने रहना !कृष्ण चुनाव रहित हैं ! समग्र हैं और इसलिए पूर्ण हैं ! कृष्ण के योग का एक ही आदर्श हैं अखंड हो जाना इसलिए कृष्ण को महायोगी कहा जाता हैं ! कृष्ण युद्ध वादी नहीं हैं किसी को मिटाने की कोई आकांशा नहीं हैं ! किसी को दुःख देने का कोई ख्याल नहीं हैं ! वे यथार्थवादी हैं ! वे जीवन की और सत्य की और धर्म की कीमत पर युद्ध को बचाने के लिए राजी न थे ! कृष्ण जैसे व्यक्तित्व की फिर जरुरत हैं जो कहते हैं शुभ को भी लड़ना चाहिए ! कृष्ण कहते हैं निर्णयात्मक बनो निश्चात्मक कहो ! सबसे बड़ी बात जो कृष्ण ने सीखाई वो हैं कर्म करते रहना ! गीता में जोर देकर उन्होंने कहा कि कर्म करने के अतिरिक्त मनुष्य के लिए मुक्ति का कोई और मार्ग नहीं हैं !जो काम करो पूरी इमानदारी से करो !यही सफलता का सूत्र हैं अपने बड़े बुजुर्गो का सम्मान करने में कृष्ण का कोई सानी नहीं ! इसके उदारहण महाभारत में मिलते हैं ! मित्रता के महत्व को कृष्ण के व्यक्तित्व से सीखा जा सकता हैं ! उनके मन में ओरतो के लिए बहुत सम्मान था ! कृष्ण ने राधा से प्रेम में अपने नाम को गौण कर लिया और राधा को अपने नाम से पहले सम्मान दिया ! उनमे स्त्रियों के प्रति प्रेम और आदर का एक गहरा समुद्र था जिसको चाहना किसी के लिए भी असंभव था ! कृष्ण के जीवन में दुविधा नहीं थी उनके विचार स्पष्ट और खुले हुए थे ! कृष्ण आज भी हमे किसी न किसी रूप में प्रेरणा दे रहे हैं ! सवाल उन प्रेरणाओ से लाभ उठाने का हैं ! कृष्ण विशेष प्रतिभा और गुणों से युक्त होते हुए भी जनसाधारण के बीच रहे और उन्ही के समान आचरण करते हैं लेकिन कही भी पराजय स्वीकार नहीं करते हैं ! कृष्ण माया मोह के बंधन से दूर हैं ! कर्त्तव्य पालन उनके लिए सर्वोच्च हैं ! संकट की हर घडी में कृष्ण निर्विकार और अडिग बने रहे इसलिए कृष्ण योगीश्वर कहलाते हैं ! कृष्ण कहते हैं अपने जीवन से भागो मत ,अपने को बदलो ,मुकाबला करो और अपने विधाता स्वयं बनो का पाठ सिखाते हैं !<br />
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Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-520080480692341592013-08-29T21:39:00.001-07:002013-08-31T04:42:43.127-07:00rakshabandhan parv...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhemgJzVA7g6I7KrbRSzYzrJJUBCif3VzDhkR5qIDjG9Stn5KNGyx4O-9ErT5iBAt4ytkbjzlXqnmLBYkzPMY3_4jPiGn9bpp43ksXWqk44QJURRXusIkH68B6ppTiNUKaEKv98pZfWnV53/s1600/599616_10151755778990139_1950304893_n.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="229" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhemgJzVA7g6I7KrbRSzYzrJJUBCif3VzDhkR5qIDjG9Stn5KNGyx4O-9ErT5iBAt4ytkbjzlXqnmLBYkzPMY3_4jPiGn9bpp43ksXWqk44QJURRXusIkH68B6ppTiNUKaEKv98pZfWnV53/s320/599616_10151755778990139_1950304893_n.jpg" width="320" /></a></div>
<br />
<br />
राखी या .रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते की
पहचान माना जाता है. राखी का धागा बांध बहन अपने भाई से अपनी रक्षा का प्रण
लेती है. यूं तो भारत में भाई-बहनों के बीच प्रेम और कर्तव्य की भूमिका
किसी एक दिन की मोहताज नहीं है ! इस प्रकार 'रक्षा बंधन' का अर्थ 'संरक्षण के बंध' है |गुरुदेव रविंद्र नाथ
टैगोर ने राखी के पर्व को एकदम नया अर्थ दे दिया. उनका मानना था कि राखी
केवल भाई-बहन के संबंधों का पर्व नहीं बल्कि यह इंसानियत का पर्व हैकहते
हैं, आज के तकनीकी युग में ये पर्व भी प्रभावित हुए हैं अब घर से दूर होकर भी ये ये त्यौहार नहीं अखरेंगे ! तकनीकी युग के कारण रिश्तों में अब भी आत्मीयता और संवेदना बरकरार हैं ! दूर रहकर भी भाई बहिन राखी का पर्व मनाते हैं ! रीतिरिवाज बदल गए पर भावनाए अब भी पवित्र हैं दूर रहकर भी स्नेह बना हुआ हैं ! रिश्तो में दुरी नजर नहीं आती ! बहिन भाई के संपर्क में रह सकती हैं सिकंदर की पत्नी अपने पति के हिंदू शत्रु पुरु को राखी बांध कर
उसे या था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था.
