नारी चाहे खुला आंसमा


नारी चाहे खुला  आंसमा                                                        



 स्त्री का जीवन उसका ही नहीं बल्कि कई मायनों  मे उसके परिवार और समाज कि गतिशीलता का परिचायक होता है ! स्त्री ही होती है जो  लोगो की अच्छी सेवा कर सकती है दुसरो की भरपूर  मदद कर सकती है ! जिन्दगी को अपनी तरह से प्यार कर सकती है !और मृत्यु को गरिमा प्रदान कर सकती है !
  शुष्क व्यवहार और उपेक्षा सहते हुए भी स्त्री ने अपने सौंदर्य और सहजता को बहुत खूब सुरती के साथ  बनाये रखा है ! आज स्त्री शक्ति कि उपेक्षा होती है !कन्याओ को जन्म नहीं लेने दिया जाता  ! संतुलन सहन शीलता  व्  सर्जन का पर्याय  है स्त्री ! महज  समर्पण   कि भावना के साथ जिंदगी जीना बहुत कठिन है जो स्त्री ही कर सकती है !जितनी तेजी से महिलाओ कि सोच बदली है समाज कहा बदला है ? !उनके खिलाफ उठने वाले हाथो को रोकना चाहिए ! प्राचीन काल में स्त्रियों को बोद्धिक आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा प्राप्त थी और घर के बाहर आने जाने और घुमने पर प्रतिबन्ध नहीं था ! महिलाए तीज त्योहारों में सम्मिलित होती थी ! उनकी नैतिकता का स्तर  भी ऊचा था ! विदुषी स्त्रिया समाज में दार्शनिक विचार विमर्श और तर्क वितर्क मैं भाग लेती थी ! लेकिन मध्य काल में नारी की दशा बिगडती चली गयी ! मुग़ल काल मैं भारतीय नारी ने अपने सतीत्व के साथ अपने प्राणों की आहुति देने का कार्य किया ! आजाद  भारत में महिलाओ ने सामाजिक व शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से तरक्की हासिल की ! वर्तमान मैं भी राजनीतिक क्षेत्र में महिला शक्ति का वर्चस्व कायम है ! लेकिन आज हम देखते है कि ग्रामीण क्षेत्रो में नारी की दशा आज भी बेहद ख़राब है !ग्रामीण अंचलो में नारी शिक्षा का प्रचार प्रसार होने के बावजूद अज्ञान की कालिमा नहीं मिटी है भारत दुनिया का एक एसा देश है जहा पर नारी और कन्या की पूजा होती है ! लेकिन  सरकार   कन्या और नारी की लाज  बचाने में नाकाम हो रही है ! नारी कल भी  महान  थी आज भी  महान  है   !  बहुत  से ऐसे उदाहरण है जिनसे ये प्रतीत होता है कि  भारत के विकास के लिए आदर्शवादी नारियो ने  अपनी  क्षमता  और योग्यता का परिचय दिया !  वर्तमान समय में महिलाएँ विभिन्न क्षेत्रो में उसे प्रशासनिक खेल राजनीति और विज्ञान ले क्षेत्र मैं अपना लोहा मनवा चुकी है ! नारी कमजोर नहीं है   अबला नहीं है वह शक्ति है पर्याय है  ! नारी शुरू से ही पुरुष को दिशा और बल प्रदान करती आ रही है !नारी के त्याग बलिदान और समर्पण के कारण ही प्राचीन भारत संपन्न और विकसित था !लेकिन आज के युग में हम देखते है कि नारी जिस सम्मान की हक़दार है उसे नहीं मिला ! पुरुष की सोच नारी के प्रति अति संकीर्ण होती जा रही है  ! पुरुष की सोच में नारी सिर्फ भोग की वस्तु रह गई है !  इससे अच्छा भारत तो प्राचीन भारत का था जो  मत्रसत्तामक था ! समाज में नारी का रूप कितना विकृत कर दिया है  !संवेदनशील नारियो से अभद्र व्यवहार दुष्कर्म की घटनाएँ एक पाशविक कृत्य है ! एक समय वो भी था जब एक भारतीय नारी ने ऋग्वेद में सूक्तो की रचना की थी  ! केकयी  ने दशरथ के साथ युद्ध मैं भाग लिया था !  हर कदम पर लडकियों को  बाहर  जाने से  रोका  जाता है !लड़का कुछ भी कर सकता है लड़की करे तो सो सवाल खड़े हो जाते है !लड़का वर्जनाओ को तोड़ता है तो उस पर   धयान नहीं दिया जाता है ! लड़की करती है तो उसे अपराधी बना दिया जाता है !  स्त्री की अपनी सत्ता है जिसको पुरुष प्रधान सत्ता तय नहीं कर सकता ! एक लड़की को सपने देखने का पूरा अधिकार है ! वह  फैसला खुद करेगी की उसे क्या करना है क्या नहीं ! महादेवी वर्मा ने कहा था कि ''  स्त्री हर तरह से जकड़ी हुई है उसको आजाद होना होगा उसे बन्धनों को तोडना होगा !
