शिक्षक

   शिक्षक
शिक्षकों को आज यह सोचने की जरुरत है कि वो सचमुच इन सम्मानों और प्रशंसा के अनुकूल बनकर  विद्यार्थियों को राष्ट्र कर्ताव्यनिष्ट , ईमानदार ,नागरिक बनाने में अपना योगदान दे रहा है नहीं !प्राचीन काल में गुरु जन निष्टावान थे !शिष्यों के अलावा वो कुछ नहीं सोचते थे !चरक संहिता में अच्छे गुरु की पहचान बताई  गई  है जो आदर्श है गुरु वही जो आचार से  शुद्ध  है वही गुरु !इन्द्रियों पर जय प्राप्त करने वाले पप्रकति  के बारे मे अच्छा ज्ञान , आत्म विश्वास ,कष्ट सहने वाला ,शिष्य वत्सल और ज्ञान प्राप्त करने मैं समर्थता !गुरु बदल जैसा हो जिस प्रकार बदल अच्छे खेत मैं बरस कर उसे शस्य से संपन्न करता है उसी प्रकार गुरु अपने शिष्यों को ज्ञान प्रदान कर उन्हें आत्म गुण से संपन्न करता है ! यही कारण था की उन दिनों मे गुरुकुल का वातावरण शांत निर्मल रहा !आजकल सब  भोतिक्वाद  हो हुका है !शिष्यों को समझना गुरु का   कर्त्तव्य  है !सुचना क्रांति ने उच्च शिक्षा के बदलते स्वरूप को प्रभावित किया है !आज पढने और पढ़ने का अंदाज़ बदल गया है !इन्टरनेट के आने के बाद उसमे निरंतर होते सुधर और नए नए टेबलेट और मोबाइल फ़ोन की सुविधाओं के साथ सूचनाओं का मिलना आदान  प्रदान करना आसन होता जा रहा है ! ऐसी  स्थिति में आज छात्र आई पैड सभी सूचनाओं को अपने साथ कक्षाओं में ले जा सकते है !और 24घंटे में सूचनाओं को अपने सहयोगियों या शिक्षकों से आदान  प्रदान कर सकते है ! इस वेब जाल  के निरंतर विस्तार ने शिक्षकों की एक भूमिका को कम कर दिया है और वें है भूमिका है सूचनाओं पर अनन्य नियंत्रण !इस पुराणी गुरु शिष्य परंपरा में एक  बिखराव आया है !उस परंपरा मैं गुरु का महत्व ईश्वर की तरह या जिसकी अनुपस्थिति में शिक्षार्थी ज्ञान के अलावा सूचनाओं के अभाव  से भी  ग्रस्त  रहता था ! इस संदर्भ में शिक्षक की भूमिका में बदलाव आवश्यक हो गया है ! आज सामान्यतः तकनीकी एवं ओधोगिकिपरक  शिक्षा पर अधिक बल दिया जा रहा है !आज शिक्षा अध्यापक  केन्द्रित न होकर छात्र केन्द्रित हो  गई है ! आज शिक्षक का कार्य छात्र को  सूचनाओं में उसके सही स्तोतो की जानकारी देना और उन सूचनाओं को विश्लेषित करने की शमता को विकसित करने में सहायता करना हो गया है !आज शिक्षक एक विषय के  समन्वयक के रूप में अधिक महत्वपूर्ण बनता जा रहा है !शिक्षकों को आज गुरु से अधिक एक मित्र की तरह छात्रों से व्यवहार करना अपेक्षित है आज शिक्षकों को सूचनाओं के सही स्रोतों की जानकारी रखना और सुचनाए प्राप्त होने पर उन्हें किन तरीकों से विश्लेषित किया जाये उसकी जानकारी रखना जरूरी है !आज गुरु  और शिष्य का संबंध भावनात्मक न होकर व्यवसाई हो गया है !इसलिए अब गुरु का महत्व भी घटा है !आज के गुरुओं को पैसे से मतलब है !आज शिक्षक की गुणवत्ता भी काफी घटी है !और लगातार घाट रही है !आज हर  अभिभावक अपने गुरु की तलाश में रहता हैं और देश का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि उसके युवाओं को किस तरह शिक्षित किया गया ! अगर शिक्षक मन और निस्वार्थ भाव से अपना कम करेंगे तो उन्हें सच्चा सम्मान प्राप्त होगा !युग कोई भी हो शिक्षकों का महत्व कम नहीं होगा बढ़ता ही जायेगा !शिक्षक समाज और देश की रीढ़ है !वो समाज और  राष्ट्र के भविष्य का निर्माता है ! लेकिन वर्तमान के शिक्षक और इनकी ज़िम्मेदारी की बात करते है तो आज का शिक्षक सिर्फ वेतनभोगी कर्म चारी बनकर रह गया है ! दीप से दीप जलता है उसी प्रकार चरित्र को देखकर ही चरित्र बनता है !गुरु के सानिध्य और उसके जीवन से प्रेरणा लेकर ही बनता है !

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