पुरु ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिए हुए वचन
का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन दान दिया था.इस
त्यौहार में राखी बांधते हुए स्नेह का भाव मुख्य होता है | ये
त्यौहार भाई बहिन के स्नेह का प्रतीक हैं !!रिश्तों से ऊपर उठकर रक्षाबंधनके की
भावना ने हर समय और जरूरत पर अपना रूप बदला है. जब जैसी जरूरत रही वैसा
अस्तित्व उसने अपना बनाया. जरूरत होने पर हिंदू स्त्री ने मुसलमान भाई की
कलाई पर इसे बांधा तो सीमा पर हर स्त्री ने सैनकों को राखी बांध कर उन्हें
भाई बनाया. राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के
लिए भी बांधी जाने लगी है. इस नजरिये से देखें तो एक अर्थ में यह
हमाराराष्ट्रीय पर्व बन गया है<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-40857895358874816792013-08-29T06:07:00.000-07:002013-08-31T04:39:41.467-07:00बचाना होगा लोकतंत्र को <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="text-align: left;"> बचाना होगा </span><span style="text-align: left;">लोकतंत्र को </span><br />
<br /><span style="text-align: left;"></span>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhIgpoVA70Io6XdRb77W7WGRXi8AcZKRO1QT6w2Yj9VAfTtxgDwnIQc0YSUQoUrKaRjCcWtOWx4zNefdvxq3R-5327RdM0ePzeDgi9FDyOkxyzc8IMGv_chDoCJOhWDUsc6BOI4-a0a9ATC/s1600/download.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhIgpoVA70Io6XdRb77W7WGRXi8AcZKRO1QT6w2Yj9VAfTtxgDwnIQc0YSUQoUrKaRjCcWtOWx4zNefdvxq3R-5327RdM0ePzeDgi9FDyOkxyzc8IMGv_chDoCJOhWDUsc6BOI4-a0a9ATC/s1600/download.jpg" /></a></div>
<br />
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<br /></div>
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<i>पिछले दो दशको में भारत का आर्थिक उदय हुआ हैं ये सही बात हैं ! लेकिन आज भी आम आदमी के मन मे</i></div>
<div>
<i>निराशा हैं कि सरकार शिक्षा स्वास्थ्य और पानी व क़ानूनी व्यवस्था जैसी आधारभूत सेवाए जनता को क्यू नहीं दे पा रही हैं ! लोगो का हमारी शासन प्रणाली से विश्वास उठाना स्वाभाविक हैं ! <span style="background-color: white; color: #333333; font-family: Arial, serif; line-height: 20.796875px;">यदि हमारा लोकतंत्र गलत दिशा मे जा रहा है तो उसे सही दिशा देने का दायित्व किसका है ! जिन लोगो को मतदाताओ ने अपना प्रतिनिधि चुना है वही लोकतंत्र का गला घोटेंगे तो लोगो का भरोसा टूट जायेगा !जनप्रतीधियो पर निगरानी नहीं रखने की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उनकी मनमानी बढती जा रही है और जनप्रतिनिधि जनता के हितों की अनदेखी कर रहे है जो लोकतंत्र के लिए सही नहीं है !लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह जरुरी है की हम अच्छा और ईमानदार प्रतिनिधि चुने ! यदि अच्छा प्रतिनिधि भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता है तो उसे स्थान पर नया प्रतिनिधि चुनने की व्यवस्था ज़रुरी</span><span style="background-color: white; color: #333333; font-family: Arial, serif; line-height: 20.796875px;"> है !