महिला दुष्कर्म हम किधर जा रहे है
दुष्कर्म एक निंदनीय एवं महिला के सम्मान को ठेस पहुचाने वाला वाला अपराध है ! आज दुष्कर्म यौन उतपीडन तथा छेड़छाड़ के अनेक विकृत रूप सामने आ रहे है ! नारी हमारे देश की आधी आबादी मानी जाती है !शास्त्रों मे नारी को पूजनीय बताया गया है! आज हमारा देश चाहे कितनी हे तरक्की कर ले !लेकिन आज भी महिलाओ के साथ बदसलुकी की घटनाए देखने को मिलती है उनका शोषण किया जाता है अंत मे वो आत्म हत्या करने पर मजबूर हो जाती है और उस पर भी सारा दोष उसी पर ड़ाल दिया जाता है और उसे चरित्रहीन होने की संज्ञा दी जाती है
दिल्ली गंग रैप ने हर नागरिक को सोचने पर मजबूर कर दिया है ! कि महिलाएँ आखिर कैसे रहे सुरक्षित ? लेकिन देश के बाकि शहरों में भी महिलाएँ कोई खास सुरक्षित नहीं है ! चाहे कोई भी प्रदेश हो आचे दिन महिलाओ की इज़्ज़त तार तार होती है ! और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है ! सुधार के लिए संघठित होकर कारगर कागजी और ज़मीनी कार्यवाही की जाये ! यह अपराध व्यवस्था की कमज़ोरी ही कही जाएगी कि 1983 मे दुष्कर्म से जुड़े मामलो मे कानून को अत्यधिक कठोर बनाने के बावजूद दुष्कर्म की घटनाएँ निरंतर बढ़ रही है ! 12 राज्यों मे दुष्कर्म मे हरियाणा सबसे आगे है हरियाणा में पिछले एक महीने के अंदर 22 दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की शर्मनाक घटना घट चुकी हैं जिसमें एक छह साल की मासूम को भी हवस के शिकारियों ने शिकार बनाने में गुरेज नहीं किया ! केवल कड़े कानून बना देने और सजा के कठोर प्रावधान कर देने से ही कुछ हासिल नहीं होगा आज के समाज मे उन सामाजिक और आर्थिक दशा का विश्लेषण करना होगा जो लोगो को दुष्कर्मी बनती है ! दिल्ली में महिलाओं के साथ बलात्कार व छेड़खानी से जुड़ी 454 घटनाएं घट चुकी हैं। किसी भी अन्य महानगर की तुलना में यह सबसे बड़ी संख्या है। इसलिए यह जुमला आम हो गया है कि दिल्ली में महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। इस ताजी घटना ने तय किया है कि दिल्ली में न केवल रक्षात्मक, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो चुका है। दिल्ली में ऐसा होना इसलिए चिंताजनक है, क्योंकि यहां विधि निर्माण का शिखर मंदिर संसद है। निर्वाचित सर्वोच्च जनप्रतिनिधी हैं। श्रेष्ठ न्यायधीश और अधिवक्ता हैं। । तार्किक सवाल उछालने वाले चिंतक, लेखक एवं पत्रकार भी हैं। जब बौद्धिक संपदा से संपन्न ऐसी दिल्ली में बच्ची से लेकर बूढ़ी स्त्री तक भोग की वस्तु बनी हुई है,तो देश के दूरदराज और ग्रामीण अंचलों में स्त्री किन दुश्वारियों से गुजर रही होगी, इसका सही बयान भुक्तभोगी स्त्री ही दे सकती महिलाओ को अगर सुरक्षित होना है तो उन्हें संघठित होना होना पड़ेगा गलत शोषक पुरुषों को सुधारना पड़ेगा यह आश्चर्य की बात है कि पिछले बरस दुष्कर्म की घटनाओं मे 792 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है ! तथा अपहरण की घटनाओ मे 298 फीसदी की वृद्धि हुई है !