महिला उत्पीडन
आज महिलाओ की ये हालत हो गई है की वो घर या बाहर कही भी सुरक्षित नहीं रह गयी ! खुली आँखों से भविष्य के सपने बुनने वाली युवतियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएँ हमे प्रतिपल उद्देलित कर रही है कुछ वर्षो मे छात्राओ व् महिलाओ के साथ यौन उत्पीडन की घटनाएँ बढती जा रही है प्राचीन भारत मे नारी को देवी स्वरूप मानकर उसकी पूजा की जाती थी !
!लेकिन आज के युग मे देखा जाये नारी को अपमान और तिरस्कार सहना पड़ता है !
नारी तो आधी आबादी होती है !! महिलाओ को प्रताड़ित और उपेक्षित करके कोई भी समाज आगे
नहीं बढ़ सकता है ! महिलाओ को सुरक्षा और सम्मान ज़रुर मिलना चाहिए
हमारी देश की राजधानी दिल्ली भी महिलाओ के लिए महफूज नहीं रही वहा पर आये दिन बलात्कार की घटनाए होती रहती है !मगर फिट भी न सरकार की नींद खुलती है न पुलिस की ! जनवरी 2012 मे देहली कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी तरु ने दुष्कर्म के आरोपियों को बंदीकरण करने की अपील करी थी ! !राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा जरी आंकड़ो इ आधार पे 2010 मे 1335 दुष्कर्म की घटने हुई और 2012 ऐ यह संख्या 1800 तक पहुच गयी !महिलाओ के साथ जो उत्पीडन के मामले सामने आये है उसमे ज्यादातर रिश्तेदार या परिचित ही शामिल होते है !
त्रेता युग मे सीता को कलंकित किया गया ! द्रापर युग मे द्रोपदी का चीर हरण किया गया ! इधर वनस्थली विधा पीठ मे हुई लड़कियों के साथ हुई दुष्कर्म की घटना ने जो माँ बाप बेटियों को शिक्षण संस्थानों मे विश्वास के साथ भेजते है उनको सोचने पर मजबूर कर दिया है ! लेकिन महिलाए और लडकिया सुरक्षित कहा है ! हल ही के वर्षो मे छात्राओ के साथ यौन उत्पीडन और बढती आत्म हत्याओ ने शिक्षण संस्थानी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है ! जहा पर छात्राए शिक्षा और संस्कार सीखने जाती है क्या ये मंदिर का अपमान नहीं है ? जहा पर बच्चियों के साथ दुष्कर्म किया जाता है ! हरियाणा राज्य एक विकसित राज्य है लेकिन महिला शोषण के ज्यादातर वही पर सामने आये है ! नेता लोग के इस सम्बन्ध मे असंतुलित और अनुचित बयां आते है !उनके अनुसार बलात्कार के मामले मे 90 फीसदी मामलो मे लड़कियाँ मर्जी से सम्बन्ध बनती है ! उन्होंने बलात्कार के लिए महिलाओ को ही दोषी ठह राया जाता है ! लगता है की महिलाओ की सिरे से चिंता करने वाला कोई नहीं बचा है दुष्कर्म के सरे मामलो मई अपराधियों को कड़ी सजा नहीं मिल पाती पुलिस भी अपना कम सही ढंग से नहीं करती ! !नेताओं की टिप्पणियाँ सामाजिक अध्ययन की कमी को दर्शाती है !आज नेताओं को नारी के प्रति एक मानवीय सोच रखने की जरुरत है !महिलाओ का निरादर करना अनुचित है !ये हमारे समाज को मध्य युगीन बाबर संस्कृति की और ले जा रहे है महिलाओ के साथ सहानुभूति रखने की जरुरत है
और महिलाओ को भी सजग और दृढ़ रहना होगा खुद के प्रति !को खुद मे भी सचेत रहने की जरुरत है ! अपने आस पास अगर कोई अंजन व्यक्ति नजर आये तो पुलिसे को सूचना दे ! महिला अपने आप को किसी रूप मे कमजोर न समझे ! हर स्थति मे हिम्मत और होसला बनाए रखे ! जब जब कोई लड़की हमारे समाज मे बहत गहरे तक धंसी पुरुषवादी सोच को अपने अनुरूप नहीं लगती तो तो वे उसे सबक सीखने पर उतारू हो जाते है !आखिर मी मन मे ये एक सवाल तो आता ही है कि पता नहीं वो दिन कब आएगा जब हमारे समाज मे महिलाओ के लिए अपनी मर्ज़ी से जीना सम्हाव हो सकेगा !