</span> आज देश में योग्य और ईमानदार अधिकारी , अच्छे स्कूल और प्राथमिक स्वास्थ्य शिक्षा केन्द्रों का अभाव हैं अगर इन पर धयान दिया जायेगा तो हमारा भारत देश विकास और खुशहाल भारत की और लौट सकता हैं ! गरीब और आम लोगो को न्याय भी जल्दी मिलना चाहिए ताकि देश की न्याय प्रणाली पर लोगो का भरोसा कायम रह सके ! राजनेतिक दलों में जनहित की भावना सर्वोपरि होनी चाहिए ! सरकार को लोगो के प्रति जवाबदेह होना होगा ! कानून का पारदर्शी होना बेहद जरुरी हैं ! नौकरशाही , न्यायपालिका और पुलिस व्यवस्था में सुधार लाना होगा और सुधार के लिए धेर्य और संकल्प के साथ लगातार प्रयास करने की जरुरत हैं ! हमारे देश को एक ताकतवर नेता चाहिए ! आज हमारी उम्मीद तो युवाओ पर टिकी हैं यह युवा वर्ग शासन प्रणाली से निराश हैं और देश और समाज में बदलाव लाने का इच्छुक हैं ! आज हम देखते हैं कि राजनेतिक दल किस तरह से वोटो के लिए लोगो को लालच देते हैं ! जनता को लोक लुभावनी योजनाओ से प्रभावित किया जा रहा हैं ! आम नागरिको को मानसिक रूप से पंगु और आश्रित बनाया जा रहा हैं ! ये उचित नहीं हैं ! युवा नागरिक एसा नहीं चाहते वे ईमानदार लोगो को चाहते हैं वे ऐसा जनप्रतिनिधि चाहते हैं जिसकी छवि बेदाग़ हो ! ह मारे देश के युवा चाहते हैं कि जिस तरश से हमे धार्मिक और आर्थिक आज़ादी प्राप्त हुई हैं उसी तरह से हम अपनी आर्थिक आज़ादी को प्राप्त करें ! आज हमे महसूस होता हैं कि स्वतंत्र भारत के नेता संविधान के उदार मूल्यों को बढ़ाने में असफल रहे हैं ! आज संविधान के आदर्शो को युवाओ तक पहुचाकर संविधान को नेतिक आईने का रूप देना बहुत जरुरी हैं ! आज हमारे देश को आजाद हुए 66 वर्ष हो गए लेकिन सही मायने में हम आज़ाद कहा हुए ? राजनीति का अपराधीकरण हो गया आज संसद में अपराधी ज्यादा हैं ! आज कल अपराधी लोगो को राजनीति में ज्यादा प्रमुखता दी जाती हैं ! लेकिन राजनीति में अब <a dir="ltr" href="http://www.writerneerajain.com/search/label/%E0%A4%AD%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A5%80" style="background-color: #f2f1ed; color: #991a37; font-family: Arial, serif; line-height: 19.296875px;">भ्रष्टाचार </a> और वंशवाद को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा ! अभी दुर्गा शक्ति नागपाल प्रकरण ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया कि ईमानदारी से काम करने वाले का क्या अंजाम होता हैं ! क्या नेताओ का नेतिक स्तर इतना गिर गया हैं कि वो ईमानदार अधिकारियो को मनमाने तरीके से दण्डित करते हैं ! इन अधिकारियो से ही हम सीखते हैं कि अच्छे स्त्री पुरुष राजनीति में आये और राजनीति कों नैतिक आकार दे ! अगले चुनावो में विजेता इसी बात से तय होगा कि भविष्य के लिए कौन बेहतर सपना पेश करता हैं !</i><br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br /></div>
</div>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-79803246481408018542013-08-15T03:48:00.002-07:002013-08-15T03:50:25.338-07:00नई आज़ादी हमे चाहिए <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgDF0AsCXznx5IFI6LCPSoG2Cpj55ah4_xxAJxqSQkMWo-GO3oWyAfscvr-nbTfYlHzH8caCnrItusv3PU3JsXypDJ3Ry7gYkrj8MhmyTcULKfy4tUv_PHd6S3D627a5JtQfl8fb8DGyYo0/s1600/images.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgDF0AsCXznx5IFI6LCPSoG2Cpj55ah4_xxAJxqSQkMWo-GO3oWyAfscvr-nbTfYlHzH8caCnrItusv3PU3JsXypDJ3Ry7gYkrj8MhmyTcULKfy4tUv_PHd6S3D627a5JtQfl8fb8DGyYo0/s1600/images.jpg" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhSiU9E9u0cNcdRQ_gVAtjBrBbdCBO5AzqjjJtlicHeYC3-wxDtySX0gQRmPuCZ_6jUgTH6yLYSKmpKZILyOBdfo389jAcZ6dM83ev8uXRjN0WITr6dQohHMY_Q5cCUgFRoyP0ySWxizD2V/s1600/50e1dc1810d137211784b4e414c2e840_bigger.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><br /></a></div>
नई आज़ादी हमे चाहिए<br />
<br />
आज़ादी अशिक्षा से<br />
<br />
आज़ादी कुपोषण से<br />
<br />
आज़ादी अन्याय से<br />
<br />