निश्चित देश मे महिला सशक्तिकरण को लेकर प्रयास तो हुए परन्तु सामाजिक परिस्थतियो में अब भी महिलाओ के प्रति होने वाले अपराधों की दर अधिक है ! इस तरह के अपराधों से एक बात तो साफ़ हो गयी है कि असामाजिक तत्वों मैं कानून का डर ख़त्म हो गया है इसके चलते जहा व्यवस्था मैं सुधार की जरुरत है वही गहन चिंतन की आवश्यकता है ! हमारे देश की लम्बी कानूनी प्रक्रिया की वजह से ऐसे मामलों में देरी हो जाती है और आज भी देश में हजारों केस इसी वजह से लंबित पड़े हुए हैं अगर उन सभी केसों में त्वरित कार्यवाही होकर न्याय मिल जाता और अपराधी को सजा दी जाती तो ऐसी शर्मनाक हरकतों को अंजाम देने से पहले व्यक्ति खौफजदा रहता.सुधर के लिए संघठित होकर कारगर समाज को उन्नत और मजबूत करने की जरुरत है ! हमे एक सभ्य समाज की पुनर्स्थापना करनी होगी !.आज यह बड़ा सच है कि स्त्री से जुडी सामाजिक मान्यताए और पुलिस कानून व्यवस्था ही आज दुष्कर्मी की सबसे बड़ी रक्षक बनी हुई है ! समाज उत्पीड़क पर कोई रहम न करे उनका बहिष्कार हो कड़े कानून कड़ी सजा का प्रावधान हो ताकि सबको सजा मिले !! विरोध प्रदर्शनों का लोगो मे शोक बढ़ता जा रहा है ! बहुत से लोगो के लिए यह मनोरंजन या टाइम पास जैसा हो गया ! सबसे पहले महिलाओ को एकजुट होकर सक्रिय होना पड़ेगा ! महिलाओ के खिलाफ दुष्कर्म को रोकने के लिए पुलिस को कानून का क्रियान्वन सख्ती से करना चाहिए ताकि गलत लोगो का किसी तरह का होंसला नहीं बढे ! एसे मामलो मै जब तक जवाबदेही और जिम्मेदारी नहीं होगी तब तक दुष्कर्म नहीं रुकेंगे !महिला शोषण को रोकना है तो पुरुषो को अपने व्यव्हार मे परिवर्तन करना होगा !समाज में पुरुषवादी मानसिकता मे बदलाव लाना होगा ! दुष्कर्म जैसे अपराधो को रोकने के लिए अपसंस्कृति के प्रचार प्रसार को रोकना होगा !हमारे समाज को उन मॉडल , और अभिनेत्रियों का बहिष्कार करना होगा जो इस अपसंस्कृति के प्रचार में सहयोगी है !समाज को दूषित करने वाले तत्वों पर अंकुश लगाने की जरुरत है !
हमें अपने सामाजिक दायित्व निभाने की आवश्यकता है सख्त से सख्त कानून बना दिया जाये ताकि असामाजिक तत्वों मैं डर पैदा हो ! इसी के साथ क़ानूनी प्रकिया मैं तेजी ली जाये जिससे पीड़ित की जल्दी से न्याय मिल सके ! दुष्कर्म की घटनाओं में दोषी व्यक्तियों को फाँसी के मुकाबले उनका बंधय्करण करना ही सबसे उचित दंड है ! किसी अलात्कारी या शोषक या उत्पीड़क को शरण न मिले ! जनता को पुलिस व सरकार में सुधार के लिए राजनेताओं पर दवाब का एजेंडा बनाना चाहिए !उत्पीड़क के बचाव में गलत हथकंडे अपनाने वाले लोगो और वकीलों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जरुरत है ! लोग पीड़ित के समर्थन में खड़े हो और उत्पीड़क को पकद्वाए गलत लोगो का बहिष्कार करना चाहिए ! इससे दुष्कर्म की घटनाओं में कमी आएगी महिलाओ के प्रति बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए selfdifence को पाठ्यक्रम का हिस्सा बना देना चाहिए ! जहा तक हो महिलाएँ समूह मे ही रहे ! अपने पास लाल मिर्च पाउडर या स्प्रे रखे ताकि समय आने पर काम मे ले सके ! दुष्कर्म रुके इसके लिए ज़रुरी है महिलाएँ एकजुट हो एक दूसरे से मिले तो किसी भी तरह के शोषण व अपनी सुरक्षा व्यवस्था की चर्चा करे ! फ़ालतू की बाते कम और विकास और सुरक्षा की चर्चा ज्यादा हो ! न्याय मैं जो ही ताक़तवर व्यक्ति या नेता बाधा बने उसके खिलाफ कार्यवाही हो पीडिता के बचाव में बात हो ! देश में बढ़ रहे महिला उत्पीड़न