बेटियों के प्रति लापरवाही क्यों

                    बेटियों के प्रति   लापरवाही  क्यों


वर्ष 2012 में दिल्ली  में  हुई  गैंग रैप की   घटना  ने  सभ्य समाज  के  लोगो को सोचने पर मजबूर  कर  दिया   !  आज के सभ्य समाज को न जाने क्या हो   गया   है  जो ऐसे  कुकृत्य करके नारी के जीवन को बर्बाद कर रहे है  ! आखिर  कैसे बच  पाएंगी महिलाएँ    और    हमारे  घरों की बेटिया  ! एक ओर  तो  कन्या  भ्रूण हत्या करके जन्म से पहले ही लड़कियों को  मार  रहे है ! और अगर वो  ऐसा  नहीं कर  पाते है तो  पैदा होने के बाद कचरे के ढेर में फेक  देते है ! वही  पर दूसरी और  छेड़छाड़  , बलात्कार  और दहेज़ हत्या के कारण उनका जीना मुश्किल हो गया है ! दिल्ली मैं हुई घटना ने मानवता को झकझोर कर दिया है ! इस घटना ने क्रूरतम अपराधों को भी  पीछे छोड  दिया !  घटना के विरोध में उभरा जनाक्रोश जन जागरण का संकेत है ! दिल्ली की  घटना के बाद भी अनेक शहरों मैं लापरवाही की घटनाएँ हो रही है ! ऐसी  वीभत्स  घटनाओं के प्रति लापरवाही क्यों दिखाई जाती है !  सामूहिक गैंगरैप  की घटना के खिलाफ जिस तरह युवाओं में  आक्रोश  दिखा वो अपने आप में  सराहनीय है ! अब समाज को संकीर्ण मानसिकता के दायरे से बहार निकल कर बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच बनानी होगी ! वर्ना हर रोज बलात्कार की घटनाए सामने आती रहेगी  !  महिलाओ की एसी हालत कानून  के  लचीलेपन के  कारण  ही है !  हमारे देश में  जब भी कोई घटना या दुर्घटना होती है !सरकार पहले कोई ध्यान नहीं देती है ! जब जनता मैं आक्रोश पैदा होता है और उसे मीडिया का सहारा मिलता है तब सरकार  हरकत में  नजर आती है ! अपराधियों मैं कानून का भय तो रहा ही  नहीं यही कारण है कि हत्या और बलात्कार की घटनाएँ आम बात हो  गई  है !  रैप के मामलो में दिल्ली पिछले  पांच वर्षो मैं सबसे बदतर है ! मुंबई इस दौरान  1,003 चेन्नई  मैं 293 और कोलकाता में  200 मामले दर्ज हुए ! 2011 में  2.28  लाख से भी ज्यादा अपराध हुए थे महिलाओ के खिलाफ  ! पच्छिम बंगाल मैं 29,133 अपराध हुए महिलाओ के विरुद्ध ! 2011  में  यह सबसे अधिक रहा देश में  !  राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड  BEAURO  का  आंकड़ा कहता है कि  महिलाओ के विरुद्ध अपराधों में एक साल में 7.1 की बढ़ोतरी हुई है !  837   प्रतिशत बढ़ गए महिलाओ से ज़्यादती के  मामले 1971  से 2011 की बीच  ! बलात्कार के प्रकरणों मैं वृद्धि की यह दर अन्य  अपराधों की तुलना में तीन गुना ज्यादा है ! और हत्या की तुलना मैं साढ़े तीन गुना 940  महिलाएँ है  हमारे देश मैं प्रति  1000 पुरुषों पर  ! प्रति 1,000 लड़कों पर सिर्फ 914  लडकिया  है !  2011 -12  के बीच दिल्ली में बलात्कार के सिर्फ 5,337 मामलो मैं फैसला आ पाया था ! देश  में रैप के मामलो में  26 प्रतिशत दर  आरोप साबित करने में  रही है ! जबकि हत्याओ के मामले मैं यह 35 प्रतिशत है !  सबसे बड़ी बात यह है की हमारा कानून  महिला के साथ हुए अन्याय को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देता है   मानो कानून की निगाह में  यह कोई बड़ा अपराध है ही  नहीं !  आखिर क्या उम्मीद करे हम इस कानून  से इंसाफ की  ! अब हमारे कानून में  महिला के साथ न्याय नहीं किया जाता है ! पीडिता अपने साथ हुए  कुकृत्य को जिंदगी भर नहीं भूल सकती कसूर वार न  हुए भी  ऐसी  अनहोनी के बाद उसकी दुनिया बदल जाती है और अपराधी खुले आम घूमते है !  आज  दामिनी की मौत नहीं बल्कि इंसानियत की मौत  हुई है !  केंद्र और राज्य  सरकारें ऐसी  घटनाओं के खिलाफ जरूरी कदम उठाए और कानून में  संशोधन करे ताकि बलात्कार जैसी घटनाओं की पुनरावृति नहीं हो सके  !महिलाओ को खुद की सुरक्षा के लिए सजग रहना होगा !  महिलाओ और बेटियों की सुरक्षा सभी की ज़िम्मेदारी है पुलिस को भी इन अपराधियों के खिलाफ कड़ी करवाई करनी होगी


नीरू 
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