महिलाओ को अपने आप मे द्रढ़ होने की जरुरत है ! महिला को आत्म निर्भर बनने की जरुरत है !जिन संस्थानों और व्यक्तियों पर इन अपराधी की रोकथाम की ज़िम्मेदारी है वो अपने ज़िम्मेदारी ईमानदारी से नहीं निभा रहे है ! अपराधी खुले आम घूम रहे है पीडिताए घर पर बैठकर सिसकिया भर रही है ! पश्चिमी संस्कृति के अन्धानुकरण ने हमारी संस्कृति को तहस नहस कर दिया है ! युवा
भटक गए है ! हिंसक और अराजक हो गए है ! आज कानून का डर और समाज का डर खत्म होने की वजह से बलात्कार जैसे अपराध बढ़ रहे है अपराधो को ख़तम करने के लिए सामाजिक और शेक्षणिक रूप से सामूहिक स्तर पर प्रयास करने की जरुरत है !एक और तो हम यह कह रहे है की देश मे लड़कियों का अनुपात घट रहा है ! और दूसरी तरफ उन्हें अपमानित कर आत्म हत्या करने पर मजबूर कर रहे है पिछले कुछ समय से महिलाओ के खिलाफ हिंसा बढती जा रही है !खाप पंचायत लड़कियों की शादी की उम्र 15 वर्ष करने का प्रस्ताव कर रही है ! एक नेता यह कह रहे है कि लड़कियाँ अपनी काम इच्छा के कारण फसती है ! तो एक कुल पति यह कह रहे है कि ऐसे मे आत्म हत्याओ के अनुपात मे वनस्थली मे कम आत्म हत्याए हो रही है !क्या ये सभी बयान लड़कियों के प्रति सम्मान प्रकट करते है ? क्या नारी की अस्मिता से कोई बड़ी चीज है ! ऐसा तो नहीं है राजनेता भी इन घटनाओ को वोट बैंक के चश्मे से देखते है ! दुष्कर्म की शिकार महिलाओ और छात्राओ के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझने की जरुरत है ! आज दुष्कर्म की शिकार महिलाए जीवन भर इस त्रासदी को झेलती रहती है ! कुछ तो मानसिक रोगी बन जाती है ! और कुछ आत्म हत्या कर लेती है ! एसे कुकृत्य से पीडिता का परिवार भी प्रभावित होता है !यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है छात्राओ के साथ उत्पीडन की बात जब सामान्य हो जाये तो पुलिस प्रशासन के साथ राज्य सरकार को भी गंभीरता से लेना चाहिये ! दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दिलानी चाहिए !
आज महिलाओ की ये हालत हो गई है की वो घर या बाहर कही भी सुरक्षित नहीं रह गयी ! खुली आँखों से भविष्य के सपने बुनने वाली युवतियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएँ हमे प्रतिपल उद्देलित कर रही है कुछ वर्षो मे छात्राओ व् महिलाओ के साथ यौन उत्पीडन की घटनाएँ बढती जा रही है प्राचीन भारत मे नारी को देवी स्वरूप मानकर उसकी पूजा की जाती थी !
!लेकिन आज के युग मे देखा जाये नारी को अपमान और तिरस्कार सहना पड़ता है !
नारी तो आधी आबादी होती है !! महिलाओ को प्रताड़ित और उपेक्षित करके कोई भी समाज आगे
नहीं बढ़ सकता है ! महिलाओ को सुरक्षा और सम्मान ज़रुर मिलना चाहिए
हमारी देश की राजधानी दिल्ली भी महिलाओ के लिए महफूज नहीं रही वहा पर आये दिन बलात्कार की घटनाए होती रहती है !मगर फिट भी न सरकार की नींद खुलती है न पुलिस की ! जनवरी 2012 मे देहली कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी तरु ने दुष्कर्म के आरोपियों को बंदीकरण करने की अपील करी थी ! !राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा जरी आंकड़ो इ आधार पे 2010 मे 1335 दुष्कर्म की घटने हुई और 2012 ऐ यह संख्या 1800 तक पहुच गयी !महिलाओ के साथ जो उत्पीडन के मामले सामने आये है उसमे ज्यादातर रिश्तेदार या परिचित ही शामिल होते है !
