भगवान महावीर अहिंसा के पुजारी

                                       भगवान  महावीर अहिंसा के पुजारी


काल गन्ना की द्रष्टि में  500  इसवी  की  चॆत्र सुदी तेरस को वैशाली गणराज्य के कुण्डलपुर  राजपरिवार में  भगववान महावीर का जनम हुआ !
 भगवान  महावीर बारह वर्ष तक  सत्य की खोज करते रहे  उनके अनुसार जीवन का सत्य और गणित अति  महतवपूर्ण  है ! तीर्थंकर भगववान महावीर की देशना में  ज्ञान ही सत्ता है ! ज्ञान में  तर्क का अवसर नहीं होता  ! भगवन महावीर के अनुसार सत्य और ज्ञान भिन्न नहीं है ! जैन द्रष्टि जानने की है ! इसी से स्रष्टि विधान या निर्माण की कोई धारणा  नहीं है !  तीर्थंकर मार्ग दिखाते है बनाते नहीं है !  भगवान् महावीर कही आग्रह नहीं करते ! आचार में  अहिंसा   विचार मै  अनेकांत और  व्यवहार का सूत्र  अनुपम  देन  है ! जिसमे विवाद और हिंसा का अवसर नहीं रह जाता !  जैन द्रष्टि में हर वस्तु  अपने स्वभाव  में  स्थित है !इसलिए जो भी हो रहा है वो अपने समय के अनुसार है !  भगवान् महावीर हर दौर में   प्रासंगिक ही बने रहे !  भगववान महावीर तीर्थंकर परंपरा के चोबीसवे   और अंतिम तीर्थंकर कहलाए   जिस तीर्थंकर परंपरा का  सूत्रपात हमारे काल  में  आदिनाथ  रिषभ देव से  माना  जाता है !  भगववान महावीर आचार अहिंसा का शक्ति प्रदर्शन नहीं करते वे तो  कर्म से निष्कर्म होने की साधना पर सहज ही प्रवत्त होते है और यही  प्रवति  कल्याणकारी निवृति की सूत्रधार बन जाती है !  भगवान् महावीर  ने अहिंसा का व्रत धारण नहीं किया बल्कि  अहिंसा उनके आचार में  उतरे !   भगवान् महावीर ने जीवो के परस्पर सह अस्तित्व के मूल्य को जाना और दुनिया को जियो और जीने का सन्देश दिया !उन्होंने सन्देश दिया की जब तक जीवन में  स्वार्थ और मोह को नहीं छोड़गे  तब तक जीवन का उपादेय उपलब्ध नहीं रहेगा  !भगवान् महावीरने स्यादवाद  का सूत्र दिया  यह सूत्र समझाता है कि सत्य सापेक्ष होता है और  अंतिम तौर पर उसे अभिव्यक्त करना सत्य ज्ञान की सभी संभावनाओ से गुजरे बिना संभव नहीं हो सकता ! भगवान् महावीर के सन्देश को   समाज आज भी आत्मसात करले तो शांति की तलाश में  बेचैन दुनिया को एक महत्व पूर्ण सफलता मिल सकती है !  आज  दुनिया आंतकवाद से जूझ रही है ऐसे में  भगवान् महावीर का अहिंसा का सिद्धांत  एक आशा और उम्मीद  जगा  देता है  ! भगवान् महावीर का स्यादवाद परस्परोपग्रहो  जीवानाम के सन्देश के साथ भेदभाव की संभावनाओ को सहेजता  प्रतीत होता है !  महलो का सुख त्यागने वाले भगवान् महावीर की शिक्षाए आज घोर सांसारिको  को  सुख और शांति का सन्देश देती है !
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