कैसा लोकतंत्र

                                                     कैसा    लोकतंत्र



आज हमारा लोकतंत्र मज़ाक बनकर रह गया है !आज  आम आदमी बेबस और  लाचार  हो गया है ! कि समस्याओं के निराकरण के लिए किसका दरवाजा खटखटाए  ! आज  नागरिक अपने आप को ठगा सा और अपमानित महसूस कर रहा है ! आज महिलाएँ भी नेताओं और अधिकारियो के शोषण का शिकार हो रही है !महिलाओ का उपयोग  फायदे के लिए किया जा रहा है !लोकतंत्र की संपूर्ण अवधारणा मर चुकी है जनता काम  कैसे होगा !मीडिया के साथ होते ही तंत्र  निर्भय हो गया है ! यही से लोकतंत्र की   जड़े  उखड़ने लगी !पुरे वातावरण मे मीडिया ने धन लेकर खबरे छपने का रास्ता भी  निकाल  लिया ! कई जगह तो  मीडिया की भूमिका  बड़ी शर्मनाक रही है ! सारा लोकतंत्र झूठे  आकड़ो पर टिका हुआ है ! लोकतंत्र की रक्षा कोण करेगा और कैसे ? धन  इतना बरस रहा है कि नेता लोग लोभ का संवरण नहीं कर पा  रहे है ! जनता सोई हुई है उसे जागना होगा ! पार्टियाँ सत्ता  मे  रहने के लिए प्रयत्नशील रहती है और   सत्ता ही उसके लिए ही सब कुछ होती है ! पार्टियों और  राजनेता स्वार्थ के लिए अपनी नीतिया बदलते रहते है ! आज  राजनीति सिद्धांत विहीन हो गयी है !राजनैतिक डालो को देश की प्रमुख समस्याओ  पर  राष्ट्रीय मुद्दों पर एक  रखनी होगी !पार्टियाँ बार बार नीतियाँ बदलती रहती है खुद की नजर मे ही नहीं विदेशियों की नजर मे भी  उनकी विश्वसनीयता कम हो रही है ! सभी राजनैतिक दल एक जैसे है अवसर वादी है !बस एक दुसरे पर दोषारोपण करते रहते है ! कोई किसी से कम नहीं है सरकार की कार्यप्रणाली मे सकारात्मकता  होनी चाहिए विपक्ष को भी अपनी भूमिका ईमानदारी से निभानी चाहिए    साडी पार्टिया देश के  साथ छलावा  कर रही है जब ये सत्ता मे होते है तो कुछ और कहते है और  विपक्ष मे होते है तो कुछ और बोलते है !सभी लोग छलावे के सिवा कुछ और नहीं कर रहे है !!
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