त्रेता युग मे सीता को कलंकित किया गया ! द्रापर युग मे द्रोपदी का चीर हरण किया गया ! इधर वनस्थली विधा पीठ मे हुई लड़कियों के साथ हुई दुष्कर्म की घटना ने जो माँ बाप बेटियों को शिक्षण संस्थानों मे विश्वास के साथ भेजते है उनको सोचने पर मजबूर कर दिया है ! लेकिन महिलाए और लडकिया सुरक्षित कहा है ! हल ही के वर्षो मे छात्राओ के साथ यौन उत्पीडन और बढती आत्म हत्याओ ने शिक्षण संस्थानी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है ! जहा पर छात्राए शिक्षा और संस्कार सीखने जाती है क्या ये मंदिर का अपमान नहीं है ? जहा पर बच्चियों के साथ दुष्कर्म किया जाता है ! हरियाणा राज्य एक विकसित राज्य है लेकिन महिला शोषण के ज्यादातर वही पर सामने आये है ! नेता लोग के इस सम्बन्ध मे असंतुलित और अनुचित बयां आते है !उनके अनुसार बलात्कार के मामले मे 90 फीसदी मामलो मे लड़कियाँ मर्जी से सम्बन्ध बनती है ! उन्होंने बलात्कार के लिए महिलाओ को ही दोषी ठह राया जाता है ! लगता है की महिलाओ की सिरे से चिंता करने वाला कोई नहीं बचा है दुष्कर्म के सरे मामलो मई अपराधियों को कड़ी सजा नहीं मिल पाती पुलिस भी अपना कम सही ढंग से नहीं करती ! !नेताओं की टिप्पणियाँ सामाजिक अध्ययन की कमी को दर्शाती है !आज नेताओं को नारी के प्रति एक मानवीय सोच रखने की जरुरत है !महिलाओ का निरादर करना अनुचित है !ये हमारे समाज को मध्य युगीन बाबर संस्कृति की और ले जा रहे है महिलाओ के साथ सहानुभूति रखने की जरुरत है
और महिलाओ को भी सजग और दृढ़ रहना होगा खुद के प्रति !को खुद मे भी सचेत रहने की जरुरत है ! अपने आस पास अगर कोई अंजन व्यक्ति नजर आये तो पुलिसे को सूचना दे ! महिला अपने आप को किसी रूप मे कमजोर न समझे ! हर स्थति मे हिम्मत और होसला बनाए रखे ! जब जब कोई लड़की हमारे समाज मे बहत गहरे तक धंसी पुरुषवादी सोच को अपने अनुरूप नहीं लगती तो तो वे उसे सबक सीखने पर उतारू हो जाते है !आखिर मी मन मे ये एक सवाल तो आता ही है कि पता नहीं वो दिन कब आएगा जब हमारे समाज मे महिलाओ के लिए अपनी मर्ज़ी से जीना सम्हाव हो सकेगा !
महिलाओ को अपने आप मे द्रढ़ होने की जरुरत है ! महिला को आत्म निर्भर बनने की जरुरत है !जिन संस्थानों और व्यक्तियों पर इन अपराधी की रोकथाम की ज़िम्मेदारी है वो अपने ज़िम्मेदारी ईमानदारी से नहीं निभा रहे है ! अपराधी खुले आम घूम रहे है पीडिताए घर पर बैठकर सिसकिया भर रही है ! पश्चिमी संस्कृति के अन्धानुकरण ने हमारी संस्कृति को तहस नहस कर दिया है ! युवा
भटक गए है ! हिंसक और अराजक हो गए है ! आज कानून का डर और समाज का डर खत्म होने की वजह से बलात्कार जैसे अपराध बढ़ रहे है अपराधो को ख़तम करने के लिए सामाजिक और शेक्षणिक रूप से सामूहिक स्तर पर प्रयास करने की जरुरत है !एक और तो हम यह कह रहे है की देश मे लड़कियों का अनुपात घट रहा है ! और दूसरी तरफ उन्हें अपमानित कर आत्म हत्या करने पर मजबूर कर रहे है पिछले कुछ समय से महिलाओ के खिलाफ हिंसा बढती जा रही है !खाप पंचायत लड़कियों की शादी की उम्र 15 वर्ष करने का प्रस्ताव कर रही है ! एक नेता यह कह रहे है कि लड़कियाँ अपनी काम इच्छा के कारण फसती है ! तो एक कुल पति यह कह रहे है कि ऐसे मे आत्म हत्याओ के अनुपात मे वनस्थली मे कम आत्म हत्याए हो रही है !क्या ये सभी बयान लड़कियों के प्रति सम्मान प्रकट करते है ? क्या नारी की अस्मिता से कोई बड़ी चीज है ! ऐसा तो नहीं है राजनेता भी इन घटनाओ को वोट बैंक के चश्मे से देखते है ! दुष्कर्म की शिकार महिलाओ और छात्राओ के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझने की जरुरत है ! आज दुष्कर्म की शिकार महिलाए जीवन भर इस त्रासदी को झेलती रहती है ! कुछ तो मानसिक रोगी बन जाती है ! और कुछ आत्म हत्या कर लेती है ! एसे कुकृत्य से पीडिता का परिवार भी प्रभावित होता है !यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है छात्राओ के साथ उत्पीडन की बात जब सामान्य हो जाये तो पुलिस प्रशासन के साथ राज्य सरकार को भी गंभीरता से लेना चाहिये ! दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दिलानी चाहिए !
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