महिला उत्पीडन कैसे रुके दुष्कर्म
लड़कियों, स्त्रियों को आए दिन जिस यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, महिलाओं के साथ छेडखानी एक दु:खदायी , डरावनी और घिनौनी हरकत है। दिल्ली में पैरामेडिकल की छात्र के साथ हुई वारदात ने मानवता को शर्मसार कर दिया है ! किसी भी सभ्य समाज में महिलाओं की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। स्कूल ,कॉलेज जानेवाली लड़कियों तथा काम जानेवाली महिलाओं को सुरक्षा मिलनी ही चाहिए। संविधान हर नागरिक को सम्मान के साथ जीने का अधिकार देता है। यानि इस संवैधानिक अधिकार की रक्षा करना राज्य की ज़िम्मेदारी बनती है देश में बढ़ रहे महिला उत्पीड़न और दुष्कर्म के मामलों में देश में पहले से ही सजा का जो प्रावधान है वो भी अगर सही समय पर और तुरंत दी जाए तो भी शायद दिल्ली गैंग रेप जैसी घटना करने की हिम्मत कोई कर नहीं पाएगा...! दिल्ली गैंग रैप ने हर नागरिक को सोचने पर मजबूर कर दिया है ! कि महिलाएँ आखिर कैसे रहे सुरक्षित ? देश के बाकी शहरों में भी महिलाएँ कोई खास सुरक्षित नहीं है ! चाहे कोई भी प्रदेश हो आचे दिन महिलाओ की इज़्ज़त तार तार होती है ! और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है ! लड़की एक बहन है बेटी है और बहु है फिर उसके साथ ये सब क्यों होता है ? आज बेटी कभी दहेज़ की बलि चढ़ा दी जाती है ! कभी कोख में ही मार दी जाती है ! ! सरकार देश और समाज की सुरक्षा के लिए क्या कर रही है ?
द सभी सार्वजनिक स्थान, बस स्टॉप, सिनेमाघर, शॉमिग माल, पूजा स्थल, आदि में साद कपड़ों मे पुलिस तैनात किए जाए; महत्वपूर्ण और भीडभाडवाले स्थानों पर सीसीटीवी लगाएँ जाए जिसकी मदद से अपराधी पकडे जा सकेंगे ! हर शहर और कस्बे में राज्य सरकारें महिला हेल्पलाइन स्थापित करें; .सार्वजनिक परिवहन में छेडखानी होने पर चालक, परिचालक की ज़िम्मेदारी है कि वह वाहन को नज़दीकी थाने में ले जाएं, ऐसा नही करने पर उसका परमिट रद्द हो ; सभी शिक्षणसंस्थानो तथा सिनेमाघर के प्रभारी अपने स्तर पर कदम उठाये तथा शिकायत मिलने पर पुलिस को सूचित करें ! हमारे देश की लम्बी कानूनी प्रक्रिया की वजह से ऐसे मामलों में देरी हो जाती है और आज भी देश में हजारों केस इसी वजह से लंबित पड़े हुए हैं अगर उन सभी केसों में त्वरित कार्यवाही होकर न्याय मिल जाता और अपराधी को सजा दी जाती तो ऐसी शर्मनाक हरकतों को अंजाम देने से पहले व्यक्ति खौफजदा रहता..! जिस नारी के साथ ये घटना होती है, उसका जीवन पीड़ा का दर्पण हो जाता है! क्योंकि इस पुरुष प्रधान समाज में, उत्पीड़न का शिकार महिला/युवती को अपमान और दर्द सहकर भी, सर झुका के चलना पड़ता है और अपराधी मस्तक ऊँचा करके खुले आम घूमते हैं!" दुष्कर्म रुके इसके लिए ज़रुरी है महिलाएँ एकजुट हो एक दूसरे से मिले तो किसी भी तरह के शोषण व अपनी सुरक्षा व्यवस्था की चर्चा करे ! फ़ालतू की बाते कम और विकास और सुरक्षा की चर्चा ज्यादा हो ! न्याय मैं जो ही ताक़तवर व्यक्ति या नेता बाधा बने उसके खिलाफ कार्यवाही हो पीडिता के बचाव में बात हो ! अपनी सुरक्षा के लिए स्वय कदम उठाने चाहिए ! लड़कियों को जुडो कराटे का कोर्स भी करना चाहिए ! माता पिता छोटी बच्चियों को भी अच्छे बुरे की समझ दे !
