आजकल महिलाओ के प्रति यौन अपराध बढ़ते जा रहे है ! महिलाओ को हर जगह वहशी निगाहों का सामना करना पड़ता है ! हमारे देश में आये दिन दलित महिलाओ व निशक्त महिलाओ के साथ यौन उत्पीडन की घटनाए होती रहती है !इनके साथ ऐसा इसलिए किया जाता है क्युकि एसा करने के पीछे इनमे सजा का दर नहीं होता है ! हम ये सोचते है की कड़ा दंड देने से भविष्य में लोग ऐसे अपराध करने से बचेंगे ! पर मुझे लगता है इससे भी ज्यादा जरुरत पुरुषो को अपनी मानसिकता में बदलाव लाने की जरुरत है पुरुष महिलाओ का सम्मान करना सीखे ! नारी शक्ति का सम्मान करे ! हमारा समाज और देश भी तभी ही तभी खुशहाल रहेगा जब महिलाए घर और बाहर हर जगह अपने आपको सुरक्षित महसूस करेंगी ! नारी समाज और देश को दिशा देने में महतवपूर्ण भूमिका निभाती है ! आज जो युवा वर्ग ऐसी घटनाओ को लेकर आक्रोश से भरा हुआ है वो एकदम जायज है ! हमे अपने कानून मैं ऐसी सजाओ का प्रावधान होगा जो लोगो को ऐसे अपराध करने से रोक सके ! आक्रोश और पीड़ा के इस क्षण में हमे ऐसे सुधारो की जरुरत है जो काफी समय से लंबित पड़े है ! इसमें पुलिस सुधार और न्यायिक सुधर शामिल है ! इसे कानून बनाने होंगे जिसके अंतर्गत कोई भी महिला किसी भी कार्य स्थल तथा सार्वजानिक जगह पर बिना किसी रोक टोक के जा सके !हमे खुद को बी ही टटोलना होगा की एक व्यक्ति के तौर पर हम अपने बेटो की परवरिश की तरह से कर रहे है ! उन्हें किस तरह के संस्कार दे रहे है कही हम उन्हें आक्रामक हिंसक तथा महिलाओ के प्रति अनादर का भाव रखना तो नहीं सीखा रहे ! हिंसा की जो प्रवति लड़की को गर्भ में ही मार देती है वाही हिंसक प्रवति बाद में कई गुना बढ़कर महिलाओ के प्रति नफरत और बलात्कार जैसे कृत्यों के रूप मैं सामने आती है ! बलात्कारियो के प्रति खोफ दिखाने से महिलाओ के प्रति हिंसा ख़तम नहीं होगी ! इसके लिए जरुरी है कानून को प्रभावी ढंग से लागु किया जाये इसके लिए हमे बेटा और बेटी को समानता का दर्जा भी देना होगा ! कुछ बुद्धिजीवी वर्ग ने यहाँ तक भी मांग की है कि म्रत्यु दंड न तो यौन हिंसा के प्रति निरोधक है न ही प्रभावी है ! हम ये कैसे माने की बलात्कार जैसे अपराध रोकने के लिए प्राणदंड प्रभावी व् अनियार्य जरुरी है ! स्वतंत्र भारत की सरकार किसी भी ही व्यक्ति की गरिमा और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है ! कोई भी न्याय प्रणाली गलत तरीके से सच दिखाने की आशंका को समाप्त नहीं कर सकती ! अंत में हम कैसे व्यक्ति की जान लेने को नेतिक तौर पर जायज ठहरा सकते है ! दया न्याय को नरम बनाती है जिससे यह और ज्यादा मानवीय होता है ! हमे अपनी सोच को व्यावहारिक बनाने की जरुरत है !
महिला सुरक्षा
आजकल महिलाओ के प्रति यौन अपराध बढ़ते जा रहे है ! महिलाओ को हर जगह वहशी निगाहों का सामना करना पड़ता है ! हमारे देश में आये दिन दलित महिलाओ व निशक्त महिलाओ के साथ यौन उत्पीडन की घटनाए होती रहती है !इनके साथ ऐसा इसलिए किया जाता है क्युकि एसा करने के पीछे इनमे सजा का दर नहीं होता है ! हम ये सोचते है की कड़ा दंड देने से भविष्य में लोग ऐसे अपराध करने से बचेंगे ! पर मुझे लगता है इससे भी ज्यादा जरुरत पुरुषो को अपनी मानसिकता में बदलाव लाने की जरुरत है पुरुष महिलाओ का सम्मान करना सीखे ! नारी शक्ति का सम्मान करे ! हमारा समाज और देश भी तभी ही तभी खुशहाल रहेगा जब महिलाए घर और बाहर हर जगह अपने आपको सुरक्षित महसूस करेंगी ! नारी समाज और देश को दिशा देने में महतवपूर्ण भूमिका निभाती है ! आज जो युवा वर्ग ऐसी घटनाओ को लेकर आक्रोश से भरा हुआ है वो एकदम जायज है ! हमे अपने कानून मैं ऐसी सजाओ का प्रावधान होगा जो लोगो को ऐसे अपराध करने से रोक सके ! आक्रोश और पीड़ा के इस क्षण में हमे ऐसे सुधारो की जरुरत है जो काफी समय से लंबित पड़े है ! इसमें पुलिस सुधार और न्यायिक सुधर शामिल है ! इसे कानून बनाने होंगे जिसके अंतर्गत कोई भी महिला किसी भी कार्य स्थल तथा सार्वजानिक जगह पर बिना किसी रोक टोक के जा सके !हमे खुद को बी ही टटोलना होगा की एक व्यक्ति के तौर पर हम अपने बेटो की परवरिश की तरह से कर रहे है ! उन्हें किस तरह के संस्कार दे रहे है कही हम उन्हें आक्रामक हिंसक तथा महिलाओ के प्रति अनादर का भाव रखना तो नहीं सीखा रहे ! हिंसा की जो प्रवति लड़की को गर्भ में ही मार देती है वाही हिंसक प्रवति बाद में कई गुना बढ़कर महिलाओ के प्रति नफरत और बलात्कार जैसे कृत्यों के रूप मैं सामने आती है ! बलात्कारियो के प्रति खोफ दिखाने से महिलाओ के प्रति हिंसा ख़तम नहीं होगी ! इसके लिए जरुरी है कानून को प्रभावी ढंग से लागु किया जाये इसके लिए हमे बेटा और बेटी को समानता का दर्जा भी देना होगा ! कुछ बुद्धिजीवी वर्ग ने यहाँ तक भी मांग की है कि म्रत्यु दंड न तो यौन हिंसा के प्रति निरोधक है न ही प्रभावी है ! हम ये कैसे माने की बलात्कार जैसे अपराध रोकने के लिए प्राणदंड प्रभावी व् अनियार्य जरुरी है ! स्वतंत्र भारत की सरकार किसी भी ही व्यक्ति की गरिमा और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है ! कोई भी न्याय प्रणाली गलत तरीके से सच दिखाने की आशंका को समाप्त नहीं कर सकती ! अंत में हम कैसे व्यक्ति की जान लेने को नेतिक तौर पर जायज ठहरा सकते है ! दया न्याय को नरम बनाती है जिससे यह और ज्यादा मानवीय होता है ! हमे अपनी सोच को व्यावहारिक बनाने की जरुरत है !
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