और दुष्कर्म के मामलों में देश में पहले से ही सजा का जो प्रावधान है वो भी अगर सही समय पर और तुरंत दी जाए तो भी शायद दिल्ली गैंग रेप जैसी घटना करने की हिमाकत कोई कर नहीं पाएगा ! शीर्ष अदालत ने कहा है महिलाओं के साथ छेडखानी एक दु:खदायी , डरावनी और घिनौनी हरकत है। किसी भी सभ्य समाज में महिलाओं की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि स्कूल ,कॉलेज जानेवाली लड़कियों तथा काम जानेवाली महिलाओं को सुरक्षा मिलनी ही चाहिए। संविधान हर नागरिक को सम्मान के साथ जीने का अधिकार देता है। यानि इस संवैधानिक अधिकार की रक्षा करना राज्य की ज़िम्मेदारी बनती है !समाज उत्पीड़क पर कोई रहम न करे उनका बहिष्कार हो कड़े कानून कड़ी सजा का प्रावधान हो ताकि सबको सजा मिले !विरोध प्रदर्शनों का लोगो मे शोक बढ़ता जा रहा है ! बहुत से लोगो के लिए यह मनोरंजन या टाइम पास जैसा हो गया ! सबसे पहले महिलाओ को एकजुट होकर सक्रिय होना पड़ेगा ! महिलाओ के खिलाफ दुष्कर्म को रोकने के लिए पुलिस को कानून का क्रियान्वन सख्ती से करना चाहिए ताकि गलत लोगो का किसी तरह का होंसला नहीं बढे ! एसे मामलो मै जब तक जवाबदेही और जिम्मेदारी नहीं होगी तब तक दुष्कर्म नहीं रुकेंगे !महिला शोषण को रोकना है तो पुरुषो को अपने व्यव्हार मे परिवर्तन करना होगा !समाज में पुरुषवादी मानसिकता मे बदलाव लाना होगा ! दुष्कर्म जैसे अपराधो को रोकने के लिए अपसंस्कृति के प्रचार प्रसार को रोकना होगा !हमारे समाज को उन मॉडल , और अभिनेत्रियों का बहिष्कार करना होगा जो इस अपसंस्कृति के प्रचार में सहयोगी है !समाज को दूषित करने वाले तत्वों पर अंकुश लगाने की जरुरत है
जिस नारी के साथ ये घटना होती है, उसका जीवन पीड़ा का दर्पण हो जाता है! क्योंकि इस पुरुष प्रधान समाज में, इस रक्तरंजित उत्पीड़न का शिकार महिला/युवती को अपमान और दर्द सह कर भी, सर झुका के चलना पड़ता है और इस कृत्य के अपराधी खुले आम घूमते हैं!" पुलिस की कड़ी चौकसी और अपराधियों के खिलाफ सख्ती बरतने के अलावा, सवाल समाज की मानसिकता बदलने का भी है। पुरूषवादी मानसिकता हमेशा औरत को व्यक्ति की जगह उपभोक्ता वस्तु समझती है, जिसे मर्द किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहता है। कभी राजी तो कभी गैर राजी। जाहिर है, यही मानसिकता मर्द को अक्सर औरत के खिलाफ उकसाती है। जब तलक समाज की यह रूग्ढ़ मानसिकता नहीं बदलेगी तब तलक औरत के स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा। सभी सार्वजनिक स्थान, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन, सिनेमाघर, शॉमिग माल, पूजा स्थल, समुद्री तट आदि में साद कपडों मे पुलिस तैनात किए जाय; महत्वपूर्ण और भीडभाडवाले स्थानों पर सीसीटीवी लगाएँ जाय जिसकी मदद से अपराधी पकडे जाय ; तीन महीने के भीतर हर शहर और कस्बे में राज्य सरकारें महिला हेल्पलाइन स्थापित करें; .सार्वजनिक परिवहन में छेडखानी हो ने पर चालक, परिचालक की ज़िम्मेदारी है कि वह वाहन को नज़दीकी थाने में ले जाएं, ऐसा नही करने पर उसका परमिट रद्द हो ; सभी शिक्षणसंस्थानो तथा सिनेमाघर आदि के प्रभारियों के लिए कहा गया है कि वे अपने स्तर पर कदम उठाये तथा शिकायत मिलने पर पुलिस को सूचित करें
