स्वतंत्रता दिवस मेरा देश
देश में एक बार फिर 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस या आजादी के दिन के अवसर पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। यह दिन भारतीय जीवन का मंगलमय दिन बन गया।
वर्षों की
गुलामी सहने और लाखों देशवासियों का जीवन खोने के बाद हमने यह बहुमूल्य
आजादी पाई है. लेकिन आज की युवा पीढ़ी आजादी का वास्तविक अर्थ भूलती जा रही
है. पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण कर वह अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से
दूर होती जा रही है. इस संदर्भ में किसी कवि ने खूब लिखा है कि:
“भगतसिंह इस बार न लेना, काया भारतवासी की
क्यूंकि देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फांसी की”
भारत के राजनीतिक इतिहास का तो एक स्वर्णिम दिन है। आजादी को परिभाषित करना बहुत मुश्किल है. देश में बढ़ते भ्रष्टाचार, अराजकता, बेरोजगारी, भूखमरी, बेरोजगारी,
अस्वास्थ्य की स्थित और गरीबी की वजह से अनेक लोगों के लिये 15 अगस्त की
आजादी एक भूली बिसरी घटना हो गयी है। इतने वर्ष व्यतीत हो जाने पर
भी भारत अपने सपने को साकार नहीं कर पाया। इसका कारण वैयक्तिक स्वार्थों की
प्रबलता है। विकास के
पथ पर आगे बढकर देश और समाज को ऐसी दिशा देना, जिससे हमारे देश की संस्कृति
की सोंधी खुशबू चारों ओर फैल सके. लेकिन आज हमारी युवा पीढ़ी आजादी के सही
मायने भूलती जा रही है. युवा लोग पाश्चात्य संस्कृति से अत्यधिक प्रभावित
हो रहे हैं. आज हमें अपनी आजादी का सदुपयोग करते हुए समाज और देश को विकास
के पथ पर ले जाना चाहिए.आजादी की सीमाएं तय करना बहुत जरूरी है. आजादी में संतुलन बहुत जरूरी है.आज हमारी बढती आबादी भी चिंता का विषय हैं ! आज़ादी के समय हम 35 करोड़ थे जबकि अब सवा अरब को छूने वाले हैं ! भारत महज दुनिया के भू भाग का एक हिस्सा भर नहीं बलकि मानवीय विकास की गाथा हैं हम उस देश की आज़ादी का जश्न मना रहे हैं क्यूंकि देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फांसी की”
हमारा कर्तव्य है कि देश के उत्थान के लिए इसकी ईमानदारी का परिचय दें। प्रत्येक नागरिक कर्मठता का पाठ सीखे और अपने चरित्र, बल को ऊंचा बनाए। दुनिया के किसी हिस्से में इतना सोन्दर्य नहीं ऐसी कला नहीं एसा सोन्दर्य नहीं भारत कल्पनातीत हैं ! विशाल और अद्भुत हैं ! आज हम भारत देश की बात करते हैं तो इसका सारा श्रेय हमारे शहीदों को जाता हैं उनकी कुर्बानियों की बदोलत ही हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं आजादी के बाद भी अभी शहादत का सिलसिला खत्म नहीं हुआ हैं जिस आजादी के लिए हमने देश के लिए कई महान वीरों की आहुति दी है उस आजादी को ऐसे बर्बाद करना बिलकुल सही नहीं है. हमें देश को भ्रष्टाचार, गरीबी, नशाखोरी, अज्ञानता से आजादी दिलाने की कोशिश करनी चाहिए. आजादी के इस महापर्व में कई महान देश भक्तों की आहुति दी गई है तब जाकर यह हमें प्राप्त हुई है. हम यहाँ आज़ादी का जश्न मना रहे हैं वह हमारे सैनिक अपना जिस्म लहू से रंगते हैं ! आजादी का सही अर्थ वही समझ सकता है जिसने गुलामी के दिन झेले हो ! जनता एवं सरकार दोनों को मिलकर देश के प्रति अपने कर्तव्य को पूरा करना है। युवक देश की रीढ़ की हड्डी के समान है। उन्हें देश का गौरव बनाए रखने के लिए तथा इसे संपन्न एवं शक्तिशाली बनाने में अपना योगदान देना चाहिए। राष्ट्र की उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि हम सांप्रदायिकता के विष से सर्वथा दूर रहें। सभी निज संस्कृति के अनुकूल ही रचे राष्ट्र उत्थान।
किसी की लिखी ये पंक्तिया याद आ रही हैं !
कौन आज़ाद हुआ, किसके माथे से ग़ुलामी की सियाही छूटी
मादरे-हिन्द के चेहरे पे उदासी वही, कौन आज़ाद हुआ…
मादरे-हिन्द के चेहरे पे उदासी वही, कौन आज़ाद हुआ…
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