यह सच है कि आज भी भारत के कई हिस्सों मैं महिलाओ के साथ निर्लज्ज तरीके से  छेड़ खानी भी की जाती है  ! नारी देश की अधि आबादी है  लेकिन शिक्षा केअभाव  मे  कई क्षेत्रो में  नारी शिशन और उत्पीडन का शिकार हो रही है !उसे प्रताड़ित किया जाता है मानसिक यंत्रणा दी जाती है !आज  नारी की शालीनता और गरिमा के साथ खिलवाड़ किया जाता है ! पंजाब में   बड़े पैमाने पर कन्या भूर्ण हत्या हो रही है !हरियाणा पर अपना जीवन साथी चुनने वाली लड़कियों पर तो कहर बरसा है !कश्मीर में महिलाओ द्वारा बुर्क़ा  पहनने की मांग की जाती है ! शहरी मध्य वर्ग में आज भी दहेज़ प्रताड़ना जैसी घटनाएँ हो रही है !इन सबसे यह साफ़ हो जाता है कि कब तक समाज लड़कियों को उनकी सुरक्षा के नाम पर दबाता रहेगा !लड़कियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं पर नेताओं के  बयान आना अनुचित है ! में  यह मानती हुं कि पुरुष स्त्री की भोग की वस्तु नहीं समझे !उसे भी समाज  में  पूरा  मान  सम्मान पाने का हक़ है  परिवर्तन  के इस दौर में  नैतिक मूल्यों का हास  बड़ी तेजी से हुआ है  !लज्जा ही सदाचार को बनाये रखती है और उसी से व्यक्ति मर्यादा  में रहता है ! पर आज  के इस युग मैं देखे तो लगता है कि  मनुष्य निर्लज होता जा रहा है !  ! हर मुकाम पर महिला के साथ  अत्याचार बलात्कार और वो भी समर्थ लोगो द्वारा  किसका दिल नहीं पिघलेगा भरेगा !  लगता है नारी एक अभिशाप है यही सच है !  आज जो   भूर्ण हत्या होती है एक घोर पाप है ! दरिंदगी है ! इस कृत्य से खुद  सभ्य  समाज की महिलाएँ  जुड़ीं  हुई होती है आज पुरुष का नारी के प्रति व्यवहार भी बदल गया है ! उसके     व्यवहार  में  पिछले कुछ वर्षो में  गिरावट आई है ! !!खुद स्त्री को भी आत्म निर्भर और मजबूत  बनने  की जरुरत है तभी सही मायने में महिला सशक्तीकरण करना होगा !सरकार को भी महिलाओ की सुरक्षा  के बारे में  विचार करने की जरुरत है !शायद महिलाएं भूल गयी है संगठन  मे  शक्ति होती है !  हमारे देश की महिलाओ को भी संघठित होकर अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठाने की जरुरत है !महिलाओ को गलत शोधक  पुरुषों को सुधारना होगा और ये कोई मुश्किल कार्य नहीं है !स्त्री चाहे तो समाज व  समाज के लोगो मे बदलाव ला सकती है !एक समय था जब परिवार समाज  महिलाओ   की रक्षा  करता था आज  ये ही  दायित्व महिला  आयोग   का है ! आज महिलाओ की असुरक्षा बढती जा  रही   है  आए दिन उनके साथ दुष्कर्म की घटनाएँ  घटती रहती है आज  लड़कियों और महिलाओ को नारी को देश की आधी आबादी माना जाती है ! समाज और देश के आगे बढ़ाने मे नारी का पूरा योगदान होता है !और अगर हमे देश और समाज को सशक्त बनाना है तो नारी  जाति  को सशक्त बनाने की बहुत जरुरत है !एक महिला अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देती है और यही बच्चे हमारे देश के भावी कर्णधार है ! परिवार के सदस्यों को एक नारी नैतिकता का पाठ पढ़ा कर उनके चरित्र को उन्नत बनाये रखती है ! एक नारी की अपनी सभ्यता और संस्कृति को बनाये रखने मे बहुत बड़ी भूमिका होती है !  