दुष्कर्म एक निंदनीय एवं महिला के सम्मान को ठेस पहुचाने वाला वाला अपराध है ! आज दुष्कर्म यौन उतपीडन तथा छेड़छाड़ के अनेक विकृत रूप सामने आ रहे है ! नारी हमारे देश की आधी आबादी मानी जाती है !शास्त्रों मे नारी को पूजनीय बताया गया है! आज हमारा देश चाहे कितनी हे तरक्की कर ले !लेकिन आज भी महिलाओ के साथ बदसलुकी की घटनाए देखने को मिलती है उनका शोषण किया जाता है अंत मे वो आत्म हत्या करने पर मजबूर हो जाती है और उस पर भी सारा दोष उसी पर ड़ाल दिया जाता है और उसे चरित्रहीन होने की संज्ञा दी जाती है
दिल्ली गंग रैप ने हर नागरिक को सोचने पर मजबूर कर दिया है ! कि महिलाएँ आखिर कैसे रहे सुरक्षित ? लेकिन देश के बाकि शहरों में भी महिलाएँ कोई खास सुरक्षित नहीं है ! चाहे कोई भी प्रदेश हो आचे दिन महिलाओ की इज़्ज़त तार तार होती है ! और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है ! सुधार के लिए संघठित होकर कारगर कागजी और ज़मीनी कार्यवाही की जाये ! यह अपराध व्यवस्था की कमज़ोरी ही कही जाएगी कि 1983 मे दुष्कर्म से जुड़े मामलो मे कानून को अत्यधिक कठोर बनाने के बावजूद दुष्कर्म की घटनाएँ निरंतर बढ़ रही है ! 12 राज्यों मे दुष्कर्म मे हरियाणा सबसे आगे है हरियाणा में पिछले एक महीने के अंदर 22 दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की शर्मनाक घटना घट चुकी हैं जिसमें एक छह साल की मासूम को भी हवस के शिकारियों ने शिकार बनाने में गुरेज नहीं किया ! केवल कड़े कानून बना देने और सजा के कठोर प्रावधान कर देने से ही कुछ हासिल नहीं होगा आज के समाज मे उन सामाजिक और आर्थिक दशा का विश्लेषण करना होगा जो लोगो को दुष्कर्मी बनती है ! दिल्ली में महिलाओं के साथ बलात्कार व छेड़खानी से जुड़ी 454 घटनाएं घट चुकी हैं। किसी भी अन्य महानगर की तुलना में यह सबसे बड़ी संख्या है। इसलिए यह जुमला आम हो गया है कि दिल्ली में महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। इस ताजी घटना ने तय किया है कि दिल्ली में न केवल रक्षात्मक, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो चुका है। दिल्ली में ऐसा होना इसलिए चिंताजनक है, क्योंकि यहां विधि निर्माण का शिखर मंदिर संसद है। निर्वाचित सर्वोच्च जनप्रतिनिधी हैं। श्रेष्ठ न्यायधीश और अधिवक्ता हैं। । तार्किक सवाल उछालने वाले चिंतक, लेखक एवं पत्रकार भी हैं। जब बौद्धिक संपदा से संपन्न ऐसी दिल्ली में बच्ची से लेकर बूढ़ी स्त्री तक भोग की वस्तु बनी हुई है,तो देश के दूरदराज और ग्रामीण अंचलों में स्त्री किन दुश्वारियों से गुजर रही होगी, इसका सही बयान भुक्तभोगी स्त्री ही दे सकती महिलाओ को अगर सुरक्षित होना है तो उन्हें संघठित होना होना पड़ेगा गलत शोषक पुरुषों को सुधारना पड़ेगा यह आश्चर्य की बात है कि पिछले बरस दुष्कर्म की घटनाओं मे 792 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है ! तथा अपहरण की घटनाओ मे 298 फीसदी की वृद्धि हुई है !