आज़ादी जातियों से<br />
<br />
आज़ादी दहशत से<br />
<br />
आज़ादी बेरोजगारी से<br />
<br />
आज़ादी बढती महेंगाई से<br />
<br />
आज़ादी मिले सामाजिक मूल्यों से<br />
<br />
आज़ादी लिंग भेद से<br />
<br />
आज़ादी दकियानुसी सोच से<br />
<br /></div>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-22243529894068651242013-08-14T02:13:00.000-07:002013-09-02T02:37:47.124-07:00article <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
रक्षा बंधन पर्व<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkon_tLh6IHt_Te3yIX2KRsiQu4ra4j5tBPM4zHdknw92WFwnCAjLYFNF7MENNxPcAuX-M_WM7YsnE1dcmtfbWxNhYoMZ61Ynkxb-cRnWcd3Dfhvi4fEGUXPAChk12OEnfveCWmqRlaefj/s1600/389989_666750303342030_1674986610_n.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkon_tLh6IHt_Te3yIX2KRsiQu4ra4j5tBPM4zHdknw92WFwnCAjLYFNF7MENNxPcAuX-M_WM7YsnE1dcmtfbWxNhYoMZ61Ynkxb-cRnWcd3Dfhvi4fEGUXPAChk12OEnfveCWmqRlaefj/s320/389989_666750303342030_1674986610_n.jpg" height="320" width="240" /></a></div>
<br />
<br />
भारत में अगर हिंदू धर्म की कोई सबसे बड़ी
पहचान है तो वह हैं इसके त्यौहार. और सिर्फ हिंदू ही क्यूं भारत में तो हर
जाति और धर्म के त्यौहारों का अनूठा संगम देखने को मिलता है. हिंदू धर्म का
एक महत्वपूर्ण त्यौहार है राखी या .रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते की
पहचान माना जाता है. राखी का धागा बांध बहन अपने भाई से अपनी रक्षा का प्रण
लेती है. यूं तो भारत में भाई-बहनों के बीच प्रेम और कर्तव्य की भूमिका
किसी एक दिन की मोहताज नहीं है !<br />
। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार
श्रावण के महीने में पूर्णिमा या पूर्णिमा के दिन पर होता है । यह पूरे
भारत भर में मनाया जाता है। 'रक्षा' मतलब सुरक्षा 'और' बंधन ' का बाध्य है।
इस प्रकार 'रक्षा बंधन' का अर्थ 'संरक्षण के बंध' है । इस दिन बहनों के
स्नेह का एक चिह्न के रूप में अपने भाइयों की कलाई पर एक विशेष पट्टा या
धागा जिसे 'राखी' कहा जाता है। बदले में भाई अपनी बहनों की रक्षा के लिए एक
आजीवन व्रत लेता है। रक्षा बंधन के दिन, भाइयों और बहनों के स्नेह का उनके
पवित्र बंधन की पुष्टि होती है। - हमारे प्राचीन त्योहारों का कोई न कोई
आधार होता है | कुछ नयी कथाएं भी उनके साथ जुड़ जाती हैं | रक्षा की
अपेक्षा वाले इस त्यौहार के पीछे भी भगवान शंकर को राखी बाँधने की कथा आती
है | जब राखी का यह सूत्र बहिन अपने भाई की कलाई पर बांधती है तब हमारे
पंडितों के अनुसार एक मंत्र पढ़ा जाता है | वह इस प्रकार से है : <br />
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः | तेन त्वां प्रतिबद्धनामी रक्षे माचल माचल ||<br />
अर्थात
रक्षा के जिस सूत्र से महाबली राक्षसराज बली को बाँधा गया था, उसी धागे से
मैं तुम्हें बांधती हूँ ; यह रक्षा में अचल रहे, अचल रहे | इस प्रकार इस
त्यौहार से राजा बली की कथा भी जुडी हुई है | जो समस्त पृथ्वी के राजा थे व
राक्षसराज थे |<br />
| मंत्र देवताओं व ईश्वर के लिए ही होते हैं |
मंत्र का अर्थ है कि आप जिस समय भी मंत्र से देव या ईश्वर का ध्यान कर रहे
हैं, वे देव उसी समय आपकी अर्चना को सुन रहे हैं | |गुरुदेव रविंद्र नाथ
टैगोर ने राखी के पर्व को एकदम नया अर्थ दे दिया. उनका मानना था कि राखी
केवल भाई-बहन के संबंधों का पर्व नहीं बल्कि यह इंसानियत का पर्व हैकहते
हैं, सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरु को राखी बांध कर
उसे अपना भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था.