यह सवाल उठ रहा है कि  क्या पत्नियों को पति की  कमाई से हिस्सा मिलना  चाहिए ! ।पत्नी को पति के वेतन का कुछ  हिस्सा पाने का हक़ है  ! अगर   ऐसा हुआ महिला सशक्त होगी सामाजिक और  आर्थिक रूप से सबल होगी ! अश्लील एस एम एस   पर सरकार ने जो   कानून बनाया है वो सही है !इससे महिलाओ के बढ़ते उत्पीडन पर लगाम लगेगी !   महिलाओ को    आत्म  निर्भर  बनने की जरुरत है तभी महिलाएँ  सही  अर्थ मे सशक्त बनेगी ! नारी को अपने स्वरूप को पहचानना होगा  ! नारी ही समाज को धर्म संस्कृति और पहचान देती है ! नारी की अत्यधिक  महत्वकंशाओ का दोहन हो रहा है ! नारी के संस्कार बच्चों में आते है !और बच्चे ही भारत का भविष्य है !बच्चों को गुण वान और चरित्र वान बनाना भी नारियो को कर्त्तव्य है !  पुरुष प्रधान समाज को प्रधानता भी नारिया ही देती है !  सांस्कृतिक  परम्पराओं  को  कुछ समय के लिए   बदलना  भी चाहिए  !बिहार    मे  लड़कियों को स्कूल  भी    उत्साह के साथ   भेजा  जाने   लगा है !  मे यह मानती हु कि पाश्चात्य संस्कृति अपनाने के कारण नारी अपनी पहचान  खोती  जा रही है ! और इसका परिणाम उसकी दुर्बलता के रूप मैं सामने आता है ! महिला संगठन भी महिलाओ के ऊपर हो रहे अत्याचारों के प्रति गंभीर नहीं है !  हमारे   समाज के पुरोधा कहते है कि लड़कियों की शादी जल्दी कर दो  सुधार   का कोई और तरीका उन्हें  नजर नहीं आता  !   गरीब महिलाए आज  भी उपेक्षित है उनकी कही सुनवाई नहीं होती है ! आज हमारा देश चाहे कितनी हे तरक्की कर ले  लेकिन  आज  भी महिलाओ के साथ बदसलुकी की घटनाए  देखने को मिलती है उनका शोषण किया जाता है अंत मे वो आत्म हत्या   करने पर मजबूर हो जाती है और उस पर भी सारा दोष उसी पर ड़ाल  दिया जाता है और उसे चरित्रहीन होने की संज्ञा दी जाती है जबकि पुरुष उसकी इस हालत का पूरा जिम्मेदार होता है ! दिल्ली में  हुई घटना हम सबके लिए चुनोती है !  समाज में  नेतिकता का स्टार निरंतर  गिरता जा रहा है ! युवा दिशा भ्रमित होते जा रहे है ! नेतिक मूल्य इस समय तेजी से रसातल की और चले जा रहे है  ! बेहतर भविष्य बनाने के लिए देश की नाजुक परिस्थतियो को बदलना होगा ! तभी  ऐसे  अपराध रुक सकेंगे और   भारतीय संस्कृति का सम्मान बना रहेगा ! !लेखक और बुद्धिजीवी वर्ग के सामने ये बहुत बड़ी चुनोती है  !  यह सभी  घटनाए  सशक्त कानून के अभाव  का परिणाम है ! ! जिस देश में नारी की पूजा होती है वही पर कन्या भूर्ण हत्या हो रही है ! बहुओ को दहेज़ के लिए जला  दिया जाता है ! हमारे मूल्य क्या हो गए है माँ और स्त्री का सम्मान नहीं कर  पा  रहे है !   पुरुषो की   मानसिकता  में  बदलाव की जरुरत है ! नारी की अस्मिता की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है  ! हमे  सुसंस्कारित  पीढ़ी के निर्माण में अपना योगदान देना होगा ! 