अधिकतर जगह इन कामों को सरकार ग़ैरसरकारी संस्थाओं को सौंप देती है जिनकी अपनी व्यवस्था ही दुरुस्त नहीं होती है। जिस ज़िम्मेदारी को सीधी केन्द्र तथा राज्य सरकार को लेना चाहिए और जिसके लिए उसे खुद पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए, उसे समाज कार्य के खाते में डाल कर एनजीओ को सौंप कर वह निश्चिंत हो जाती है। इसी के चलते महिलाओं के कल्याण तथा उनके सशक्तिकरण का मसला खोखला साबित हो रहा है। कानून बना कर उसे सजावटी वस्तु में तब्दील किया जा रहा है ! सरकार को चाहिए कि वह संविधान में संशोधन करे और कानून में फाँसी की सजा का प्रावधान हो !
। अपराधियों में भय पैदा करना बहुत जरूरी है ! अपराधियों को इतनी शारीरिक यातना देनी चाहिए कि ताकि भविष्य में ऐसा करने का दुस्साहस नहीं कर सके ! अपराध रुके इसके लिए जरूरी है कि हम अपराधियों का सामाजिक बहिष्कार करे ! सरकार दुष्कर्म के मामलो में फ़ास्ट ट्रैक अदालतों के माध्यम से जल्द सुनवाई करके दोषियों को फाँसी के फंदे तक पहुँचाए ! इस समस्या के निदान के लिए समाज सरकार और मीडिया को भी आगे आना चाहिए ! सुधार के लिए संघठित होकर कारगर कागजी और ज़मीनी कार्यवाही की जाये !
लड़कियों, स्त्रियों को आए दिन जिस यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, महिलाओं के साथ छेडखानी एक दु:खदायी , डरावनी और घिनौनी हरकत है। दिल्ली में पैरामेडिकल की छात्र के साथ हुई वारदात ने मानवता को शर्मसार कर दिया है ! किसी भी सभ्य समाज में महिलाओं की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। स्कूल ,कॉलेज जानेवाली लड़कियों तथा काम जानेवाली महिलाओं को सुरक्षा मिलनी ही चाहिए। संविधान हर नागरिक को सम्मान के साथ जीने का अधिकार देता है। यानि इस संवैधानिक अधिकार की रक्षा करना राज्य की ज़िम्मेदारी बनती है देश में बढ़ रहे महिला उत्पीड़न और दुष्कर्म के मामलों में देश में पहले से ही सजा का जो प्रावधान है वो भी अगर सही समय पर और तुरंत दी जाए तो भी शायद दिल्ली गैंग रेप जैसी घटना करने की हिम्मत कोई कर नहीं पाएगा...! दिल्ली गैंग रैप ने हर नागरिक को सोचने पर मजबूर कर दिया है ! कि महिलाएँ आखिर कैसे रहे सुरक्षित ? देश के बाकी शहरों में भी महिलाएँ कोई खास सुरक्षित नहीं है ! चाहे कोई भी प्रदेश हो आचे दिन महिलाओ की इज़्ज़त तार तार होती है ! और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है ! लड़की एक बहन है बेटी है और बहु है फिर उसके साथ ये सब क्यों होता है ? आज बेटी कभी दहेज़ की बलि चढ़ा दी जाती है ! कभी कोख में ही मार दी जाती है ! ! सरकार देश और समाज की सुरक्षा के लिए क्या कर रही है ?
