घटते नेतिक मूल्य
पिछले दिनों गुजरात में जैन मुनि प्रबल सागर पर हुआ हमला यह हमला अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले संत पर हिंसात्मक हमला था जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है ! यह एक अक्षम्य अपराध है !इस तरह किसी संत पर हमला होना हमारे नेतिक मूल्यों के पतन की पराकाष्टा है ! क्यों हमारे देश और समाज मैं इस तरह अपराधियों की हिम्मत बढती जा रही है! और पुलिस और प्रशासन ठगे से देखते रहते है ! जैन धर्म अहिंसा का धर्म है अगर एसे मैं इन संतो पर इस तरह से अत्याचार बढे तो हमारी मानवता खतरे मैं पड़ जाएगी ! ऐसे मैं कहा सुरक्षित रह पाएंगे हम और हमारे समाज के लोग ! ये हम किस दिशा मैं बढ़ रहे है ! क्या यही हमारी मंजिल है ? आखिर क्यों कड़ी कारवाई नहीं की जाती ऐसे अपराधियों के विरोध में ! क्या हमारी सभ्यता और संस्कृति की गरिमा बनी रह पायेगी ! नेतिक मूल्यों के तो मानो आज कोई मायने ही नहीं रह गए है ! अगर हम आप मानवता का अनुसरण करेंगे तो सभी भेदभावों से परे और खुले विचारों वाले बनेंगे. सभी मनुष्य आपके लिए समान होंगे और जरुरत मंद की सहायता ही हमारा धर्म होगा. इससे हम खुद को ईश्वर के ज्यादा निकट पाएंगे और सच्चे अर्थों में ख़ुशी और शांति पा सकेंगे ! सबसे पहले हमे एक अच्छा इन्सान बनने की कोशिश करनी चाहिए तभी हम सही अर्थो में मानव मूल्यों को समझ पाएंगे और इस तरह के अपराधो के बढ़ने में कमी आएगी ! धर्म और प्राचीन संस्कारो के प्रति उदासीनता के कारन आज की युवा पीढ़ी कुसंगति मैं पड़कर उग्र स्वाभाव की होती जा रही है ! सदाचार से मनुष्य की आयु बढती है ! तथा लोक परलोक में कीर्ति की प्राप्ति होती है
पिछले दिनों गुजरात में जैन मुनि प्रबल सागर पर हुआ हमला यह हमला अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले संत पर हिंसात्मक हमला था जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है ! यह एक अक्षम्य अपराध है !इस तरह किसी संत पर हमला होना हमारे नेतिक मूल्यों के पतन की पराकाष्टा है ! क्यों हमारे देश और समाज मैं इस तरह अपराधियों की हिम्मत बढती जा रही है! और पुलिस और प्रशासन ठगे से देखते रहते है ! जैन धर्म अहिंसा का धर्म है अगर एसे मैं इन संतो पर इस तरह से अत्याचार बढे तो हमारी मानवता खतरे मैं पड़ जाएगी ! ऐसे मैं कहा सुरक्षित रह पाएंगे हम और हमारे समाज के लोग ! ये हम किस दिशा मैं बढ़ रहे है ! क्या यही हमारी मंजिल है ? आखिर क्यों कड़ी कारवाई नहीं की जाती ऐसे अपराधियों के विरोध में ! क्या हमारी सभ्यता और संस्कृति की गरिमा बनी रह पायेगी ! नेतिक मूल्यों के तो मानो आज कोई मायने ही नहीं रह गए है ! अगर हम आप मानवता का अनुसरण करेंगे तो सभी भेदभावों से परे और खुले विचारों वाले बनेंगे. सभी मनुष्य आपके लिए समान होंगे और जरुरत मंद की सहायता ही हमारा धर्म होगा. इससे हम खुद को ईश्वर के ज्यादा निकट पाएंगे और सच्चे अर्थों में ख़ुशी और शांति पा सकेंगे ! सबसे पहले हमे एक अच्छा इन्सान बनने की कोशिश करनी चाहिए तभी हम सही अर्थो में मानव मूल्यों को समझ पाएंगे और इस तरह के अपराधो के बढ़ने में कमी आएगी ! धर्म और प्राचीन संस्कारो के प्रति उदासीनता के कारन आज की युवा पीढ़ी कुसंगति मैं पड़कर उग्र स्वाभाव की होती जा रही है ! सदाचार से मनुष्य की आयु बढती है ! तथा लोक परलोक में कीर्ति की प्राप्ति होती है
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