स्त्रियों की विकास और   नौकरियों    मे  ज्यादा भागीदारी होनी चाहिए तभी देश और समाज सही  अर्थों मे  विकास कर पायेगा ! क्युकी  एक नारी की अपनी सभ्यता और संस्कृति को बनाये रखने मे बहुत बड़ी भूमिका होती है  !समाज में  नारी जाति के  विकास के लिए समुचित प्रयास किया जाना चाहिए  ताकि वो होंसले और  आत्म विश्वास के  साथ  आगे बढ़ सके ! नारी  जाति  के विकास से ही भारत अपनी   प्रतिष्ठा  सम्मान और गौरव को पुनः प्राप्त कर सकता है ! नारी जगी तो संसार  जागा  सरकार को नारियो के लिए एसी  योजनाएँ बनानी होगी जिससे नारी सशक्त हो ! ये   कैसा  है  जहा आज  भी आधी आबादी पर  एक तरफ़ा  फैसले  थोपे  जाते  है ! महिलाओ की स्थति को बेहतर बनाने के लिए  महिलाओ को राजनीति  मे आगे आना ही चाहिए तभी  महिलाओ के प्रति बढ़ते  दुष्कृत्यो मे  कमी आएगी  और महिलाए सशक्त बनेगी !
  नारी की दास्ताँ  अजीब है ! भारत देश को आजाद हुए इतने वर्ष हो गए मगर नारी को अभी भी बराबरी का दर्जा नही मिला है !उसको सुरक्षा और सम्मान देने की बात सब करते है उसे देवी मानते है लेकिन आज भी नारी की समाज में स्थति दयनीय है ! !नारी ने हर  युग में कठिन परीक्षा दी है !लेकिन क्या आधुनिक युग में नारी को अपना करने की आजादी मिली  है ! नारी  हमेशा पुरुष के इशारो पर क्यों नाचती है ? अगर किसी नारी के साथ गलत होता है तो समाज और परिवार के लोग सारा दोष उस पर मढ़  देते है क !उस पर उंगलिया उठाई जाती है !उस  महिला के साथ किसी की सहानुभूति नजर नहीं आती है ! क्यों नारी की  पीड़ा और दर्द को समझा नहीं जाता ! आज महिला को घर से अकेले निकलने नहीं दिया जाता उसे अपने मन के कपडे पहनने नहीं दिया जाता !आज  सब आधुनिक युग में जी रहे है फिर भी महिलाओ को वो सम्मान और हक़ नहीं मिल रहा है जिसकी वो हकदार है अशिक्षित महिलाओ को अपने अधिकारों की जानकारी न होना और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक न होना महिला पीड़ा का सबसे बड़ा कारण है! यह सही बात है कि बिना शिक्षा और क़ानूनी जागरूकता के वर्तमान युग मैं महिलाओ को अधिकार और सम्मान मिलना मुश्किल है !क्यों बेटा  और बेटी में लिंग भेद किया जाता है ! क्यू उसे कोई अपना कार्य चुनने की आजादी नहीं है ! कब हमारे समाज के लोगो की सोच महिलाओ और बेटियों के प्रति !बदलेगी क्यों हम नारी के साथ और उसकी भावनाओ के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे  ! आज देखा   जाये तो देश का नाम भारतीय नारी से ही रोशन हुआ है !आज बड़े राजनीतिक पदों पर महिलाए हे है अगर हम महिलाओ को बराबरी का दर्जा देंगे तो हम एक खुशहाल और सुनहरे भविष्य का निर्माण करेंगे !जिस देश में नारी को पूजा जाता था उसी देश में सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर स्त्री की दशा दयनीय है ! आम महिला अपने अधिकारों से वंचित है !समाज के  नैतिक  पतन का परिणाम है कि महिलाओ को पारिवारिक हिंसा का शिकार होना पड़ता है ! लेकिन आज हम देखते है कि शीर्ष पदों पर पहुचकर  महिलाए महिला शक्ति का परचम लहरा रही है ! परन्तु आज भी  परिवार में महिला अपनी जिम्मेदारियों और घरेलु हिंसा व पाटो  के बीच पिसती चली जा रही है महिलाओ के प्रति अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे ! महिलाओ के प्रति भेदभाव करने के मामले समाज के लिए नए नहीं है !सालो से चल रहे महिला सशक्तिकरण के अभियानों के बावजूद  भी महिलाए उपेक्षा का शिकार हो रही है ! पिछले दस सालो में इसमें पचपन फीसदी की बढ़ोतरी हुई ! महिलाओ पर होने वाले अत्याचारों में महिलाओ की भी अहम् भूमिका को नकारा नहीं जा सकता !! कन्याओ को कोख में मारे जाने में महिलाओ की भूमिका ज्यादा होती है ! महिलाओ पर होने वाले घरेलु अत्याचारों में भी महिलाओ की भूमिका अहम् होती है !