निश्चित देश मे महिला सशक्तिकरण को लेकर प्रयास तो हुए परन्तु सामाजिक परिस्थतियो में अब भी महिलाओ के प्रति होने वाले अपराधों की दर अधिक है ! इस तरह के अपराधों से एक बात तो साफ़ हो गयी है कि असामाजिक तत्वों मैं कानून का डर ख़त्म हो गया है इसके चलते जहा व्यवस्था मैं सुधार की जरुरत है वही गहन चिंतन की आवश्यकता है ! हमारे देश की लम्बी कानूनी प्रक्रिया की वजह से ऐसे मामलों में देरी हो जाती है और आज भी देश में हजारों केस इसी वजह से लंबित पड़े हुए हैं अगर उन सभी केसों में त्वरित कार्यवाही होकर न्याय मिल जाता और अपराधी को सजा दी जाती तो ऐसी शर्मनाक हरकतों को अंजाम देने से पहले व्यक्ति खौफजदा रहता.सुधर के लिए संघठित होकर कारगर समाज को उन्नत और मजबूत करने की जरुरत है ! हमे एक सभ्य समाज की पुनर्स्थापना करनी होगी !.आज यह बड़ा सच है कि स्त्री से जुडी सामाजिक मान्यताए और पुलिस कानून व्यवस्था ही आज दुष्कर्मी की सबसे बड़ी रक्षक बनी हुई है ! समाज उत्पीड़क पर कोई रहम न करे उनका बहिष्कार हो कड़े कानून कड़ी सजा का प्रावधान हो ताकि सबको सजा मिले !! विरोध प्रदर्शनों का लोगो मे शोक बढ़ता जा रहा है ! बहुत से लोगो के लिए यह मनोरंजन या टाइम पास जैसा हो गया ! सबसे पहले महिलाओ को एकजुट होकर सक्रिय होना पड़ेगा ! महिलाओ के खिलाफ दुष्कर्म को रोकने के लिए पुलिस को कानून का क्रियान्वन सख्ती से करना चाहिए ताकि गलत लोगो का किसी तरह का होंसला नहीं बढे ! एसे मामलो मै जब तक जवाबदेही और जिम्मेदारी नहीं होगी तब तक दुष्कर्म नहीं रुकेंगे !महिला शोषण को रोकना है तो पुरुषो को अपने व्यव्हार मे परिवर्तन करना होगा !समाज में पुरुषवादी मानसिकता मे बदलाव लाना होगा ! दुष्कर्म जैसे अपराधो को रोकने के लिए अपसंस्कृति के प्रचार प्रसार को रोकना होगा !हमारे समाज को उन मॉडल , और अभिनेत्रियों का बहिष्कार करना होगा जो इस अपसंस्कृति के प्रचार में सहयोगी है !समाज को दूषित करने वाले तत्वों पर अंकुश लगाने की जरुरत है !
हमें अपने सामाजिक दायित्व निभाने की आवश्यकता है सख्त से सख्त कानून बना दिया जाये ताकि असामाजिक तत्वों मैं डर पैदा हो ! इसी के साथ क़ानूनी प्रकिया मैं तेजी ली जाये जिससे पीड़ित की जल्दी से न्याय मिल सके ! दुष्कर्म की घटनाओं में दोषी व्यक्तियों को फाँसी के मुकाबले उनका बंधय्करण करना ही सबसे उचित दंड है ! किसी अलात्कारी या शोषक या उत्पीड़क को शरण न मिले ! जनता को पुलिस व सरकार में सुधार के लिए राजनेताओं पर दवाब का एजेंडा बनाना चाहिए !उत्पीड़क के बचाव में गलत हथकंडे अपनाने वाले लोगो और वकीलों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जरुरत है ! लोग पीड़ित के समर्थन में खड़े हो और उत्पीड़क को पकद्वाए गलत लोगो का बहिष्कार करना चाहिए ! इससे दुष्कर्म की घटनाओं में कमी आएगी महिलाओ के प्रति बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए selfdifence को पाठ्यक्रम का हिस्सा बना देना चाहिए ! जहा तक हो महिलाएँ समूह मे ही रहे ! अपने पास लाल मिर्च पाउडर या स्प्रे रखे ताकि समय आने पर काम मे ले सके ! दुष्कर्म रुके इसके लिए ज़रुरी है महिलाएँ एकजुट हो एक दूसरे से मिले तो किसी भी तरह के शोषण व अपनी सुरक्षा व्यवस्था की चर्चा करे ! फ़ालतू की बाते कम और विकास और सुरक्षा की चर्चा ज्यादा हो ! न्याय मैं जो ही ताक़तवर व्यक्ति या नेता बाधा बने उसके खिलाफ कार्यवाही हो पीडिता के बचाव में बात हो ! देश में बढ़ रहे महिला उत्पीड़न और दुष्कर्म के मामलों में देश में पहले से