पुरु ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिए हुए वचन
का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन दान दिया था.<br />
यह त्यौहार इस भावना से मनाया जाता है कि राखी बांधते हुए बहिन अपने भाई से अपनी रक्षा की अपेक्षा करती है |<br />
|
फिर भी रक्षा बंधन का यह त्यौहार भाई और बहिन के बीच स्नेह का बंधन है
जो हर वर्ष आकर स्नेह की एक और गाँठ बाँध कर उसे और प्रबल कर देता है || इस
त्यौहार में राखी बांधते हुए स्नेह का भाव भाव मुख्य होता है | ये
त्यौहार भाई बहिन के स्नेह का प्रतीक हैं !<br />
रक्षाबंधन के अवसर
पर कुछ विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं जैसे घेवर, शकरपारे, नमकपारेऔर घुघनी।
घेवर सावन का विशेष मिष्ठान्न है !रिश्तों से ऊपर उठकर रक्षाबंधन की
भावना ने हर समय और जरूरत पर अपना रूप बदला है. जब जैसी जरूरत रही वैसा
अस्तित्व उसने अपना बनाया. जरूरत होने पर हिंदू स्त्री ने मुसलमान भाई की
कलाई पर इसे बांधा तो सीमा पर हर स्त्री ने सैनिकों को राखी बांध कर उन्हें
भाई बनाया. राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के
लिए भी बांधी जाने लगी है. इस नजरिये से देखें तो एक अर्थ में यह
हमाराराष्ट्रीय पर्व बन गया है</div>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-475017077533649403.post-79157928977816153972013-08-13T23:45:00.001-07:002013-08-13T23:45:42.635-07:00स्वतंत्रता दिवस <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
स्वतंत्रता दिवस मेरा देश <br />
<br />
देश में एक बार फिर 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस या आजादी के दिन के अवसर पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। <span style="color: black; font-size: 11pt;">यह दिन भारतीय जीवन का मंगलमय दिन बन गया। </span><br />
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: small;">वर्षों की
गुलामी सहने और लाखों देशवासियों का जीवन खोने के बाद हमने यह बहुमूल्य
आजादी पाई है. लेकिन आज की युवा पीढ़ी आजादी का वास्तविक अर्थ भूलती जा रही
है. पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण कर वह अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से
दूर होती जा रही है. इस संदर्भ में किसी कवि ने खूब लिखा है कि:</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: small;"><br />
</span></div>
<div style="text-align: center;">
<span style="font-size: small;"><em>“</em><em>भगतसिंह इस बार न लेना, काया भारतवासी की</em><em><br />
</em><em>क्यूंकि देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फांसी की</em><em>”</em></span></div>
<span style="color: black; font-size: 11pt;"> भारत के राजनीतिक इतिहास का तो एक स्वर्णिम दिन है। </span><span style="font-size: small;">आजादी को परिभाषित करना बहुत मुश्किल है.</span> देश में बढ़ते भ्रष्टाचार, अराजकता, बेरोजगारी, भूखमरी, बेरोजगारी,
अस्वास्थ्य की स्थित और गरीबी की वजह से अनेक लोगों के लिये 15 अगस्त की
आजादी एक भूली बिसरी घटना हो गयी है। <span style="color: black; font-size: 11pt;">इतने वर्ष व्यतीत हो जाने पर
