कन्या भ्रूण हत्या , बदले सोच

        कन्या भ्रूण हत्या   ,  बदले सोच

आज हम आये दिन कन्या  भ्रूण  हत्या के बारे  मे  रात  दिन खबरे पढ़ते और  सुनते रहते है ! अहिंसा सबके लिए कल्याणकारी है  जिस देश की संस्कृति  मे अहिंसा को महत्व  दिया है उसी देश की संस्कृति  मे आज लोग भ्रूण  हत्या जिसे पाप  को महत्व देने लगे है जो बेहद शर्मनाक है   मादा  भ्रूण की जानकारी मिलने पर  उससे छुटकारा पाने की प्रवत्ति  ने देश  मे  दूसरी समस्या   पैदा कर  दी  है ! पहली संतान लड़की हो तो   दूसरी संतान लड़के के रूप मे  पाने के  च क्कर   ऐ  दुसरे  प्रयास शुरू हो जाते है  क्या एक लड़की को जीने का हक़ नहीं है  ?  माता पिता  कन्या शिशु को ला वारिस छोड़कर चले जाते है  !   एसा लगता है पशु और मनुष्य के बीच जो भेद था वो मिट गया ! अजन्मे  शिशु की हत्या करना घोर पाप है ! महिलाओ को जागरूक होने की जरुरत है  उनका दायित्व  ज्यादा बनता है !  ! देश  मे एक तरह से अजन्मी कन्याओ  के खिलाफ युद्ध चल रहा है ! उनका क़त्ले आम हो रहा है इस युद्ध को रोकने की जरुरत है !यह युद्ध केवल कानून बनाने या दंड देने से ही नहीं रुकने वाला इस युद्ध को रोकने के लिए लोगो का  की सोच  मे  बदलाव  लाना होगा  ! भीतर की चेतना बदलेगी जब जाकर यह अपराध रुकेगा  ! वर्तमान मे जो कुछ भी हो रहा है इस समय को सभ्य  समाज कहना  मुश्किल  है !  !  बेटी तो परिवार मे ख़ुशियाँ   लाती  है फिर लोग यह बात क्यों नहीं समझते है कन्या भ्रूण हत्या  के पीछे बेटी को पराया धन मानने और वंश  चलाने  के लिए  बेटे  की सामाजिक स्वीकार्यता  भी  शामिल  है ! बेटे की चाहत के पीछे बुढ़ापे के  सहारे  की आस भी है   !  बेटा वारिस है तो बेटी पारस  है !  अगर महिला कन्या  भ्रूण  हत्या के  मे  द्रढ़ता   दिखाए  तो  पुरुष किसी भी महिला को  ऐसा अपराध करने को बाध्य  नहीं कर सकता !जहा  हमारे देश  मे नारी को पूजा जाता है वही समाज   मे  ओछी  मानसिकता के लोग  अजन्मी  बेटी को  मारने  का   पाप करते है !  आज  जरुरत है बेटी  को  बचाने  की ! जनसंख्या आँकड़े बताते है  कि घटता लिगानुपात आने वाली पीढ़ी के लिए   घातक  है ! इससे समाज  की मर्यादा   मूल्य  और नैतिक अनुष्ठान को बनाये  रख पाना   मुश्किल  हो गया है  सरकार को चाहिए को वो   बेटियो  की शिक्षा की स्थिति  उसके स्वास्थ्य  आदि का आकलन  कराकर  उनको  सुविधाएँ  मुहैया  कराये !  तमाम प्रयासों के बावजूद  कन्या    भ्रूण हत्या  रोकने  मे हम लोग  कमजोर साबित हो रहे है ! लोगो की  मानसिकता  को बदलने का  काम समाज के  स्तर  पर होना चाहिए  !  सीमित परिवारों के दवाब  मे हो रही  इन   हत्याओ   को रोका जाना चाहिए ! कन्या भ्रूण  हत्या रोकने का एक कारगर उपाय हो सकता है कि  कन्या के  जन्म होने के साथ ही उसके नाम पर सो  रूपए प्रतिमाह की दर से नवजात कन्या  पेंशन योजना स्वीकृत की जाये !ताकि  इस प्रलोभन से उसके घर  वाले उसकी  हत्या करने की सोच भी न सके !  और इस  पेंशन की रकम  का भुगतान तब किया जाये जब आयु 18  वर्ष  होने पर उसका विवाह हो !  हाई कोर्ट ने भूर्ण  हत्या व् दहेज़ को रोकने के  विचारो  ओ पाठ्य क्रम का  हिस्सा बनाने पर गंभीरता से मनन करने को  भी कहा है इससे स्कुलो  के द्वारा अंतिम संस्कार मे  बेटियो को प्रोत्साहन दिलाकर वंश  वृद्धि  के के लिए बेटे की चाहत के  ख़्याल को बदलने पर जोर दिया जाये !

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