द सभी सार्वजनिक स्थान, बस स्टॉप, सिनेमाघर, शॉमिग माल, पूजा स्थल, आदि में साद कपड़ों मे पुलिस तैनात किए जाए; महत्वपूर्ण और भीडभाडवाले स्थानों पर सीसीटीवी लगाएँ जाए जिसकी मदद से अपराधी पकडे जा सकेंगे ! हर शहर और कस्बे में राज्य सरकारें महिला हेल्पलाइन स्थापित करें; .सार्वजनिक परिवहन में छेडखानी होने पर चालक, परिचालक की ज़िम्मेदारी है कि वह वाहन को नज़दीकी थाने में ले जाएं, ऐसा नही करने पर उसका परमिट रद्द हो ; सभी शिक्षणसंस्थानो तथा सिनेमाघर के प्रभारी अपने स्तर पर कदम उठाये तथा शिकायत मिलने पर पुलिस को सूचित करें ! हमारे देश की लम्बी कानूनी प्रक्रिया की वजह से ऐसे मामलों में देरी हो जाती है और आज भी देश में हजारों केस इसी वजह से लंबित पड़े हुए हैं अगर उन सभी केसों में त्वरित कार्यवाही होकर न्याय मिल जाता और अपराधी को सजा दी जाती तो ऐसी शर्मनाक हरकतों को अंजाम देने से पहले व्यक्ति खौफजदा रहता..! जिस नारी के साथ ये घटना होती है, उसका जीवन पीड़ा का दर्पण हो जाता है! क्योंकि इस पुरुष प्रधान समाज में, उत्पीड़न का शिकार महिला/युवती को अपमान और दर्द सहकर भी, सर झुका के चलना पड़ता है और अपराधी मस्तक ऊँचा करके खुले आम घूमते हैं!" दुष्कर्म रुके इसके लिए ज़रुरी है महिलाएँ एकजुट हो एक दूसरे से मिले तो किसी भी तरह के शोषण व अपनी सुरक्षा व्यवस्था की चर्चा करे ! फ़ालतू की बाते कम और विकास और सुरक्षा की चर्चा ज्यादा हो ! न्याय मैं जो ही ताक़तवर व्यक्ति या नेता बाधा बने उसके खिलाफ कार्यवाही हो पीडिता के बचाव में बात हो ! अपनी सुरक्षा के लिए स्वय कदम उठाने चाहिए ! लड़कियों को जुडो कराटे का कोर्स भी करना चाहिए ! माता पिता छोटी बच्चियों को भी अच्छे बुरे की समझ दे !
अधिकतर जगह इन कामों को सरकार ग़ैरसरकारी संस्थाओं को सौंप देती है जिनकी अपनी व्यवस्था ही दुरुस्त नहीं होती है। जिस ज़िम्मेदारी को सीधी केन्द्र तथा राज्य सरकार को लेना चाहिए और जिसके लिए उसे खुद पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए, उसे समाज कार्य के खाते में डाल कर एनजीओ को सौंप कर वह निश्चिंत हो जाती है। इसी के चलते महिलाओं के कल्याण तथा उनके सशक्तिकरण का मसला खोखला साबित हो रहा है। कानून बना कर उसे सजावटी वस्तु में तब्दील किया जा रहा है ! सरकार को चाहिए कि वह संविधान में संशोधन करे और कानून में फाँसी की सजा का प्रावधान हो !
। अपराधियों में भय पैदा करना बहुत जरूरी है ! अपराधियों को इतनी शारीरिक यातना देनी चाहिए कि ताकि भविष्य में ऐसा करने का दुस्साहस नहीं कर सके ! अपराध रुके इसके लिए जरूरी है कि हम अपराधियों का सामाजिक बहिष्कार करे ! सरकार दुष्कर्म के मामलो में फ़ास्ट ट्रैक अदालतों के माध्यम से जल्द सुनवाई करके दोषियों को फाँसी के फंदे तक पहुँचाए ! इस समस्या के निदान के लिए समाज सरकार और मीडिया को भी आगे आना चाहिए ! सुधार के लिए संघठित होकर कारगर कागजी और ज़मीनी कार्यवाही की जाये !
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