आदमी

                                                   आदमी

समाज मर्यादाहीन
संस्कार लुप्त
न ही श्रद्धा , स्नेह
वात्सल्य . प्रेम
सारे  मूल्य कही
खो गए है
केवल स्वार्थ  अपेक्षा
आदमी की भूख
मिटती  नहीं
मोह अटूट
लोभ के वश मे
आस्था नहीं
यह देश शून्य है नेतृत्व से
सबको धर्म के मार्ग पर चलना होगा
सत्य को जानना होगा

क्युकि जीवन सत्य की एक
तलाश भी है !
और इसको पा जाने की आस भी !



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