भी भारत अपने सपने को साकार नहीं कर पाया। इसका कारण वैयक्तिक स्वार्थों की
प्रबलता है। </span><span style="color: black; font-size: 11pt;"><span style="font-size: small;">विकास के
पथ पर आगे बढकर देश और समाज को ऐसी दिशा देना, जिससे हमारे देश की संस्कृति
की सोंधी खुशबू चारों ओर फैल सके. लेकिन आज हमारी युवा पीढ़ी आजादी के सही
मायने भूलती जा रही है. युवा लोग पाश्चात्य संस्कृति से अत्यधिक प्रभावित
हो रहे हैं. आज हमें अपनी आजादी का सदुपयोग करते हुए समाज और देश को विकास
के पथ पर ले जाना चाहिए.</span></span><span style="font-size: small;">आजादी की सीमाएं तय करना बहुत जरूरी है. आजादी में संतुलन बहुत जरूरी है.आज हमारी बढती आबादी भी चिंता का विषय हैं ! आज़ादी के समय हम 35 करोड़ थे जबकि अब सवा अरब को छूने वाले हैं ! भारत महज दुनिया के भू भाग का एक हिस्सा भर नहीं बलकि मानवीय विकास की गाथा हैं हम उस देश की आज़ादी का जश्न मना रहे हैं </span><br />
<span style="color: black; font-size: 11pt;">हमारा कर्तव्य
है कि देश के उत्थान के लिए इसकी ईमानदारी का परिचय दें। प्रत्येक नागरिक
कर्मठता का पाठ सीखे और अपने चरित्र, बल को ऊंचा बनाए।</span> दुनिया के किसी हिस्से में इतना सोन्दर्य नहीं ऐसी कला नहीं एसा सोन्दर्य नहीं भारत कल्पनातीत हैं ! विशाल और अद्भुत हैं ! आज हम भारत देश की बात करते हैं तो इसका सारा श्रेय हमारे शहीदों को जाता हैं उनकी कुर्बानियों की बदोलत ही हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं आजादी के बाद भी अभी शहादत का सिलसिला खत्म नहीं हुआ हैं <span style="font-size: small;">जिस आजादी के लिए हमने देश के लिए कई महान
वीरों की आहुति दी है उस आजादी को ऐसे बर्बाद करना बिलकुल सही नहीं है.
हमें देश को भ्रष्टाचार, गरीबी, नशाखोरी, अज्ञानता से आजादी दिलाने की
कोशिश करनी चाहिए. </span><span style="font-size: small;"> आजादी के इस महापर्व में कई महान देश भक्तों की आहुति
दी गई है तब जाकर यह हमें प्राप्त हुई है. हम यहाँ आज़ादी का जश्न मना रहे हैं वह हमारे सैनिक अपना जिस्म लहू से रंगते हैं ! आजादी का सही अर्थ वही समझ सकता
है जिसने गुलामी के दिन झेले हो !</span> <span style="color: black; font-size: 11pt;">जनता एवं सरकार दोनों को
मिलकर देश के प्रति अपने कर्तव्य को पूरा करना है। युवक देश की रीढ़ की
हड्डी के समान है। उन्हें देश का गौरव बनाए रखने के लिए तथा इसे संपन्न एवं
शक्तिशाली बनाने में अपना योगदान देना चाहिए। राष्ट्र की उन्नति के लिए यह
आवश्यक है कि हम सांप्रदायिकता के विष से सर्वथा दूर रहें। सभी निज
संस्कृति के अनुकूल ही रचे राष्ट्र उत्थान। </span><br />
<span style="color: black; font-size: 11pt;"> किसी की लिखी ये पंक्तिया याद आ रही हैं !</span><br />
<br />
<div style="text-align: center;">
<span style="font-size: small;"><em>कौन आज़ाद हुआ</em><em>, </em><em>किसके माथे से ग़ुलामी की सियाही छूटी</em><em><br />
</em><em>मादरे-हिन्द के चेहरे पे उदासी वही</em><em>, </em><em>कौन आज़ाद हुआ…</em></span></div>
<span style="color: black; font-size: 11pt;"> </span><span style="color: black; font-size: 11pt;"> </span></div>
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