मुलाकात - मेरी एक कविता
तुमसे वो पहली मुलाकात
लम्हा लम्हा मुझे आती याद
जब तुमने बड़े प्यार से थामा था मेरा हाथ
तुम्हारा वो मुझे देखना कोई
अपनापन सा लगा ,तुमको मिलकर
मानो कोई हमारा पुराना नाता है
तुमसे मिलकर .खुश नसीब समझा खुद को !
कहा चले गए तुम उसके बाद
देखे थे हमने जो सपने
पल भर मे कर दिए तुमने बेगाने !
क्यों किया एसा
तुम तो एसे नहीं थे कभी
तुमसे वो पहली मुलाकात
लम्हा लम्हा मुझे आती याद
जब तुमने बड़े प्यार से थामा था मेरा हाथ
तुम्हारा वो मुझे देखना कोई
अपनापन सा लगा ,तुमको मिलकर
मानो कोई हमारा पुराना नाता है
तुमसे मिलकर .खुश नसीब समझा खुद को !
कहा चले गए तुम उसके बाद
देखे थे हमने जो सपने
पल भर मे कर दिए तुमने बेगाने !
क्यों किया एसा
तुम तो एसे नहीं थे कभी
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