नारी हमारे देश की आधी आबादी मानी जाती है स्त्री के बारे मे साहित्य मे इतना  लिखा  गया कि शब्द कम पड़ गए ! स्त्रियों ने खुद के बारे मे लिखना और सोचना शुरू कर दिया !स्त्री समस्त सौंदर्य का सार है  ! सामाजिको ने कहा कि स्त्री  दया ,ममता करुना कि मूर्ति है वो त्याग कि मिसाल है स्त्री द्रितियक है !जहा  हमारे देश  मे नारी को पूजा जाता है वही समाज   मे  ओछी  मानसिकता के लोग  अजन्मी  बेटी को  मारने  का   पाप करते है !  आज  जरुरत है बेटी  को  बचाने  की महिलाओ को जागरूक होने की जरुरत है  उनका दायित्व  ज्यादा बनता है !  ! देश  मे एक तरह से अजन्मी कन्याओ  के खिलाफ युद्ध चल रहा है ! उनका क़त्ले आम हो रहा है इस युद्ध को रोकने की जरुरत है !यह युद्ध केवल कानून बनाने या दंड देने से ही नहीं रुकने वाला इस युद्ध को रोकने के लिए लोगो का  की सोच  मे  बदलाव  लाना होगापुरुषवादी मानसिकता में  बदलाव लाना होगा ! समाज उत्पिदाको पर कोई रहम ना  करे उनका   बहिष्कार हो गलत लोगो का बहिष्कार नहीं होगा तो उनका दुस्साहस बढेगा कड़े कानून बने ! देश का कोई भी कोना  एसा  नहीं है जहा महिला शोषण नहीं होता हो ! महिला शोषण के आंकड़े   भयावह है  महिलाओ  को न्याय दिलाने के लिए कानून तो बहुत बने है लेकिन उनका ठीक से पालन नहीं होता ! इस कारण  ही अपराधियों का दुस्साहस बढता है   आखिर समय ने कहा .स्त्री भी मनुष्य है .न कम न ज्यादा न माया न रूप  न शक्ति न अबला ! स्त्री आने वाले जीवन कि एक नयी  संभावना है ! स्त्री जीवन कि गहराइयों से स्त्रिया ही वाक़िफ़ होती है !  ! शास्त्रों  मे नारी को पूजनीय बताया गया है! आज  महिलाए हर क्षेत्र मैं काम कर रही है !चाहे वो   राजनीति या सामाजिक कार्य का !  सबसे बड़ी बात तो यह है कि  वर्तमान  में महिलाए  केंद्रीय मंत्रिमंडल मैं शामिल है फिर भी महिलाओ के प्रति  अपराध बढ़ते जा रहे है !महिलाओ को बराबरी का दर्जा दिलाना है तो खुद महिलाओ को इस दिशा में प्रयास करना होगा और सकारात्मक कदम उठाना होगा ! समाज में संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओ के समानाधिकार  और सुरक्षा देने के लिए विश्व भर में कुछ नीतिया ,कार्य क्रम और मानदंड निर्धारित किये गए है ! किसी भी समाज में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक समस्याओ का निराकरण महिलाओ की समझेदारी के बिना नहीं हो सकता इसलिए समाज में महिलाओ की स्थति को मजबूत करना बहुत जरुर्री है ! आज हम महिला  दिवस को व्यापक रूप में मानते है ! महिलाओ के विकास की बात करते है ! समाज राजनीति , फिल्म और साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओ को सम्मानित किया जाता है ! धीरे धीरे  परिस्थतिया बदल रही है और महिलाए पुरुष के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चल रही है ! माता पिता अब बेटा बेटी में कोई फर्क नहीं करते है ! महिलाओ को सशक्त करना जरुरी  होगा क्युकि महिलाए ही देश के विकास में महत्व पूर्ण भागीदारी निभाएंगी 
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