कलम

                                            कलम
आज न जाने  लिखने के  लिए मैंने कलम उठाई तो बीते हुए वक्त की यादें   मेरे  ज़हन मे आ  गई  ! कभी हसी ख़ुशी के  पल  मेरे ख़याल   मे आ गए तो कभी दर्द  भरी सिसकती हुई कुछ यादे जिन्होंने मुझे दुबारा दर्द  दे  दिया ! मनचाहा  तो मुझे नहीं मिला पर जो  भी मिला  मे खुश हु अपनी जिन्दगी मे ! मुझे  कोई दुःख नहीं है ! चाहते  हुए  भी कुछ न  कर पाने  की  इच्छा  मेरे  दिल मे  दब कर रह गयी है शायद !
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