नैतिकता
मानव जीवन के हर क्षेत्र म़े नैतिकता ज़रुरी है हम अपने अन्तःकरण को जितना पवित्र रखेंगे उतनी ही विशालता के साथ हम नैतिकता को आत्मसात करेंगे ! अज्ज के युग मे सामाजिक हितो को धयान मे रखते हुए व्यक्ति का आध्यात्मिक होना बहुत जरुरी है अध्यात्मिकता से ही मानवता का जन्म होता है !जो समाज को व्यवस्थित रखने के लिए बहुत जरुरी है !इसलिए हमे पहला सुधर खुद से ही करना होगा क्युकि कहा भी जाता है की हम भले तो जग भला !उत्कृष्ट विचार और उत्कृष्ट चिंतन हमारे नैतिक मूल्यों को पोषित करते है ! इसलिए इनकी डोर हमे मजबूती से पकडे रहनी होती है मानव मे नैतिकता और आत्मबल की असीम शक्ति होती है ! इसके कारन वो बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना बड़ी आसानी से कर सकता है !साथ ही दुर्लभ वस्तु भी आसानी से पा सकता है !ये सब नैतिकता से मिलता है नैतिकता के साथ सामाजिकता का निर्वाह करना आज के समय की बहुत महत्वपूर्ण आवश्यकता है !इसके साथ ही सामाजिकता का स्थान पारिवारिकता से कम नहीं होना चाहिए ! जीवन मूल्यों और आदर्शो का जितना हम आदर करेंगे समाज मे उतने ही सुख शांति से रह सकेंगे ! जीवन मे नैतिकता की उपेक्षा करने से हमारा आत्मबल कमजोर होता है ! एसे व्यक्ति की बात मे दम नहीं रहता है ! नैतिकता और मानव मूल्यों की तुलना कभी भोंतिकता से नहीं की जा सकती !इसलिए हमे नैतिकता को अपने अंदर आत्मसात करना होगा तभी हमारा समाज और देश सच्चे अर्थ मे एक एक मजबूत राष्ट्र कहलायेगा !
मानव जीवन के हर क्षेत्र म़े नैतिकता ज़रुरी है हम अपने अन्तःकरण को जितना पवित्र रखेंगे उतनी ही विशालता के साथ हम नैतिकता को आत्मसात करेंगे ! अज्ज के युग मे सामाजिक हितो को धयान मे रखते हुए व्यक्ति का आध्यात्मिक होना बहुत जरुरी है अध्यात्मिकता से ही मानवता का जन्म होता है !जो समाज को व्यवस्थित रखने के लिए बहुत जरुरी है !इसलिए हमे पहला सुधर खुद से ही करना होगा क्युकि कहा भी जाता है की हम भले तो जग भला !उत्कृष्ट विचार और उत्कृष्ट चिंतन हमारे नैतिक मूल्यों को पोषित करते है ! इसलिए इनकी डोर हमे मजबूती से पकडे रहनी होती है मानव मे नैतिकता और आत्मबल की असीम शक्ति होती है ! इसके कारन वो बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना बड़ी आसानी से कर सकता है !साथ ही दुर्लभ वस्तु भी आसानी से पा सकता है !ये सब नैतिकता से मिलता है नैतिकता के साथ सामाजिकता का निर्वाह करना आज के समय की बहुत महत्वपूर्ण आवश्यकता है !इसके साथ ही सामाजिकता का स्थान पारिवारिकता से कम नहीं होना चाहिए ! जीवन मूल्यों और आदर्शो का जितना हम आदर करेंगे समाज मे उतने ही सुख शांति से रह सकेंगे ! जीवन मे नैतिकता की उपेक्षा करने से हमारा आत्मबल कमजोर होता है ! एसे व्यक्ति की बात मे दम नहीं रहता है ! नैतिकता और मानव मूल्यों की तुलना कभी भोंतिकता से नहीं की जा सकती !इसलिए हमे नैतिकता को अपने अंदर आत्मसात करना होगा तभी हमारा समाज और देश सच्चे अर्थ मे एक एक मजबूत राष्ट्र कहलायेगा !
2 comments
Write commentsबहुत ही सुंदर विचार ....अगर इस पर अमल करलिया जाए ..और नेतिकता आजाये तो भारत फिर सोने की चिड़िया बन सकता है ...राम राज्य कि स्तापना हो सकती है .....
Replythanx a lot kailash ji
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