ही सजा का जो प्रावधान है वो भी अगर सही समय पर और तुरंत दी जाए तो भी शायद दिल्ली गैंग रेप जैसी घटना करने की हिमाकत कोई कर नहीं पाएगा ! शीर्ष अदालत ने कहा है महिलाओं के साथ छेडखानी एक दु:खदायी , डरावनी और घिनौनी हरकत है। किसी भी सभ्य समाज में महिलाओं की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि स्कूल ,कॉलेज जानेवाली लड़कियों तथा काम जानेवाली महिलाओं को सुरक्षा मिलनी ही चाहिए। संविधान हर नागरिक को सम्मान के साथ जीने का अधिकार देता है। यानि इस संवैधानिक अधिकार की रक्षा करना राज्य की ज़िम्मेदारी बनती है !समाज उत्पीड़क पर कोई रहम न करे उनका बहिष्कार हो कड़े कानून कड़ी सजा का प्रावधान हो ताकि सबको सजा मिले !विरोध प्रदर्शनों का लोगो मे शोक बढ़ता जा रहा है ! बहुत से लोगो के लिए यह मनोरंजन या टाइम पास जैसा हो गया ! सबसे पहले महिलाओ को एकजुट होकर सक्रिय होना पड़ेगा ! महिलाओ के खिलाफ दुष्कर्म को रोकने के लिए पुलिस को कानून का क्रियान्वन सख्ती से करना चाहिए ताकि गलत लोगो का किसी तरह का होंसला नहीं बढे ! एसे मामलो मै जब तक जवाबदेही और जिम्मेदारी नहीं होगी तब तक दुष्कर्म नहीं रुकेंगे !महिला शोषण को रोकना है तो पुरुषो को अपने व्यव्हार मे परिवर्तन करना होगा !समाज में पुरुषवादी मानसिकता मे बदलाव लाना होगा ! दुष्कर्म जैसे अपराधो को रोकने के लिए अपसंस्कृति के प्रचार प्रसार को रोकना होगा !हमारे समाज को उन मॉडल , और अभिनेत्रियों का बहिष्कार करना होगा जो इस अपसंस्कृति के प्रचार में सहयोगी है !समाज को दूषित करने वाले तत्वों पर अंकुश लगाने की जरुरत है
जिस नारी के साथ ये घटना होती है, उसका जीवन पीड़ा का दर्पण हो जाता है! क्योंकि इस पुरुष प्रधान समाज में, इस रक्तरंजित उत्पीड़न का शिकार महिला/युवती को अपमान और दर्द सह कर भी, सर झुका के चलना पड़ता है और इस कृत्य के अपराधी खुले आम घूमते हैं!" पुलिस की कड़ी चौकसी और अपराधियों के खिलाफ सख्ती बरतने के अलावा, सवाल समाज की मानसिकता बदलने का भी है। पुरूषवादी मानसिकता हमेशा औरत को व्यक्ति की जगह उपभोक्ता वस्तु समझती है, जिसे मर्द किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहता है। कभी राजी तो कभी गैर राजी। जाहिर है, यही मानसिकता मर्द को अक्सर औरत के खिलाफ उकसाती है। जब तलक समाज की यह रूग्ढ़ मानसिकता नहीं बदलेगी तब तलक औरत के स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा। सभी सार्वजनिक स्थान, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन, सिनेमाघर, शॉमिग माल, पूजा स्थल, समुद्री तट आदि में साद कपडों मे पुलिस तैनात किए जाय; महत्वपूर्ण और भीडभाडवाले स्थानों पर सीसीटीवी लगाएँ जाय जिसकी मदद से अपराधी पकडे जाय ; तीन महीने के भीतर हर शहर और कस्बे में राज्य सरकारें महिला हेल्पलाइन स्थापित करें; .सार्वजनिक परिवहन में छेडखानी हो ने पर चालक, परिचालक की ज़िम्मेदारी है कि वह वाहन को नज़दीकी थाने में ले जाएं, ऐसा नही करने पर उसका परमिट रद्द हो ; सभी शिक्षणसंस्थानो तथा सिनेमाघर आदि के प्रभारियों के लिए कहा गया है कि वे अपने स्तर पर कदम उठाये तथा शिकायत मिलने पर पुलिस को सूचित करें
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